सपने

सपने

ProfileImg
11 Jun '24
1 min read


नभ के बादल घुमड़ घुमड़ जब
आसमान पर छाये थे
कुछ ऐसी ही किस्मत लेकर
हम दुनिया में आये थे
हम तो अपनी आशाओं में
कुछ सपने बुनकर लाये थे
सपनों की उस बगिया के
कुछ फूल चुनकर लाये थे
गम नहीं इस बात का
कुछ दर्द यहाँ पर पाये थे
हम उनकी वो सौगातें
दिल में अपने छुपाये थे
रास्तों की भूल भुलैया
देख जरा चकराए थे
उम्मीदों का दामन थामे
हम आगे बढ़ आये थे

पं संजय शर्मा 'आक्रोश'

Category:Poem



ProfileImg

Written by Pandit sanjay sharma aakrosh