प्रतीियोगी परीक्षाओं में घोर लापरवाही निराशाजनक। NEET परीक्षा में धांधली के बाद यूजीसी नेट परीक्षा रद्द होने और CSIR NET की परीक्षा स्थगित होने के बाद NTA और सरकार के खिलाफ छात्रों का गुस्सा उफान पर है जो थमने का नाम नहीं ले रहा है।पूरे देश में छात्रों का आंदोलन चरम पर है।आंदोलनकारियों के उग्र रूप को देखते हुए लगता है कि इसमें वह लोग भी शामिल हो गए हैं जिनका इन परीक्षाओं से दूर - दूर तक कहीं कोई लेना देना भी नहीं है लेकिन वह विपक्षी पार्टियों के लिए राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे हुए हैं।
छात्रों के उग्र आंदोलन को देखते हुए लग रहा है कि यह कहीं दिल्ली के शाहीन बाग आंदोलन और किसान आंदोलन की तरह उग्र न हो जाए जिसमें सरकार को उनके समक्ष झुकने को मजबूर होना पड़ा था।यह बेरोजगार छात्र सरकार के खिलाफ विपक्ष के लिए एक बड़ा हथियार साबित हो सकते हैं।छात्रों का गुस्सा इस बात पर है कि शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गड़बड़ी की बिना जांच कराए ही NTA को निर्दोष करार दे दिया और परीक्षा में किसी भी प्रकार की धांधली होने से इंकार कर दिया।इसके बाद देश के विभिन्न हिस्सों से जब एक के बाद एक कई आरोपी पकड़े गए तो उन्होंने परीक्षा में धांधली होना स्वीकार किया।ऐसे में सरकार को भी किरकिरी का सामना करना पड़ा है।यह तो सच है कि नीट परीक्षा में बड़े स्तर पर धांधली हुई है और इसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग भी संलिप्त हैं।यह धांधली इतने बड़े स्तर पर हुई है कि अपराधियों के गिरफ्तार होने का सिलसिला जारी है।अभी 18 वीं संसद सत्र में देश की राष्ट्रपति महोदया ने भी पेपर लीक को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि छात्रों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
ऐसे में सरकार और एनटीए को अपनी छवि बनाए रखना है तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
वैसे भी मोदी सरकार का बेरोजगारों के प्रति जिस प्रकार का उपेक्षित रवैया है उसे देखकर लगता है कि सरकार शायद ही इस मामले में कुछ करे क्योंकि बेरोजगारों की बढ़ती संख्या और बेतहाशा बढ़ती बेरोजगारी को कम करने का सरकार के पास कोई रोड मैप ही नहीं है।वह हवा में ही हाथ पैर मार रही है।
युवा बेरोजगारों में सरकार के प्रति बढ़ते असंतोष को देखते हुए कहा जा रहा है कि यह पेपर लीक का मामला सरकार के गले की हड्डी बन गया है जिसके कारण देश भर में नकारात्मक प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है। हालिया लोकसभा चुनाव परिणाम ने यह साबित भी कर दिया है।
अगर सरकार और NTA ने इस पेपर लीक मामले में लीपापोती करनें की कोशिश की और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की तो निकट भविष्य में चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में इसका सीधा प्रभाव पड़ सकता है जो कि सरकार की सेहत के लिए उचित नहीं होगा।
सुनील कुमार चौहान,परसिया, बिसौली, बदायूं,उत्तर प्रदेश।
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