प्रकृति का साथ दीजिए,
साथ देगी प्रकृति भी…
एक वृक्ष अनमोल है,
जिंदगी के लिए…
वही सींचता है जीवन,
देता है सांस जीवन की।
हरियाली भाती है हमको,
सुकून भी देती आंखों को,
सूखे दरख़्त नहीं सुहाते,
वीरान सा लगता जीवन…
नहीं दिखता आनंद खुली आंख से,
मन में उठता ज्वार,
जैसे उड़ रही हो रेत,
सूखे रेगिस्तान में।
धरा का श्रृंगार नहीं तो,
प्रकृति नहीं…
जीवन भी नहीं…
उम्मीदें भी नहीं…
करें संकल्प हम सभी,
लगाएं एक पेड़…
धरा के श्रृंगार के लिए…
जीवन के लिए…
महकती साँसों के लिए,
नव निर्माण के लिए,
अपने लिए और अपनों के लिए।
तभी खुशहाल होगा परिवेश,
और तभी दिखेगा…
सुंदर और सुरम्य भारत देश।
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