विजय विकारों पर पाना ही सबसे बड़ी विजय है

गीत

ProfileImg
10 Mar '25
1 min read


image

विद्या विजय प्रदात्री बनकर, देती हमें विनय है।
विजय विकारों पर पाना ही, सबसे बड़ी विजय है।।

विनयशील हम बनें पात्रता, पाने की पायेंगे।
अष्ट सिद्धि नौ निधियां पाकर, प्रभु का गुण गायेंगे।।
तब अपने सब दुष्कर्मों का, पल में होता क्षय है।
विजय विकारों पर पाना ही, सबसे बड़ी विजय है।।

करें नहीं अभिमान स्वयं पर, लोभ मोह को त्यागें।
क्रोध किसी पर कभी करें मत, क्षमावान बन जागें।।
संशयात्मा के विनाश में, कभी कहां संशय है।
विजय विकारों पर पाना ही, सबसे बड़ी विजय है।।

राग-द्वेष से बचें तभी हम, सुख-दुख में सम होंगे।
मुदित रहेगा मन आजीवन, दूर सभी ग़म होंगे।।
आराधना शक्ति की शिव की, हर लेती हर भय है।
विजय विकारों पर पाना ही, सबसे बड़ी विजय है।।

दाता केवल परमात्मा है, उससे ही सब पाते।
वह कुछ न दे हमें तो भी हम, उसको माथ नवाते।।
अन्त समय में सब कुछ होता, परमात्मा में लय है।
विजय विकारों पर पाना ही, सबसे बड़ी विजय है।।

©® महेश चन्द्र त्रिपाठी

Category:Poem



ProfileImg

Written by Mahesh Chandra Tripathi

0 Followers

0 Following