Life में मनचाही चीजें manifest करने के लिए law of attraction का प्रयोग कैसे करें

Law of attraction कैसे काम करता है

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29 Sep '23
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दोस्तों नमस्कार आज हम जिस टॉपिक पर डिसकस करने जा रहे हैं वह टॉपिक है लॉ ऑफ़ attraction

हम जिस चीज को भी चाहते हैं अगर हमारा विश्वास मजबूत हो तो हम उसे पा लेते हैं। और अगर हमारा विश्वास कच्चा हो तो हम उस चीज को पाने में असफल हो जाते हैं।

हम माने या ना माने जाने अनजाने में हम अपनी लाइफ में जो कुछ भी सोचते बोलते या कर्म करते हैं उन सबमे कुदरत द्वारा रचित लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन का यह सिद्धांत समान रूप से लागु होता है।

हमें कभी भी यूनिवर्स के rules पर doubt नहीं करना चाहिए, ना खुद पर doubt करना चाहिए। क्योंकि जब हम कुदरत के rules पर doubt करते हैं तब हम अपना 100% नहीं दे पाते, वहीं जब हम खुद पर doubt करते हैं तब ऐसे कंडीशन में भी हम अपना 100% नहीं दे पाते।

हमारा विश्वास ही हमें वह चीज दिलाता है जिस चीज की हम अपने मन में कामना करते हैं। क्योंकि जब हम कुदरत के rules पर और खुद पर पूरा विश्वास करके आगे बढ़ते हैं, तब ही हम अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल उस चीज को पाने के लिए करते हैं, और जब कभी भी हम किसी चीज को पाने के लिए अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करते हैं तब हम बिल्कुल कामयाब होते हैं।

किसी भी चीज को पाने में सबसे अहम योगदान जिसका होता है, वह है हमारी inner strength और हम अपनी inner strength तब बेहतरीन तरिके से उपयोग करते हैं जब हमें खुद पर believe होता है की हां मैं achieve कर लूंगा, यह कुदरत मेरे साथ जस्टिस ही करेगी, मुझे कुदरत के नियमों पर पूरा विश्वास है, कुदरत किसी के साथ injustice कर ही नहीं सकती।

हमारे ब्रेन से एनर्जी लगातार waves के रूप में निकल रही होती है।

 

दोस्तों आपने ECG या EEG देखा होगा। जिसे जब ब्रेन के चारों तरफ लगाया जाता है, फिर ब्रेन से निकलने वाले वाइब्रेशन waves के फॉर्म में ग्राफ के रूप में दिखाई देते हैं।

दोस्तों हम माने या ना माने, जाने अनजाने में ही सहीं पर हम लगातार यूनिवर्स से कम्युनिकेशन कर रहे होते हैं। यह यूनिवर्स हमारी language, hindi, english, बांग्ला या गुजराती नहीं समझता, बल्कि इसकी तो अलग ही language है, यह EMOTIONS और FEELINGS की language समझता है। यह भावनाओं की language समझता है। और हमें जो कुछ भी फल के रूप में मिलता है वह हमारे भावनाओं का, हमारे इंटेंशन का ही फल मिलता है।

अगर हमारी नियत (इंटेंशन) पॉजिटिव है और पॉजिटिव intention के साथ अगर हम कोई थॉट create कर रहे हैं, कोई words बोलते हैं या फिर कोई action करते हैं। तो कुदरत हमारे intention के base पर हमारे द्वारा किए गए कर्म का हमें रिजल्ट देती है।

जब किसी काम को हम दिल दिमाग़ और बॉडी को एक समय में, एक साथ, एक ही दिशा में लगाते हैं, तब हम उस काम में सफल होते हैं। जिसे आध्यात्मिक भाषा में कहते हैं की जब हमारे कथनी और करनी एक हो तब हमें सफलता मिलती है।

लेकिन जिस काम को करने में हमारा दिमाग़ लगे, पर दिल ना लगे तो फिर बॉडी भी एक्शन करने में साथ नहीं देती और फिर हम ऐसे कामों में सफल नहीं हो पाते।

