हर नर युग का कल्पवृक्ष है, कामधेनु हर नारी

गीत

ProfileImg
18 Nov '24
1 min read


image

हर नर युग का कल्पवृक्ष है, कामधेनु हर नारी।

जन-जन का मन ही मंदिर है, हर प्राणी अवतारी।।

 

एक-दूसरे के पूरक सब, मूल्यवान हर जीवन।

भला दूसरों का करने को, करें समर्पित तन-मन।।

नाम अमर कर सकते हैं हम, बनकर पर-उपकारी।

हर नर युग का कल्पवृक्ष है, कामधेनु हर नारी।।

 

जीवन एक बाॅंसुरी-सा है, छेद दर्द के जिसमें।

सीखें इसे बजाना यदि हम, तो मीठी ध्वनि इसमें।।

कला जिंदगी जीने की, निखरे यदि नित्य हमारी।

हर नर युग का कल्पवृक्ष है, कामधेनु हर नारी।।

 

है जि़न्दगी जलेबी जैसी, टेढ़ी-मेढ़ी अतिशय।

हॅंसी-खुशी की लगा चासनी, इसे बनाएं मधुमय।।

कोई इम्तिहान जीवन का, पड़े न हम पर भारी।

हर नर युग का कल्पवृक्ष है, कामधेनु हर नारी।।

 

अच्छे लोग साथ देते हैं, बुरे सबक देते हैं।

यह हम पर निर्भर है किससे, हम कब क्या लेते हैं।।

यत्नों के सम्मुख सदैव ही, हर अड़चन है हारी।

हर नर युग का कल्पवृक्ष है, कामधेनु हर नारी।।

 

बनें न हम पीपल के पत्ते, लहराकर झर जाते।

मेंहदी के पत्ते पिसकर भी, अभिनव रंगत लाते।।

रंग दूसरों के जीवन में, भरें, बने छवि न्यारी।

हर नर युग का कल्पवृक्ष है, कामधेनु हर नारी।।

 

डसें न बनकर सर्प किसी को, जिएं गाय-सा जीवन।

रिश्ता-दिल-विश्वास न तोड़ें, वचनों को मानें धन।।

हम जन-जन में जोश जगाएं, छाने न दें खुमारी।

हर नर युग का कल्पवृक्ष है, कामधेनु हर नारी।।

 

@ महेश चन्द्र त्रिपाठी

 

Category:Poem



ProfileImg

Written by Mahesh Chandra Tripathi

0 Followers

0 Following