क्या वास्तव मे महिला का समाज मे स्थान है?

ProfileImg
28 Jun '24
2 min read


image

भारतीय संविधान ने भले ही महिलाओं को आरक्षण दे दिया he पर भारतीय परिवारों मे आज भी महिला की स्थिति वही है. किचिन के अंदर.. दरवाजे के पीछे..भले ही वो हायर एजुकेट हों. अच्छे ओहदों पर काम करती हों या कर चुकी हों.. आज भी ज़ब घर परिवार के अहम फैसले होते है तो उनकी राय लेना गलत माना जाता है वो यदि कुछ बोलने का प्रयास भी करें तो उन्हें अपमानित किया जाता है. भले ही उस निर्णय प्रक्रिया के पुरोधा पुरषों से वो अधिक शिक्षित और अधिक अनुभवी हों... महिला की बात मानना. समझना तो दूर. सुना भी नहीं जाता. और ऐसा करके कई बार पुरुष बहुत बड़ा नुकसान भी कर बैठते है. कहा जाता है कि ज्यादा लोगों की सलाह मतलब गलतियों की आशंका मे कमी और परफोमेंस मे सुधार किसी भी काम के लिए कारगर सिद्ध होता है.. लेकिन महिला को तो सलाह देने लायक भी नहीं माना जाता. बुद्धिमता की देवी सरस्वती भी एक महिला है. सुख स्मृद्धि की देवी लक्ष्मी भी महिला है. शक्ति और सामर्थ्य की देवी दुर्गा भी एक महिला है.. इनकी पूजा की जाती है लेकिन अपने परिवार की महिला को इन्ही निर्णायक मुद्दों से दूर रखा जाता है.. पता नहीं कि यह स्थतिया कब पूरी तरह बदलेगी.. लेकिन तब तक महिलाओं की एक या दो जनरेशन रो धो के दुनिया से जा चुकी होंगी.

Category:Social Commentary



ProfileImg

Written by archana saxena