कहते हैं ना मोहब्बत में मेहनत का पता ही नहीं चलता, अगर हम किसी चीज को दिल से चाहते हैं और उसे पाने के लिए जब हम कड़ी मेहनत भी करते है तब भी वह कड़ी मेहनत हमें मुश्किल नहीं लगती, क्योंकि हमारे मन में लक्ष्य को लेकर एक burning desire होती है, और जहां desire हो वहां मुश्किल समय में भी इंसान हंसता रहता है।

लेकिन अगर मोहब्बत नहीं तो छोटे से छोटे काम भी हमें भारी लगने लग जाते हैं। आपने गौर किया होगा की जब कभी भी कोई हमें ऐसे काम करने को कहता है जिसमें हमारा दिल नहीं लगता। तो हम उस काम को ढीले ढाले रवैइये के साथ करते हैं। हम उस काम में value addition नहीं करते, जिससे वह काम unproductive बन जाता है। और सफलता उतनी नहीं मिलती जितनी मिलनी चाहिए थी।

लेकिन जिस काम में हमारा दिल लगता है, हम उस काम को productive बना देते हैं क्योंकि दिल लगने से हम क्रिएटिव बन जाते हैं। आपने महसूस किया होगा की जिस काम में हमारा दिल लग जाता है उस काम को हम कितने क्रिएटिव तरिके से करने लग जाते हैं। और जितनी ज्यादा क्रिएटिविटी हम करते हैं हम अंजाम के उतने करीब पहुंचते जाते हैं।

इसलिए कहा भी गया है की कामयाब इंसान कुछ अलग नहीं करते, बल्कि उसी काम को अलग (क्रिएटिव) तरिके से करते हैं।

क्योंकि अगर कोई व्यक्ति ऐसा काम कर रहा है जिसे करने का उसका बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा है, तो निश्चित तौर पर उस कार्य को करने में उसके inner strength work नहीं करेंगे और जब inner strength ही work नहीं करेंगे, तो उस मंजिल को वह अपनी ओर attract कैसे करेगा जिसकी कामना हम किए हुवे हैं। तो कामना के साथ काम जरुरी है, केवल कामना से कुछ नहीं होने वाला इसलिए कहा जाता है work is worship मतलब कर्म ही पूजा है।

अगर हम बस किसी चीज की कामना करें और उसे पाने के लिए ज़ी तोड़ मेहनत ना करें तो हमारी कामना बस कामना बनके ही रह जाएगी, लेकिन अगर हम कामना के साथ काम जोड़ देंगे तो यह सिस्टम productive बन जाएगा और हम जिसकी कामना किए होंगे उसे हांसिल कर लेंगे। विधि से सिद्धि मिलती है।

जब हम मोबाइल से किसी का नंबर डायल करते हैं अगर right नंबर लगा तो बात होगी और wrong नंबर लगा तो उससे बात नहीं होगी। बिल्कुल वैसे ही right way अपनाने से सफलता मिलेगी wrong way अपनाने से नहीं।

जैसे मोबाइल से जब हम नंबर डायल करते हैं तो उससे waves के फॉर्म में वाइब्रेशन निकलती है एनर्जी निकलती है जो भले ही दिखाई ना दे पर काम तो करती है तभी तो दूसरे मोबाइल पर वह आवाज सुनाई देती है।

बिल्कुल उसी तरह हम जो intention रखकर कुछ करते हैं तो वह intetion भले ही दिखाई नहीं देती पर work तो करती है और हमें लाइफ में जो रिजल्ट मिलता है वह उसी intention का return मिलता है।

तो जब हम दिल से कोई काम कर रहे होते हैं तो हमारी intention में वह लक्ष्य समाया हुआ होता है। जिसकी कामना करके हम वह काम कर रहे होते हैं। हमारे thought, words और action एक साथ उस दिशा में work कर रहे होते हैं।

जब हमारा माइंड और हमारी intillect एक ही समय पर, एक ही दिशा में काम करती है तब उसे कहते हैं एकाग्रता (concentration) और जब हम किसी काम को concentrate होकर करते हैं, तो हम अपने एक्सपीरियंस का, अपने स्कील का, अपने इनर स्ट्रेंथ का मतलब की अपनी पूरी क्षमता उस दिशा में लगाकर पूरी तन्मयता के साथ वह कार्य करने लग जाते हैं तो फिर हमें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता

