अस्तित्व एक रहस्य है



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अस्तित्व एक रहस्य है

हम क्यों जन्म लेते हैं और क्यों मर जाते हैं?

किसलिए बनी है यह दुनिया ?

कौन है दुनिया चलाने वाला?

क्यों हैं ये सूर्य, चंद्र और तारे?

ये पशु पक्षी,ये जीव जंतु

ये नाते रिश्ते अपने पराये?

समझ में किसी को कुछ नहीं आता 

भरी हुई लायब्रेरियां हैं

धर्म ग्रंथ हैं

प्रयोगशालाएं हैं

खगोलशालाएं हैं

आती है एक उड़न तश्तरी और हमें चौंका जाती है

धरा का धरा रह जाता है ज्ञान विज्ञान

एक परिजन की मौत रुला जाती है

उसके शव को देखते हुए सोचते हैं हम

कहां चला गया  यह?

क्या फिर कभी मिलेगा?

एक कीड़े से ज्यादा बड़ा नहीं है आदमी का वजूद 

इतना पढ़ने लिखने के बाद भी हम एक अनपढ़ आदमी के बग़ल में खड़े हैं

सभ्यता और संस्कृति 

सब झूठ

ज्ञान और विज्ञान

सिर्फ़ मनबहलाव

हम वहीं खड़े हैं जहां लाखों साल पहले नंगे खड़े थे

बर्बर और हिंसक

सामने वाले को देखकर दांत निकालते और गुर्राते

वह देखो

बम गिरा,धमाका हुआ,आग लगी

लोग जल जल के मरे

बने हुए मकान गिरे

कौन कर रहा है यह सब?

हमारी बनाई धारणाएं

ये देश,ये भूगोल

ये धर्म,ये इतिहास 

ये श्रेष्ठता का अहंकार

ये क्रूर से क्रूर विचार 

अरे, ये कहां आ गये हम?

स्वर्ग नरक

शराब शबाब

जब हमें कुछ नहीं दिखाई देता तो ऐसे में हम

जियो और जीने दो को अपनाएं

और जहां तक हो

दूसरों को कष्ट न पहुंचाएं

ज़रूर कुछ है जो हमें देख रहा है

और क्षण क्षण लेख रहा है

हम सह अस्तित्व की शर्तों को मानें

और अधिकाधिक जो ज्ञेय है उसे जानें

 

 

 

 

Category:Literature



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Written by डॉ अनिल गौड़

कवि

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