वर्जित वन अप्रत्याशित यात्रा

अप्रत्याशित यात्रा

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14 May '24
15 min read


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परिचय

ईश्वर की सबसे अच्छी रचना "पृथ्वी" जिसका बस अब अंत होने वाला है! एक भयानक प्रलय बस आने ही वाली है ! ईश्वर की बनाई हुई इस पृथ्वी पर जब वो मिलेगी वो छड़ी जिससे होगा पृथ्वी का नव निर्माण....या फिर अंत!

ईश्वर अपने स्वर्ग को छोड़कर पृथ्वी पर जा बसा है! इस उम्मीद में की पृथ्वी की ओर आ रही उन काली शक्तियों से पृथ्वी को बचाया जा सके! लेकिन पृथ्वी के भगवान! मनुष्य अभी भी अपनी वैज्ञानिक शक्तियों के नशे में चूर इस प्रलय से अनभिज्ञ है! जब से ये दुनिया बनी है! तब से सृष्टि में जीवन और मृत्यु के समान ही तब से प्रकाश और अंधकार की रचना भी बह्रामंड की रचना के समय ही हो चुकी थी!

सत्य, सदाचार, शांति, परोपकार और इंसानियत की भावनाएं प्रकाश के साथ उदय हुई होगी! तो असत्य, अशांति, कलहकारी और विनाशकारी नाचती काली शक्तियों ने अँधेरे को अपना आधार बनाया होगा!

मनुष्य पृथ्वी के भगवान! जो अपनी वैज्ञानिक शक्तियों के सहारे पृथ्वी पर खुदाई करके कुछ छोटी-छोटी चीजों को खोजकर बीते हुए इतिहास की जानकारी को हासिल करके हजारों-लाखों वर्ष पहले के पृथ्वी पर बसे हुए जीवन और उस जींवन के महाविनाश के अंत के बारे में जो लोग बता रहे है!
वो ये नहीं जानते की बह्रामंड में चारो तरफ फैली काली महाविनाश काली शक्तियाँ एक बार फिर से पृथ्वी पर धीरे-धीरे फ़ैल चुकी है! मनुष्य असत्य, पाप, व्यभिचार और शैतानियत के चुंगल में फसकर सत्य और इंशानियत का अंत कर रहा है ! अब वो स्वयं के अंत की ओर बढ़ रहा है! एक बार फिर से पृथ्वी पर जीवन का अंत हो जाएगा! किन्तु इस बार हमारे अर्थात काली और शैतानी शक्तियों के लिए स्थिति भिन्न है!

प्रथम महाविनाश के पश्चात् पृथ्वी पर जीवन की रचना में हजारो- लाखों बरसों का समय लगा! किन्तु इस बार ऐसा नहीं होगा! इस बार महाविनाश के पश्चात् पृथ्वी पर जीवन की रचना में हजारो- लाखों बरसों का समय नहीं लगेगा! क्योकि ईश्वर की बनाई हुई एक बहुत ही अनोखी चीज जो स्वर्ग से गिरकर धरती पर कंही अज्ञात स्थान पर हो चुकी है! जिसमें महाशक्ति है पुरे बह्रामंड को विनाश करने की!

इस बार होगा! जीवन का नव निर्माण! छड़ी क्या है? क्या है उसकी महाशक्तियाँ? उससे नव निर्माण या विनाश कैसे होगा ये कोई भी नहीं जानता! किन्तु जिसके हाँथ में होगी! वो ही होगा नव निर्माण या विनाश का ईश्वर!

 

                                              Chapter-1

 भारत में कहीं …

एक समय की बात है। भारत में कहीं पहाड़ों के बीच बना एक बली नाम का छोटा और सुन्दर सा रेलवे स्टेशन हुआ करता था। सुबह का समय था कुछ-कुछ सूरज पहाड़ो में से निकलता हुआ दिखाई दे रहा था। सूरज अपनी सुनहरी किरणों की रोशनी फैला रहा था। चारों तरफ पहाड़ों के ऊपर हल्की-हल्की धुंध धीरे-धीरे अपना दामन समेट रही थी। तभी  रेलवे स्टेशन पर एक रेल अपनी पटरी पर तेजी से दौड़ती हुई अपनी सिटी से आवाज लगाती हुई बली स्टेशन पर आकर रूकती है। जैसे ही ट्रेन स्टेशन पर आकर रुकती है ट्रेन में बैठे सभी लोग ट्रेन से नीचे उतरने लगते है।

