हर पल हंसें याकि मुसकाएं,
कहें न, कुछ करके दिखलाएं ।
राय न देकर सदाचरण की
उसके उदाहरण बन जाएं ।।
सृजन करें, संहार करें मत,
कभी किसी से रंच डरें मत।
सदा अशंक रहें आजीवन
उर में संशय भाव भरें मत ।।
बनें अमरता के अभिलाषी,
लक्ष्य प्राप्ति के चिर प्रत्याशी।
फंसें न माया के चक्कर में,
परमपिता अंतस का वासी।।
चलते-चलते कभी थकें मत,
थककर भी हम कभी रुकें मत।
लाख बड़ी बाधा हो लेकिन
उसके सम्मुख कभी झुकें मत।।
करके योग बनें उपयोगी,
बनें नहीं हम सुविधा भोगी।
अगर हम रहें सदा कर्मरत
काया कभी न होगी रोगी।।
सदा मनोबल रखें बनाए,
कठिनाई कितनी ही आए।
सच्चा सन्त उसे ही कहते
जो मुश्किल में भी मुसकाए।।
पर निन्दा से बचें हमेशा,
अपनाएं परहित का पेशा।
वसुधा वश में हो जाएगी
भागेगा अरि का अंदेशा।।
महेश चन्द्र त्रिपाठी