Ek koshish/ इक कोशिश

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18 May '24
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इक कोशिश की,

तुम्हारे बगैर 

इक रात गुजारने की।

और बुरी तरह 

नाकामयाब हो गया…

वो इक रात,

मैंने जाना कि 

मैंने क्या खो दिया..

वो इक रात,

इतना जाना और

दिल ने रो दिया…

ख़ैर छोड़ो..

वो रात तो 

सुबह में बदल गई

याद थी, आईं

और फिर 

आंसू बनकर निकल गई

 

 

Category:Poetry



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Written by Ritesh Raj