तभी एक व्यक्ति अपने दो बड़े बैग्स के साथ ट्रेन से नीचे उतरता है और यहाँ-वहाँ देखने लगता है। तभी उसकी नजर रेलवे स्टेशन पर तंगी हुई बड़ी सी घडी पर जाती है। जिसमें 7:00 बजे होते है घडी में समय देखने के बाद वो व्यक्ति अपने दोनों बैग्स को नीचे रख देता है और फिर अपनी कोट की भीतर वाली जेब से एक छोटी सी घडी निकलता है और फिर उसमें समय देखने लग्ता है।

समय देखने के बाद वो व्यक्ति अपने दोनों बड़े बैग्स को लेकर स्टेशन से बाहर जाने लगता है और यहाँ-वहाँ अपने लिए कोई टेक्सी देखने लग्ता है तभी अचानक से उसके पीछे से एक आवाज आती है।

"सर!, क्या आपको कोई टेक्सी चाहिए ? "

उस आदमी ने जबाब देते हुए कहा। 

" हाँ! मुझे ऊपर हाउस नंबर 34 में जाना है! जो B-2 ब्लॉक में है! " 

टैक्सी ड्राइवर-  " तो आइए! मैं आपको ले चलता हूँ! "

लगभग 25 मिनट चलने के बाद टेक्सी एक सिग्नल पर जा रुकी। टेक्सी के रुकते ही टेक्सी में बैठे उस आदमी ने टेक्सी की खिड़की से बाहर देखना चाहा और जैसे ही उस आदमी ने टेक्सी से बाहर देखा। तो उसे सिग्नल के चारों तरफ बहुत ही सूंदर-सूंदर घर देखने को मिले। वो आदमी सिग्नल के चारों तरफ बने घरों को देख ही रहा था कि अचानक से टेक्सी चल पड़ी। लेकिन टेक्सी में बैठा वो आदमी फिर भी उन्हीं सूंदर घरों को देखता रहा। फिर टेक्सी एक गली को कोने पर जाकर रुकी। टेक्सी के रुकते ही टेक्सी के ड्राइवर ने पीछे बैठे आदमी से कहा।

 " सर! B-2 ब्लॉक आ गया है! आप सामने वाली गली में सीधे चले जाइए! आपको हाउस नंबर 34 मिल जायेगा! "

टैक्सी से नीचे उतरकर उस आदमी ने टेक्सी ड्राइवर को पैसे देते हुए कहा।

  " thank you! "

टैक्सी से उतरने के बाद उस आदमी ने अपने चारों तरफ देखा। अपने चारों तरफ देखने के बाद उसने ध्यान दिया की उस आदमी के उसके चारों तरफ बने घर लगभग एक जैसे ही है। चारों तरफ देखने के बाद वो आदमी टैक्सी ड्राइवर की बताई हुई गली में चला गया। गली में जाते ही उस आदमी ने देखा की उस गली में दूर-दूर तक कोई भी नहीं है। ये देखकर उसे बुहत ही अजीब लगा। फिर भी उस आदमी ने गली में जाकर हाउस नंबर 34 खोजना सुरु कर दिया। हाउस नंबर 34 को खोजते हुए उसकी नज़र एक बूढ़ी औरत पर पड़ी। जो अपने घर के सामने एक बहुत ही पुरानी सी लकड़ी की कुर्सी पर बैठी हुई थी। उस आदमी ने सोचा क्यों ना इनसे पूछा जाए की हाउस नंबर 34 कहाँ होगा।

हाउस नंबर 34 का पता पूछने के लिए वह आदमी उस बूढ़ी औरत के पास गया और कहा।

  " सुनिए ? क्या आप मुझे हाउस नंबर 34 तक पहुँचने का रास्ता बता सकती है? "

उस आदमी के इतना कहते ही उस बूढ़ी औरत ने कोई जबाब नहीं दिया। उस औरत के जबाब ना देने के कारण उस आदमी ने सोचा की थोड़ा करीब जाके एक बार फिर से पूछा जाए। तो वो आदमी उस बूढ़ी औरत के ओर करीब गया और फिर से उसने पूछा।

   " सुनिए! क्या आप मुझे हाउस नंबर 34 तक पहुँचने का रास्ता बता सकती है? "

वह आदमी बार-बार उस बूढ़ी औरत से हाउस नंबर 34 के बारे में पूछता जा रहा था। उस आदमी के आवाज सुनकर घर में से एक लड़की बाहर आई और उसने उस आदमी से कहा।

  "दादी माँ बीमार है! और वो कुछ भी नहीं बोल पाती! आप कौन हो और आपको क्या चाहिए? "

