पिता शक्तिशाली सबल हैं

पिता

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29 May '24
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पिता शक्तिशाली सबल हैं

पिता वह शक्तिशाली सबल हैं,
जो परिवार का वटवृक्ष सारथी हैं ,
जो हर मुसिबत में साथी हैं,
अपने गम भूलाकर ,
संसार का श्रेष्ठ पिता , कहलाता हैं

रात-दिन मेहनत कर,
परिवार में खुशीयाँ लाता हैं 
अपने अरमान , दुःख-दर्द भूलकर ,
चेहरे के भाव दबाकर , 
परिवार में रौनक लाता हैं

पत्नी – बच्चें , माता-पिता ,
सभी रिश्ते नाते के 
ख्वाहिशें पुर्ण करना,
फ़र्ज़ समझता हैं 
सबके शुलभरे बोल सुनकर,
अपना मन मारता हैं

परिस्थिति वश कर्ज होता हैं,
क्यों ? लिया यह भी सुनना हैं 
अच्छे कर्म में सभी एकरुप ,
बुरे कर्म में सभी अलग-अलग
बोझ सहकर सुझ-बुझ से ,
कर्ज़ पार करते हैं

अन्न, वस्त्र, निवारा देने तक,
जन्मदिन से शादी कराने तक, 
पिता ही मुख्य सुत्रधार हैं 
परिपूर्ण परिवार , 
सदैव पिता ही होता हैं

स्व-रचित/मौलिक -
-    राजू गजभिये (सीताराम)

Category:Poem



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Written by Raju Gajbhiye

Raju Gajbhiye