डर के आगे जीत है…
एक कहावत है कि डर के आगे जीत है। यह केवल कहावत ही नहीं, बल्कि एक सच्चाई है। वास्तव में जो डर गया वह मर गया… यहां मर गया का आशय यह नहीं कि जीवन समाप्त हो गया, बल्कि इसके निहितार्थ यही हैं कि डरने वाला व्यक्ति कभी भी सफलता के मार्ग पर कदम नहीं बढ़ा सकता। सफल होने के लिए हमको उस मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए जो शिखर की ओर जाता है। जो डरता है उसके अंदर साहस की कमी होती है। यही साहस की कमी व्यक्ति को कमजोर बना देती है। जिसने अपने अंदर से डर को निकाल दिया, वह जीत की राह बना लेता है। इसलिए कहते है कि डर के आगे जीत है।
डर एक ऐसी अवस्था है जिसके कारण व्यक्ति के मन में कार्य करने की इच्छा तो होती है, लेकिन वह ऐसे भय से डरा हुआ महसूस करता है जो होता ही नहीं है। जैसे कोई व्यक्ति रेल में यात्रा कर रहा है। रेल ज़ब किसी पुल से गुजरती है, तब उस व्यक्ति के मन में फिजूल का ख्याल आता है कि अगर यह पुल टूट गया तो मेरा क्या होगा। यह एक ऐसा भय है, जिसका कोई समाधान नहीं है। इस प्रकार कई व्यक्ति अपनी प्रगति को अनजाने में ही रोक लेते हैं। इसको एक और उदाहरण से समझ सकते हैं। एक विद्यालय की कक्षा में अनेक छात्र होते हैं, उन छात्रों में से जिनमें साहस होता है, वह आगे निकल जाते हैं और जो यह सोचता है कि मैं तो छोटा काम करने के लिए ही बना हूँ। ऐसा व्यक्ति पहले से ही अपने मन में यह धारणा बना लेता है कि मैं यह कर ही नहीं सकता। जबकि वर्तमान में कई गरीब परिवारों के लडके भी सफल हो रहे हैं। सफलता के लिए जुनून चाहिए। कभी कभी व्यक्ति उस अवस्था में भी निराश हो जाता है, ज़ब वह अपने से बड़े यानी सुविधा संपन्न व्यक्ति से तुलना करने लगता है। ऐसी तुलना करने से स्वाभाविक रूप से व्यक्ति को छोटापन लगेगा और वह अपने दोस्तों के बीच हीन भावना का शिकार हो जाएगा। यह हीन भाव व्यक्ति के डर का एक बड़ा कारण है। इसलिए डर को बाहर निकाल कर बाहर फेंक दीजिए, तब देखिए आपका जीवन खुश हो जाएगा। खुश रहना आपका स्वभाव बन जाएगा तो आपको बड़े से बड़े कामों को करने के लिए मन से शक्ति मिलेगी। याद रखिए… खुशी भौतिक साधनों में नहीं होती, वह तो आपके अंदर ही होती है। उसे बाहर निकालने की आवश्यकता है। हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ख़ुश रहने से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है, और एकाग्रता से विचार स्थिर हो जाता है। कोई भी चीज अधिक समय तक याद रहती है। छात्रों के लिए एकाग्रता बहुत जरुरी है, यह तनाव को कम करता है और काम के प्रति लगन पैदा करता है।
कुल मिलाकर यह कहना ठीक होगा कि अपने मन के भीतर बैठे अनजाने भय को अपने पास नहीं आने दें। आप किसी काम को बिना सोचे समझे यानी जल्दबाजी में न करें, क्योंकि यह अवस्था डर पैदा करने वाली होती है। काम के बारे में पहले पूरा विचार कर लें, साथ ही उस कार्य में आने वाली कठिनाई के बारे में चिंतन करके उसका समाधान खोजें। आपको निश्चित ही समाधान मिल जाएगा। सदैव याद रखें कि डर के आगे जीत है।
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