पहली बार मिले तो ये एहसास नही था
कुछ रस्में रिवाजें कुछ रीति थी मिलने की वजह
फिर तय हुआ, कि तुम ही मेरे घर आओगी।।
महीनो बाद फिर एक दिन तुमसे मिलना हुआ
वो अनुभव हम दोनो के लिए ही नया था।
तुमसे आज मिलना हो पाएगा या नहीं
ये सोचकर मैं बिल्कुल नही गया था।।
कुछ तुमने बताई, कुछ हमने बताई।
अपनी अपनी कहानी एक दूसरे को हमने सुनाई।।
जान पहचान का सिलसिला धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था।
लेकिन आपका ध्यान बार बार घड़ी पर जा रहा था।।
मेरे लिए ये अनुभव बिलकुल ही नया था।
बिठा के ऑटो में आपको, फिर मैं स्टेशन गया था।।
मशक्कत के बाद तय हुई सगाई की डेट।
जिसका हम दोनो को था बेसब्री से वेट।।
हुई सगाई अब थोड़ा अधिकार हमारा तुम पर था।
कुछ तुम्हारा हम पर था, कुछ हमारा तुम पर था।।
हुई सगाई अब शादी की तैयारी में लगना था।
बहुत दिनों से तुम बिन सूना मेरा अगना था।।
ब्याह रचाकर जब मैं तुमको अपने घर लाया था।
आज से सब कुछ तुम्हारा ये भी तो बतलाया था।।
तुम मेरे घर की लक्ष्मी, ये सबने था जान लिया।
तुमने भी घर को अपना घर था मान लिया।।
जो कुछ अच्छा जीवन में है
सब उसके कर्मों का फल है
मेरा तो दामन दागी है
वह देवी जैसी निश्छल है।
तुमसे प्रेम है लगाव है मुहब्बत है और इश्क भी
तुम्हारे सिवा किसी की चाहत नही रही
क्युकी चाहने में है बहुत रिस्क भी😆
जैसे
शर्बत में चीनी
प्यास में पानी
वैसे ही तुम बिन अधूरी है जिंदगानी।।
जैसे
जीने के लिए आस
फेफड़ों के लिए स्वास
वैसे मेरे लिए आप।।
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