फ़ादर्स डे

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20 Jun '24
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पिछले साल आज ही के दिन सुबह- सुबह सिंह साहब को उनके बेटों ने स्मार्टफोन गिफ्ट करते हुए पांव छू कर उनसे आशीर्वाद लेते हुए फादर्स डे विश किया था । वैसे रहने के लिये तो उनके तीनों बेटे इसी शहर में रहते हैं , पर सबने अपनी अलग - अलग गृहस्थी बसा ली है । तीनों अपनी अपनी दुनिया मे खुश हैं, सिंह साहब भी छोटे बेटे के साथ हंसी खुसी जीवन बिता रहे थे लेकिन अपनी धर्मपत्नी के स्वर्गवास के बाद वो काफी उदास रहने लगे थे, पिछले कुछ दिनों से उनकी बहू और बेटे ने नोटीस किया कि वो काफी शांत और चुप चुप से रहने लगे हैं, पर वे चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते थे दोनो 9 से 5 की नौकरी में बंधे हुए थे । बच्चों की स्कूल, कोचिंग इन सबकी वजह से सिंह साहब के पास बिताने के लिए उनके पास समय ही नहीं बचता था, इसीलिए पूरे परिवार ने ये तय किया कि क्यों न पापा जी को एक स्मार्टफोन दे दिया जाए जिससे वो अपने पुराने दोस्तों, कलिगों से सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़े रहें , वैसे सिंह साहब शुरू से सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग के खिलाफ थे पर बच्चों की जिद के आगे उनकी एक न चली । धीरे धीरे सिंह साहब के बहुत से पुराने परिचितों से उनकी मुलाकात फेसबुक और इंस्टाग्राम के माध्यम से हो गई । और सबका व्हाट्सएप ग्रुप भी बन गया , अब उनका ज्यादातर समय सोशल मीडिया में ही बीतने लगा धीरे धीरे उनके चेहरे पर मुस्कान छाने लगी , अलग अलग ग्रुपों से मिले ज्ञानवर्धक वीडियो वो अपने दोस्तों और परिवार के ग्रुपों में शेयर करने लगे, शुरू शुरू में तो परिवार के सदस्यों ने उनके वीडियो को काफी पसंद भी किया और उस पर अच्छे अच्छे इमोजी के माध्यम से रिएक्ट भी करने लगे । उन्हें संतुष्टि थी कि अब उन्हें सिंह साहब की एक्स्ट्रा केयर करने की जरूरत नही पड़ती थी क्योंकि अब उनका अधिकांस समय फोन चलाते हुए बीतने लगा था । पर कोई भी नई चीज एक समय तक ही हमें आकर्षित करती है उसके बाद धीरे धीरे समय के साथ वो हमें बोझ लगने लगती कुछ इसी तरह से सिंह साहब के सुविचार के msg और वीडियो का भी हाल था अब उनके भेजे msg पर रिप्लाई आना कम हो गया था । वो बार- बार मोबाईल खोलकर देखते की उनके वीडियो को किसने लाइक किया , किसने कमेंट किया पर ,,,,,,,,, पहले तो घर के लैंडलाइन पर हर दूसरे तीसरे दिन बच्चों के फोन आजाते थे , पापा कैसे हें तबियत ठीक है या नहीं , अब तो कभी कभी gm, gn के msg आजाते है वही काफी है । ऐसा लगता कि हर सुबह ग्रुप में सिंह साहब के msg देखकर ही उनके बच्चे समझ जाते के पिताजी ठीक हैं ।
        समय बीतते गया और देखते ही देखते एक साल बीत गया , कल फिर से फादर्स डे है ।  इसी दिन तो बहुत प्यारा सा गिफ्ट बच्चों ने अपने पिता को दिया था ।  आज सिंह साहब ने सोचा क्यों न मैं भी अपने बच्चों को कुछ अच्छा सा गिफ्ट दूं, ये सोचकर उन्होंने  तीनों बेटों - बहुओं, नाती पोतों के लिए उनकी पसन्द के कपड़े खरीदकर रख लिए थी कि जैसे ही सब कल wish करने आएंगे सबको सरप्राइज दे दिया जायेगा । रात में प्रायः वो 9 बजे तक सो ही जाते थे पर आज 12 बज गए थे उन्हें नींद नही आ रही थी , काफी मेहनत करके उन्होंने गूगल में सर्च किया कि जब बच्चे फादर्स डे wish करेंगे तो उनका शुक्रिया कैसे करना है । उन्हें क्या बोलना है  । 
        सुबह  जैसे ही नींद खुली सबसे पहले उन्होंने मोबाईल खोलकर देखा किसने- किसने wish किया है ।  लेकिन एक्साइटमेंट में वे भूल गए थे कि उनके बच्चों को तो लेट उठने की आदत है, और अभी तो केवल 5 बजे थे । 10 बजते- बजते सभी के फादर्स डे के विश आ चुके थे , उनके तीनों बेटों ने , बहुओं ने फेसबुक में भी अपने पापा को टैग करते हुए शानदार शायरी के साथ अपनी अपनी सेल्फी पोस्ट की थी जिसे देखकर सिंह साहब का सीना फूलकर चौड़ा हो गया । अब सिंह साहब शाम होने का इंतजार कर रहे थे जब उनके तीनों बेटे अपने परिवार के साथ उनके पास आएंगे । उस दिन उन्होंने अपने रूम की सफाई खुद से की थी पूरा रूम चमक रहा था , मस्त इत्र की खुशबू से किसी बगीचे से महक रहा था वो कमरा, अब केवल इंतजार था इस खुशबू को महसूस करने वाले लोगों का,,,,,
            इसी इंतजार में टीवी देखते देखते कब  उनकी आंखे लग गयी उन्हें पता ही नहीं चला , वो तो उनकी नींद  घर मे नौकर के आवाज से खुली जो बार बार आवाज दे रहा था की बाबुजी खाना खा लीजिये 8 बज गए हैं । अचानक से 8 बजने का शब्द जब उनके कान में पड़ा वो दौड़े - दौड़े हॉल की ओर भागे , उन्हें लगा पूरा परिवार उनका  हॉल इंतजार कर रहा होगा और मैं सो गया , मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ । लेकिन ये क्या हॉल में तो कोई नहीं सिवाय सिंह साहब के और पीछे खाने की थाली लिए आते हुए नौकर के, जो कह रहा था बाबुजी साहब और मेमसाब बच्चों के साथ बाहर गए हैं । वो खाना बाहर ही खाएंगे । उन्हे आने में देर होगी आप खाना खा कर दवाई खा लीजिये । 
               दवाई खाकर  लेटे वो अपने फोन के देख रहे थे और सोच रहे थे, काश इस फोन की जगह कोई अपना उनके पास होता ,,,,,,,,,,,,,, 
    फिर उन्होंने अपने परिवार के व्हाट्सएप ग्रुप में हैप्पी फादर्स के बदले धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए msg किया और सो गए अगले फादर्स डे के इंतजार में,,,,,,,,,,,

पिता कभी अपनी सन्तान के लिये दिन या रात नही देखता, वो तो हर दम हर समय अपने बच्चों की खुसी मांगता है ईश्वर से ,,,,,,,,,,




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Written by prashant chaturvedi

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