लड़की के पूछने पर उस आदमी ने उस लड़की से कहा।

   " देखिये! मैं यहाँ पर नया हूँ! और मुझे हाउस नंबर 34 में जाना है! क्या आप मुझे रास्ता बता सकती है? "

लड़की ने जवाब देते हुए कहा।

   "आप इस गली में सीधे आगे चले जाइए! गली के अंत में आपको एक हरे और पीले रंग का घर दिखाई देगा! वही हाउस नंबर 34 है! "

उस आदमी ने कहा। 

" धन्यवाद! "

उस लड़की के बताए हुए घर पर पहुंचकर उस आदमी ने उस घर की डोर बेल्ल बजाई।

मै अपने कमरे में अपने बिस्तर पर से उठा ही था। कि तभी अचानक मुझे अपनी डोर बेल सुनाई दी ना जाने कौन सुबह-सुबह मेरे घर की डोर बेल बजा रहा था। उसने करीब डोर बेल को तीन से चार बार बजाया होगा और उसके बाद डोर बेल को नहीं बजाया।

डोर बेल की आवाज को सुनकर मै अपने बिस्तर से उठा।  मुझे बहुत आलस आ रहा था। इसलिए मै अपने बिस्तर से आराम से आलस भरे मूड में उठा और दरवाजे कि ओर गया जैसे ही मैंने दरवाजा खोला।  मेरे सामने एक 40 से 45 साल का एक व्यक्ति खडा हुआ था। जिसकी लम्बाई करीब 5 फ़ीट थी और काली जैकेट पहने हुए था, काली पेंट थी, वाइट शर्ट, और काले जूते पहने हुआ था। मैने उस व्यक्ति को पहले कभी नहीं देखा था! इससे पहले कि मैं कुछ पूछता। अचानक से उसने मेरा नाम पुकारा।

  "अशोक जोशी ? "

मैंने कहा " जी कहिये! "

फिर उस व्यक्ति ने कहा।

  " मेरा नाम उमेश खन्ना है और मै आपके पिताजी के साथ काम करता हूँ! और आपके लिए एक बुरी खबर है! एक गुफा के अंदर खुदाई करते समय आपके पिताजी के ऊपर अचानक से कुछ पत्थर आ कर गिर गए थे! और जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई! पत्थर इतने सारे थे और इतने भारी थे कि उन पत्थरो को वापस हटा पाना मुश्किल था! इसलिए आपको अपने पिताजी की लाश एक-दो-दिन में आपको मिल जाएगी और ये उनका कुछ सामान है जो मैं लेकर आया हूँ! "

अचानक से पिताजी की मृत्यु की खबर सुनकर मेरे पुरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मै इस बात पर भरोसा करू या नहीं। पिताजी की मृत्यु की खबर सुनकर मेरे आँखों में आंसू आ गए। मैंने एक बहुत ही दबी हुई आवाज़ में उस वयक्ति से सामान लेते हुए कहा।

  "लाइए! सामान दीजिए! "

मैं पिताजी का सारा सामान पिताजी के कमरे मे ले गया। सारा सामान पिताजी के कमरे में ले जाने के बाद मैंने पिताजी के बक्से में से पिताजी की सभी चीजों को एक-एक करके बाहर निकलना शुरू कर दिया। 

मेरे पिताजी जगह-जगह खुदाई करके प्राचीन वस्तुओं की खोज करने वाले एक बहुत बड़े खोजी थे। पिताजी के द्वारा खोजी गई चीजें बहुत ही नयाब और प्राचीन हुआ करती थी। बहुत से लोग पिताजी को खजाना खोजने वाला एक हीरो बुलाते थे। एक ऐसा हीरो जिसकी नज़र से कोई भी प्राचीन वस्तु छिपी नहीं रह सकती और इन सबके कारण पिताजी की फोटो हर अखबार और हर मैगज़ीन में छपती थी और साथ ही पिताजी को बहुत से ईनाम भी मिलते थे। 

पिताजी को मिले सभी इनामो कि गिनती इतनी थी जितनी कि मैं कभी सोच भी नहीं सकता था। पिताजी अपने काम से इतना ज्यादा पैसा कमा चुके थे। कि मुझे काम करने की कोई जरुरत नहीं पड़ती थी पिताजी के काम से खुश होकर बहुत से लोगों ने उनकी खोज के बारे में बहुत सी किताबे भी लिखी थी। कुछ लोगों ने तो पिताजी के ऊपर लघु फिल्म भी बनाई।

पिताजी जब भी खुदाई का काम खत्म करके वापस घर आते थे। तो मुझे अपनी खोजी हुई वास्तु को दिखाते थे और साथ ही उस वस्तु के बारे में भी कुछ न कुछ बताते थे और साथ ये भी बताते थे। कि यदि किसी वस्तु कि खोज करनी हो तो कैसे कि जाए।

