पिता शक्तिशाली सबल हैं
पिता वह शक्तिशाली सबल हैं,
जो परिवार का वटवृक्ष सारथी हैं ,
जो हर मुसिबत में साथी हैं,
अपने गम भूलाकर ,
संसार का श्रेष्ठ पिता , कहलाता हैं
रात-दिन मेहनत कर,
परिवार में खुशीयाँ लाता हैं
अपने अरमान , दुःख-दर्द भूलकर ,
चेहरे के भाव दबाकर ,
परिवार में रौनक लाता हैं
पत्नी – बच्चें , माता-पिता ,
सभी रिश्ते नाते के
ख्वाहिशें पुर्ण करना,
फ़र्ज़ समझता हैं
सबके शुलभरे बोल सुनकर,
अपना मन मारता हैं
परिस्थिति वश कर्ज होता हैं,
क्यों ? लिया यह भी सुनना हैं
अच्छे कर्म में सभी एकरुप ,
बुरे कर्म में सभी अलग-अलग
बोझ सहकर सुझ-बुझ से ,
कर्ज़ पार करते हैं
अन्न, वस्त्र, निवारा देने तक,
जन्मदिन से शादी कराने तक,
पिता ही मुख्य सुत्रधार हैं
परिपूर्ण परिवार ,
सदैव पिता ही होता हैं
स्व-रचित/मौलिक -
- राजू गजभिये (सीताराम)
Raju Gajbhiye