1. सभी पार्टी चुनाव परिणाम से संतुष्ट हैं
सभी पार्टियों ने चुनाव परिणाम से संतुष्टि जाहिर की है। 400 पार का नारा देने वाले भी परिणाम से संतुष्ट हैं और 296 सीटों के साथ नई सरकार बनाने का दावा हवा हो गया, फिर भी वे खुशी से झूम रहे हैं। क्षेत्रीय पार्टियां भी चुनावी परिणाम से गदगद हैं। गजब का चुनावी परिणाम आया है।
2. वोटिंग मशीन पर कोई सवाल नहीं उठा
हर चुनाव में वोटिंग मशीनों पर संशय जताया जाता रहा है और उस पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। लेकिन, इन चुनाव परिणाम के बाद किसी ने भी वोटिंग मशीन की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाया है। यह चुनावी परिणाम की सबसे अच्छी बात कही जा सकती है।
3. ‘पप्पू’ भी ‘पास’ हो गया
चुनाव परिणामों ने साबित कर दिया है कि यदि ‘पप्पू’ पूरी ईमानदारी से परिश्रम और संघर्ष करे तो वह भी ‘पास’ हो सकता है। इस चुनाव परिणाम में ‘पप्पू’ स्पष्ट तौरपर ‘पास’ हो गया है।
4. सभी का घमण्ड चूकनाचूर
इन चुनाव परिणामों ने हर पार्टी और हर नेता को कड़ा सबक सिखा दिया है। सभी का घमंड चकनाचूर हुआ है। अब वे जनता को मूर्ख समझने की भूल नहीं करेंगे। जनता को सिर्फ चुनावी जुमलों और बहकाऊ एवं ओच्छी बातों से बरगलाया नहीं जा सकता है।
5. स्वार्थी दलबदलूओं को मिला सबक
इन चुनावी परिणामों ने स्वार्थी दलदबलू नेताओं को कड़ा सबक सिखाया है। अपने स्वार्थों के चलते पार्टी बदलने वाले लगभग सभी नेताओं को जनता ने बुरी तरह धूल चटाई है।
05 बड़ी बुरी बातें :
1. किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं
इन चुनावी परिणामों में किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। उसे किसी न किसी दूसरी पार्टी का मुंह ताकना पड़ेगा और उनके रहमो-करम पर निर्भर रहना होगा।
2. हर मुद्दे पर दबाव में रहेगी भावी सरकार
भावी केन्द्र सरकार भारी दबाव में रहने वाली है। महत्वाकांक्षी नेता किसी भी समय सरकार को अल्पमत में ला सकते हैं। सरकार को बनाए रखने के लिए स्वार्थी और महत्वाकांक्षी नेताओं के हाथों की कठपूतली बनना पड़ेगा।
3. स्वार्थ सिद्धि रहेगी हावी
इस चुनाव परिणाम के बाद स्वार्थ सिद्धि हावी होगी। लगभग हर पार्टी सरकार बनाने और गिराने की स्थिति में आ गई है। इससे वह अपने हित साधने का भरसक प्रयास करती रहेंगी।
4. वायदे रहेंगे अधर में
दूसरे दलों के रहमो-करम पर बनने वाली सरकार से सभी वायदे पूरे करने की उम्मीद रखना बेमानी होगा। दोनों तरफ के गठबंधनों में वैचारिक मतभेद वाली पार्टियां मौजूद हैं। सभी पार्टियों के संतुलन साधने के प्रयास में बड़े वायदे अधर में जाने लगभग तय हैं।
5. एक्जिट पोल हुई फेल
इन चुनावी परिणामों ने एक्जिट पोल की भी पोल खोलकर रख दी है। इस बार फिर एक्जिट पोल बुरी तरह फेल हो गई है। इससे भविष्य में एक्जिट पोल के प्रति विश्वास करना बेहद मुश्किल होगा।
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक (स्वतंत्र)