तजुर्बा जिंदगी का

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10 Jun '24
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  लांक डाउन के बाद स्कूल खुलने ही वाला था
फाइनली मैं भी रिज्यूम लेकर रेडी हो गई थी
स्कूल टू स्कूल जाकर रिज्यूम लगाऊंगी मेरा बेटा भी पढ़ने के लायक हो गया था
 उसका भी एडमिशन करवाना था 
मैं कहीं भी जाती रिज्यूम लगाने मुझसे एक्सपीरियंस पूछते जो की मेरे पास नहीं था 
दस पन्द्रह साल हो गए थे मुझे स्कूल छोड़े हुए और एक्सपीरियंस कहां से होगा वक्त बदल गया था 
पढ़ाने का तरीका बदल गया था सब कुछ तो बदल गया था
उस हिसाब से नए माहौल में ढल पाना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल था
 मैं कहीं भी जाती सब जगह से निराशा हाथ लगती 
हालांकि पन्द्रह जगह रिज्यूम लगा कर थक चुकी थी मेरी मेहनत रंग लाई  पांच स्कूलों से मुझे कॉल आया सारे स्कूल दूर थे जो थोड़ा पास उसके लिए मैने हामी भर दी 
कल से स्कूल जाना  था घर पर बैठी यही सोच रही थी 
और कपड़े धो रही थी 
तभी  दरवाजे की घंटी बजी मैं दौड़ के दरवाजा खोलने गई देखा की एक मैडम और एक सर स्कूल के सर्वे के लिए आए थे मुझे स्कूल का पर्चा पकड़ाते हुए कहां की आपके घर में कोई बच्चा है पढ़ने वाला एडमिशन के लिए आए हैं मैंने बोला हां एक बच्चा भी है पांच साल का और एक टीचर भी है वह सामने से हंसने लगे उन्होंने बोला  स्कूल का एड्रेस लिखा हुआ है आप कल आजाएगा बस और क्या था  मैंने स्कूल का एड्रेस देखा जो मेरे घर से करीब थोड़ी दूर पर ही था शायद मेरी कॉलोनी में कोई नया स्कूल खुला रहा था 
मैने अपने बेटे को लिया और मैं वहां चली गई 
सामने वही सर बैठे हुए थे उन्होने पुछा एक्सपीरियंस है मैने हां हैं पर कई साल हों गए पहले पढ़ाया था 
बोला कि आप कर कर लेंगी  वक्त के हिसाब से ख़ुद ढाल लेंगी मैने बोला यस सर मैं कर लूंगी 
लेकिन साथ में उन्होंने जो  बातें मुझे कहीं  मैंने उम्मीद भी नहीं की थी
" प्रिंसिपल सर मुझे समझाए  अगर हम सब एक्सपीरियंस वालों को रखेंगे तो एक्सपीरियंस देगा कौन एक्सपीरियंस  हम देंगे तभी तो होगा 
हम एक महीने तक नए नए टीचर को बुलाएंगे डेमो लेंगे 
और एक्सपीरियंस नही होगा तो निकाल देंगे 
टाइम हमारा भी वेस्ट होता है हम निकालने के बजाय 
उन्हे थोड़े से वक्त में अच्छा सिखा सकते हैं तब वो हमारे स्कूल के लिए अच्छा काम करेंगे वो भी एक्सपीरियंस के साथ "
मैं मन ही मन  सुन रही थी और यह भी सोच रही थी कि ऐसी भी सोच वाले लोग हैं




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Written by Anju Dubey