करें जयनाद गरिमा-मय भारत का.......

राष्ट्र को निज-प्राण समर्पित



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करें जयनाद गरिमामय भारत का,
पुण्य-भूमि का हम सब करें ध्यान,
राष्ट्र-प्रेम से भीज बने दैदीप्यमान,
गुंजित स्वर में गाए प्रिय राष्ट्र-गान,
करतल ध्वनि गूंजे, जय हो भारत।।


गौरव*मय शीला लेख बीते काल-खंड का,
भारत भूमि, वेद-ऋचा हैं जिसका प्राण,
सोने की चिड़ियां जैसा अभूतपूर्व हैं नाम,
जो ज्ञान-पुंज का आलोकित दीप समान,
उसका करें जयनाद, जय हो भारत।।


जिस भूमि का कण-कण अमृत सा,
जहां बहती हैं अविरल तत्व-ज्ञान की धारा,
धरा के आँचल में भारत राष्ट्र हैं न्यारा,
ऊँचा शौर्य तिरंगे का अप्रतिम हैं शान,
हम सुस्वर कंठ से गाए, जय हो भारत।।

 

इस का रज-कण चंदन, अपने भाल लगाऊँ,
राष्ट्र-प्रेम से अह्लादित हो चरण-वंदना गाऊँ,
मां भारती हैं जन्म-भूमि, मैं तो शीश नवाऊँ,
जन्मा हूं इस भूमि पर, हैं मुझको अभिमान,
मन करतल स्वर से नाद करें, जय हो भारत।।

 

यहाँ के कण-कण में सिमटा हैं सृष्टि-वाद,
हैं वीरों की भूमि, होता हैं यहां सिंहनाद,
विज्ञान-ध्यान की धारा में लिपटा राष्ट्र-वाद,
यहां धर्म की ऋचाओं में स्फुरित होता प्राण,
गाऊँ उस पुण्य भूमि की जय, जय हो भारत।।
 

Category:Poem



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Written by मदन मोहन" मैत्रेय