इसलिए कहा भी जाता है की

"जब हम किसी चीज को पूरी सिद्द्त से चाहते हैं तब पूरी कायनात उस चीज को हमसे मिलाने में हमारी मदद करने लगती है।'

क्योंकि यह कायनात किसी की दुश्मन नहीं जो किसी का अहित करे यह तो बस वहीं रिटर्न करती है जो हम बीज के रूप में बोते है।

अगर हम किसी काम को पूरी सिद्द्त के साथ तन्मयता के साथ, dedication के साथ, समर्पण के साथ करने लग जाते हैं। तो जहां dedication होता है वहां इनर power इनर vertues उस कार्य को सफल बनाने में work करने लग जाते हैं।

किसी भी कार्य की सफलता असफलता इस बात पर डिपेंड करती है की उस कार्य को सफल बनाने के लिए जीन inner power, inner vertues की जरूरत है अगर वह inner power,  inner vertues उस कार्य को सफल बनाने में लगा दिए जाएं तो फिर हमें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

सफलता के परसेंटेज में फर्क तब पड जाता है जब हम जिस inner power inner  vertues की need हो उस inner power inner virtues का इस्तेमाल नहीं करते। और उसकी जगह किसी और inner power, inner virtues का इस्तेमाल कर बैठते हैं।

दो similar चीजें आपस में एक दूसरे को attract करती हैं। हम जिस चीज को पाना चाहते हैं जब उस चीज को पाने से जुडी  क्वालिटी हम अपने अंदर develope कर लेते हैं तब वह चीज अपने आप ही हमारे सामने आकर ख़डी हो जाती है मतलब की हमें मिल जाती है।

इसका सीधा सीधा मतलब यही है की हमें अपने आप को अंदर से उस लेवल का बनाना होगा। हमें वैसा माइंडसेट बनाना होगा, हमें वैसे क्वालिटीज अपने अंदर विकसित करने होंगे।

हमारे inner power, inner virtues में magnetic power होती है। हम जीवन में जो कुछ चाहते हैं अपने inner power, inner virtues को कार्य में लगाकर प्राप्त कर सकते हैं।

ठीक उसी तरह इस दुनियां में हम जो कुछ भी चाहते हैं उसे हांसिल कर सकते हैं बशर्ते उस चीज के पीछे भागने के बजाये हमें उस लक्ष्य से जुड़े लक्षण अपने अंदर develope करने होंगे।

इसलिए कहा जाता है-

"हमें वह नहीं मिलता जो हम चाहते हैं बल्कि हमें वह मिलता है जो हम होते हैं'

कहने का मतलब यह है की, जिस किसी भी लक्ष्य को हम हांसिल करना चाहते हैं, अगर उसको हांसिल करने के लिए जीन लक्षणों का हममे होना जरुरी है। अगर वह लक्षण हममे पनप जाएं तो उस लक्ष्य को हम बड़े ही आसानी से हांसिल कर सकते हैं।

जिस डेस्टिनेशन तक हमें पहुंचना है, हमें अपने sub concius mind में उस डेस्टिनेशन से रिलेटेड ब्लु प्रिंट बनानी होती है।

अगर हम अपनें inner world में अपनी thought को reach बना लिए तो एक ना एक दिन outer world में reach बन ही जाएंगे। क्योंकि outer world में हमारे पास जो कुछ भी चीजें हैं जैसी भी परिस्थितियां हैं वह हमारे inner world मतलब की हमारे विचारों का ही प्रतिबिम्ब है reflection है।

लेकिन अगर किसी की poor mentality है और ऐसे में अगर किसी को पुरखों की प्रॉपर्टी फ्री में मिल जाए तो फिर उस प्रॉपर्टी को वह संभाल नहीं पाता और संपत्ति को बढ़ाने की जगह उल्टा उसे खर्च कर नष्ट कर बैठता है। मतलब की हमारी आदतें ही हमें ऊपर उठाती हैं और हमारी आदतें ही हमें निचे गिराती हैं।

