कारगिल युद्ध, भारतीय इतिहास की एक ऐसी कहानी है जिसमें वीरता, साहस, और देशभक्ति तीनों की झलक एक साथ दिखाई देती है। जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव हद से ज्यादा बढ़ चुका था , कश्मीर क्षेत्र में लगातार आतंकवादी गतिविधियां बढ़ती जा रही थी
युद्ध एक महत्वपूर्ण समय में हुआ, ऐसे में मजबूरी में भारत के वीरों की को शस्त्र उठाकर लड़ना पड़ा था।
आज हम अपने इस आर्टिकल में आपको ले चलेंगे उसी अद्वितीय युद्ध की कहानी में, जिसमें देश के जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बिना सीमा के लिए लड़ाई लड़ी थी। हम जानेंगे कैसे भारतीय सेना ने परवाह किए बिना युद्ध के मैदान में अपनी वीरता का प्रदर्शन किया।
भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश के परमाणु बम बनाने के पश्चात होने वाले प्रथम सशस्त्र युद्ध का नाम है कारगिल युद्ध। इस युद्ध को भारत सरकार के ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है।
आईए जानते हैं यह युद्ध कब, कहां, किनमे और क्यों हुआ था?
कारगिल युद्ध का प्रारंभ कब हुआ और कारगिल युद्ध कितने दिनों तक चला था?
कारगिल युद्ध 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था। कारगिल युद्ध की आरंभिक तिथि 3 मई 1999 थी, जब भारतीय सेना को पाकिस्तान के द्वारा आक्रमण की जानकारी मिली। कारगिल युद्ध जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में लड़ा गया था, यही कारण है की इस युद्ध का नाम कारगिल युद्ध रखा गया।
कारगिल युद्ध 2 जुलाई 1999 तक चला था, अर्थात कारगिल युद्ध 60 दिनों तक चला था।
1999 का कारगिल युद्ध किस देश ने जीता था ?
कारगिल युद्ध भारतीय सेना के द्वारा जीता गया था। कारगिल के इस ऐतिहासिक युद्ध में भारत की सेना का नेतृत्व सेना नायक वेद प्रकाश मलिक कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की ओर से पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व पाकिस्तान के सेना नायक परवेज़ मुशर्रफ कर रहे थे।
इसलिए इस युद्ध का एक नाम ऑपरेशन विजय भी है।
कारगिल जिले में लगभग 18000 फीट ऊँचाई पर चल युद्ध में 60 दिनों तक लगातार लड़ने के बाद आखिरकार भारतीय सेना ने कारगिल सेक्टर में पाकिस्तान के सैनिकों को पुनः भारत की सीमा पार कर पाकिस्तान लौटने पर मजबूर कर दिया था।
कारगिल युद्ध के कारण क्या है ?
कारगिल युद्ध का मुख्य कारण था, पाकिस्तान की सेना का उग्रवादियों के साथ मिलकर भारतीय कश्मीर के हिस्से को कब्ज़ा करने की कोशिश करना। 3 मई को भारतीय सेना को सूचना मिली कि पाकिस्तान की सेना ने कुछ उग्रवादियों के साथ मिलकर भारतीय कश्मीर के एक हिस्से पर हमला करने की कोशिश की है इसके पश्चात सेना की ओर से भी जवाबी कार्यवाही की गई
कारगिल युद्ध के हीरो कौन-कौन है?
वैसे तो कारगिल युद्ध में कई सारे हीरो थे, परंतु यह हम कुछ प्रमुख नामों को ही लिख पा रहे हैं।
जैसे कि:
Captain Vikram Batra: भारतीय सेना के कैप्टन विक्रम बत्रा ने जो बहादुरी कारगिल के युद्ध में दिखाई थी उसके लिए वे "शेरशाह" के नाम से भी प्रसिद्ध है।
Major General Hanut Singh: भारतीय सेना के महत्वपूर्ण सेनाध्यक्ष हनुत सिंह का कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण योगदान था।
Squadron Leader Ajay Ahuja: अजय आहूजा वायुसेना पायलट थे। जिन्होंने युद्ध के दौरान अपनी जान की परवाह न कर, कई कठिनाइयों का सामना किया।
S. Krishna - वायुसेना प्रमुख एस. कृष्णा ने भी कारगिल युद्ध के प्रमुख योद्धा थे।इन दोनो ने भी कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थीं।
कारगिल की लड़ाई में दोनो देशों के कितने जवान शहीद हुए हैं?
कारगिल युद्ध के दौरान दोनों देशों के कई जवानों की शहादत हुई थी। इस युद्ध के दौरान हुए सैन्य नुकसान के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार
भारत - मौजूद आंकड़ों के अनुसार कारगिल युद्ध में भारत के 527 सैनिक मारे गए थे। तो वही 1363 सैनिक घायल हुए थे और 1 सैनिक युद्ध बंदी बना था। यह तो हुई भारतीय सैनिकों की बात परंतु कोई भी युद्ध बिना हथियारों के नहीं लड़ा जाता और हर युद्ध में हथियारों के साथ-साथ कई सारे विमान, हेलीकॉप्टर भी इस्तेमाल होते हैं। जिनमें भी काफी बड़ी लागत लगती है। कारगिल युद्ध में भारत के कुछ विमान और हेलीकॉप्टर भी क्षतिग्रस्त हुए थे।
पाकिस्तान - कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के लगभग 350 से 450 हुई थी। तो वही 665 से अधिक सैनिक घायल हुए थे और 8 युद्ध बंदी बनाए गए थे।
कुछ आंकड़े यह भी कहते हैं कि कारगिल युद्ध में लगभग 2700 पाकिस्तानी सैनिको की मृत्यु हुई तो वहीं 750 सैनिक युद्ध छोड़कर भाग गए थे।
कारगिल युद्ध में इस्तेमाल किए गए हथियार
भारत -
कारगिल युद्ध का परिणाम:-
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