पिताजी डायरी भी लिखते थे पिताजी अपनी डायरी में अपनी खोजो के बारे में अक्सर कुछ न कुछ लिखते रहते थे। वो कभी भी अपने काम को रोकते या टाला नहीं करते थे एक जगह काम खत्म हुआ नहीं कि दूसरी जगह पर खुदाई करने चले जाते थे उन्हें देखकर ऐसा लगता था जैसे उन्हें किसी खास चीज कि तलाश हो जो उन्हें मिल ना रही हो। इसलिए पिताजी लगातार खुदाई करते रहते थे एक जगह से दूसरी जगह और दूसरी से तीसरी जगह।

पिताजी के बॉक्स में उनके कपडे, जूते और खुदाई के समय मिली कुछ प्राचीन वस्तुए थी। मैं उन सभी वस्तुओ को देख ही रहा था। कि अचानक से मेरी नजर उन सभी प्राचीन वस्तओं के नीचे दबी हुई एक काली डायरी पर पड़ी। मैंने उस डायरी को बाहर निकाला उस डायरी पर पिताजी का नाम लिखा हुआ था। डायरी को देखकर मैं थोड़ा हैरान रह गया क्योंकि मैंने पहले कभी भी पिताजी के हाथों में मैंने ऐसी काली डायरी नहीं देखी थी।

मैं उस डायरी को पिताजी के बॉक्स में से निकालकर अपने कमरे में पढ़ने के लिए ले गया। अपने कमरे में जाते ही सामने टेबल के पास रखी कुर्सी पर बैठा और फिर मैंने डायरी को पढ़ने के लिए खोला। डायरी को खोलते ही डायरी के पहले पन्ने पर एक छोटी सी लाइन लिखी थी। जो किसी प्राचीन भाषा में थी मैंने इस छोटी सी लाइन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और फिर मैंने डायरी का दूसरा पन्ना खोला। डायरी के दूसरे पन्ने पर एक बहुत ही खूबसूरत लड़की कि तस्वीर थी जो स्केच द्वारा बनी हुई थी।

तस्वीर को देखकर मैं समझ गया था कि इस तस्वीर को पिताजी ने ही बनाया है। क्योंकि पिताजी स्केच बनाने के बाद उस स्केच के राइट साइड पर ऊपर कि ओर एक छोटा सा निशान बनाते थे। जो उनके नाम का पहला शब्द होता था और इस स्केच के राइट साइड पर भी वही निशान है। जो पिताजी अपने स्केच पर हमेशा बनाते थे स्केच द्वारा पिताजी ने जिस खूबसूरत लड़की की तस्वीर बनाई है उस लड़की की तस्वीर को देखकर मैं ये कह सकता हूँ। कि इतनी खूबसूरत लड़की कि तस्वीर को आज तक मैंने पहले कभी नहीं देखा।

तस्वीर को देखकर मैं ये सोचने लगा कि पिताजी इस लड़की से कब, कहाँ और कैसे मिले होंगे । ये सोचते हुए फिर मैंने डायरी का तीसरा पन्ना खोला।

तीसरे पन्ने पर किसी प्राचीन जगह का वर्णन था। मैंने ज्यादा ध्यान ना देते हुये मैंने आगे के दो चार पन्ने और खोले। इन पन्नों में पिताजी ने किसी खूबसूरत जंगल का वर्णन किया हुआ था। जो धरती पर ही कहीं था और फिर किसी कारण से ये खूबसूरत जंगल वीरान भी हो गया था साथ ही किसी काली दुनिया के एक पिशाच यानी एक शैतान का भी वर्णन किया हुआ था। जो देवताओ को खत्म करके धरती पर अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहता था।

एक ऐसा साम्राज्य जो सारी धरती से देवताओ का नामो निशान मिटा देगा और फिर सारी मानव जाती पर शैतान एक मौत का केहर बनकर टूट पड़ेगा। जब से ये दुनिया बनी है तब से शैतान और ईस्वर में जंग होती आ रही है और आज भी हो रही है। भले ही हम इससे अनजान ही क्यों ना रहे। इन सब में एक सूंदर राजकुमारी का वर्णन भी था। जिसका नाम राजकुमारी निहारिका था। राजकुमारी निहारिका के नाम के साथ-साथ पिताजी ने राजकुमारी निहारिका की सुंदरता का भी वर्णन किया हुआ था और साथ ही पिताजी ने ये भी लिखा हुआ था की राजकुमारी निहारिका जितनी सूंदर राजकुमारी सारे राज्य में नहीं थी।