 

इसलिए कहा भी जाता है की

किसी भी इंसान को उसकी सोच ही अमीर या गरीब बनाती है।

अमीर या गरीब घर में पैदा होना हमारे हाँथ में नहीं पर हमारी सोच को अमीर या गारोब बनाना मतलब की positive या negative सोचना हमारे हाँथ में ही होता है।

मैंने कई ऐसे लोगों को देखा है जो किसी अमीर के घर में पैदा हुवे होते हैं पर और जिनको बना बनाया सब कुछ फ्री में मिलता है उन्हें उन चीजों की कद्र नहीं होती। और अपनी poor मेंटालीटी के कारण वह उन तमाम चीजों को गंवा बैठते हैं। और वह गरीब बन जाते हैं।

मैंने ऐसे भी बहुत से लोगों को देखा है जिनका जन्म तो गरीब घर में होता है मगर अपनी reach मेंटालिटी की वजह से वह लोग एक दिन अमीर बन जाते हैं।

इसलिए दोस्तों अमीर या गरीब बनना यह सब कुछ हमारे मेंटालिटी पर डिपेंड करता है। अगर हमें सचमुच अमीर बनना है तो हमें पहले अंदर अपने विचारों कोअमीर बनाना होगा। मतलब आंतरिक धन कमाने पर फोकस करना होगा self डेवलपमेंट पर फोकस करना होगा। आंतरिक धन मतलब हमारी नॉलेज, हमारे एक्सपीरियंस, हमारे skill, हमारे इनर पॉवर, हमारे इनर vertues.

अगर हमनें आंतरिक धन कमा लिया तो आंतरिक धन के पीछे यह बाहरी धन खुद ब खुद खींचा चला आएगा। लेकिन बिना आंतरिक धन कमाए, बाहरी धन कमाने की कोटणीस भी जद्दोजहद कर लें हम कामयाब नहीं हो पाएंगे, और इसलिए बिना आंतरिक धन कमाए जब कोई बाहरी धन कमाने की जद्दोजहद करता है तो उसे लाइफ में शॉर्टकट अपनाना पड़ता है और कुदरत के सिद्धांतों का उलंघन करने की वजह से ऐसे कर्मो का अंत बड़ा दुखदाई होता है।

मैंने कई लोगों को देखा है जो कुदरत के इस rules को तोड़कर जीवन में शॉर्टकट अपनाकर बाहरी धन बटोर लेते हैं, वह उतना ही ज्यादा अंदर से दुःखी और अशांत हो जाते हैं। लेकिन जो कुदरत द्वारा बनाये गए राइट डायरेक्शन पर चलकर आगे बढ़ता है वह अंदर और बाहर दोनों तरह के धन से भरपूर होने के कारण अपनी लाइफ में संतुष्ट होता है और यही संतुष्ठता उसे अपने आप ख़ुशी का अनुभव कराती रहती है।

हम जो कुछ भी बनना चाहते हैं हमें यह इमेजीन करना चाहिए की हम वह बन चुके हैं, और जब भी imagine करें पुरे emotions और feeling के साथ महसूस करना चाहिए, की हां मैं वह बन चूका हुँ, अपने आप को वह जिंदगी जीता हुआ देखना चाहिए visualize करना चाहिए।

 

हमारे विचार electric Impulse's create करते हैं वहीं हमारे feelings magnetic Impulse's create करते हैं। और हमारे thought's, emotions और feelings मिलकर electromagnetic impulse create करते हैं।

इसी electromagnetic impulses को neuro science में bio energy field कहते हैं, और spirituality में इसी चीज को औरा कहते हैं।

इसलिए कहते भी हैं जैसा हमारा औरा होता है हम वैसी ही चीजों को अपनी ओर attract करते हैं।

दोस्तों आशा करते हैं आपको law of attraction पर लिखा गया यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा, इस तरह आर्टिकल regular पानें के लिए फॉलो बटन प्रेस करें, फिर मिलते हैं एक नए दिलचस्प टॉपिक के साथ 

#lawofattraction 

Category:Spirituality



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Written by uday choudhary

Motivational speaker, life coach, counselor, writer

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