गिफ्ट

लघुकथा



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“सुनिए जी, आज ऑफिस से जल्दी घर आ जाना।” किचन में काम करते हुए शिखा ने अपने पति राजेश से कहा।
“क्यों आज कोई खास बात है, क्या?” ऑफिस के लिए तैयार हो रहे राजेश ने शिखा से पूछा।
“लो, आप फिर भूल गए कि आज शाम को हमें बड़े भैय्या के घर जाना है, क्योंकि आज मेरे प्यारे भतीजे सोनू की बर्थडे पार्टी है।” शिखा राजेश से बोली।
कुछ देर रुक कर शिखा फिर बोली “और हाँ, ऑफिस से लौटते वक्त सोनू को गिफ्ट करने के लिए एक अच्छा सा सूट और काजू की बर्फी भी लेते आना।”
शिखा की बात सुनकर राजेश बोला “वो तो ठीक है, लेकिन तुम्हारे छोटे भैय्या सुनील और उनका परिवार भी तो वहाँ होंगे। उन्हें ये देखकर बुरा लगेगा, क्योंकि पिछले महीने ही उनके बेटे बन्टी की बर्थडे पर तुमने सिर्फ एक सिम्पल सी ड्रेस ही गिफ्ट की थी।”
“उन्हें बुरा क्यों लगेगा? क्या उन्होंने आज़तक एक बार भी हमें या हमारे बच्चों राज और प्रिया को कोई अच्छा गिफ्ट दिया है? हर बार कोई सस्ता सा गिफ्ट लेकर चले आते हैं। ऐसा करते हुए उन्हें जरा भी शर्म नहीं आती।” शिखा भड़क कर बोली।
छोटे भाई को कोसने के बाद थोड़ा सांस लेते हुए शिखा आगे बोली “जबकि बड़े भैय्या हमारा कितना ध्यान रखते हैं। हर बार हम लोगों के लिए कितने महंगे-महंगे गिफ्ट लाते हैं, इसलिए शाम को हम सोनू के लिए अच्छा गिफ्ट लेकर ही जाएंगे। छोटे भैय्या बुरा मानते हैं तो मानते रहें, मुझे इस बात की कोई परवाह नहीं।”
अपनी शानोशौकत दिखाने के लिए महंगे गिफ्ट लाने वाले अमीर भाई सुमित और पैसों की तंगी की वजह से सस्ते, मगर प्यार भरे गिफ्ट लाने वाले गरीब भाई सुनील के गिफ्टों को, पैसे के तराजू में तौलते हुए शिखा बोली। राजेश भी सहमति में सिर हिलाते हुए ऑफिस निकल गया।

Category:Prose



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Written by पुनीत शर्मा (काफिर चंदौसवी)

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