मैंने डायरी के दो-चार पन्ने आगे और खोले। जिसमें पिताजी ने ये लिखा था कि एक बार उनको अपनी खोज के दौरान एक जादुई छड़ी के बारे में पता चला। जो सदियों पहले स्वर्ग से गिरकर धरती पर ही कहीं खो गई थी और आज तक किसी को भी नहीं मिली। इस जादुई छड़ी के कारण धरती पर ईश्वर और शैतान की एक बहुत ही खतरनाक जंग हुई। लेकिन दोनों में से किसी को भी जादुई छड़ी नहीं मिली और जादुई छड़ी हमेशा के लिए धरती पर कहीं खो गई। जादुई छड़ी का धरती पर होना ये दर्शाता है कि शैतान आज भी धरती पर कहीं न कहीं है और ईस्वर के साथ जंग करने की तैयारी कर रहा है और साथ ही जादुई छड़ी के वापस मिलने का भी इंतजार कर रहा है और यदि ये जादुई छड़ी उस शैतान को मिल गई (जो संतान है एक काले अँधेरे की! जहाँ पर कोई जिंदगी नहीं और जिसका कोई अन्त नहीं है!) तो सारी मानवता पर शैतान एक केहर बनकर टूट पड़ेगा और मानव जीवन एक बहुत बड़े खतरे में पड़ जायेगा। एक बार फिर से धरती वीरान हो जाएगी और एक बार फिर मनुष्य का धरती से नामो निशान मिट जायेगा।

मैंने डायरी के फिर से दो चार पन्ने आगे और खोले! जिसमें पिताजी ने ये लिखा था। कि उन्होंने किसी को भी बताए। बिना जादुई छड़ी के बारे में जानकारी जुटाना शुरू कर दिया। जादुई छड़ी के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए प्राचीन खोज के द्वारा और इतिहास में मिली उन सभी छोटी छोटी वस्तु और छोटी-छोटी कहानियों का अध्य्यन करना शुरू कर दिया। जो मुझे जादुई छड़ी के बारे में और जानकारी दे सकती थी और फिर मुझे धीरे-धीरे ये पता चला। कि इस जादुई छड़ी का निर्माण स्वर्ग में हुआ था और इस जादुई छड़ी का निर्माण स्वर्ग के सबसे शक्तिशाली राजा। राजा बेरो ने किया था। शैतान ने स्वर्ग को अपने आधीन करने के लिए, स्वर्ग पर हमला कर दिया था। इस हमले के कारण स्वर्ग बुरी तरह से तेहेष-नेहेष हो गया था। सभी देवता शैतान और उसकी खतरनाक फौज  के आगे कमजोर पढ़ने लगे थे। शैतान के इस हमले से जादुई छड़ी को बचाने के लिए और जादुई छड़ी कि रक्षा करने के लिए स्वर्ग के राजा राजा बेरो ने जादुई छड़ी को स्वर्ग से धरती पर कहीं दूर फेक दिया।

ताकि शैतान के हाथों से जादुई छड़ी को बचाया जा सके और फिर मैंने आगे का पन्ना खोला। आगे के पन्ने में कुछ भी नहीं था और ना ही आगे आने वाले पन्नों में कुछ था सारे पन्ने कोरे थे।

मैंने निराश होकर डायरी को बंद कर दिया और फिर मैंने वापस पिताजी की डायरी को पिताजी के बक्से में रखने कि सोची। मैं एक बार फिर पिताजी के बक्से के पास गया और मैंने एक बार फिर पिताजी का बक्सा खोला और डायरी वापस उसमें रख दी। बक्से में कुछ कपडे थे जो प्राचीन वस्तुए देखते वक़्त और डायरी निकालते वक़्त इधर-उधर हो गए थे।

मैं उन कपड़ों को वापस तरीके से रखने लगा तभी अचानक से मुझे पिताजी कि पैंट की जेब में कुछ कागज मिले। जब मैंने इन कागजों को खोला तो मुझे इन कागजों में कहानी के कुछ हिस्से मिले। कागजों में कहानी के कुछ हिस्सों को देखकर मैंने बक्से में से पिताजी की डायरी वापस बाहर निकाली और फिर वहीं पिताजी के बक्से के पास फर्श पर बैठकर मैंने डायरी को शुरू से पढ़ना शुरू किया। इस बार मैं डायरी का एक-एक पन्ना पढ़ना चाहता था पिताजी ने अपनी डायरी में लिखा था कि..... ।

Category:Stories



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Written by vedprakash kushwah