जैसे ही सूर्या बैंडेज को बाध के वहा से हटती है । उसका पैर फिसल जाता है ।और सूर्या गिरने लगती है ।
लेकिन तभी अद्व्य की नजर सूर्या पर पड़ जाती है । अदवय झट से खड़ा हो जाता है । और सूर्या का हाथ पकड़ लेता है ।और अपनी तरफ खीच लेता है ।
जिससे सूर्या अदवय के ऊपर गिर जाती है ।और फिर दोनो जमीन पे गिर जाते है ।
जैसे ही दोनो जमीन पे गिरते है । तो दोनो को आंखे बंद होती है । लेकिन जब दोनो अपनी–अपनी आंखे खोलते है ।
तो एक–दूसरे की आखों में इस तरह खो जाते है । मानो एक–दूूसरे की आखों में ही उन दोनों की पूरी दुनिया वहीं बसी हो ।
हम इस क़दर तुममें खोते जा रहे हैं,
कि ना जाने कैसे तुम्हारे दिल में समाते जा रहे है ।
की तभी वहां फिर से एक पिऊन आ जाता है ।जैसे ही वो पिऊन कैबिन के दरवाजे को खटखटाता है ।
अदवय और सूर्या होश में आ जाते है । और फिर झट से सूर्या खड़ी हो जाती है । फिर तुरंत ही अदवय भी उठ के खड़ा हो जाता है ।
तब अदवय पिऊन को अन्दर आने को बोलता है । तब वो पिऊन अन्दर आता है । और बोलता है ।" अदवय सर आप की कॉफी"इतना ही बोलते coffee टेबल पे रख देता है ।
और फिर वहा से चला जाता है । थोड़ी देर बाद अदवय और सूर्या भी ऑफिस से मीटिंग के लिए निकल जाते है ।
लेकिन मीटिंग जब खत्म होती है । तो रात बहोत हो गई होती है । और फिर सूर्या की स्कूटी भी ऑफिस में ही होती है ।
तब सूर्या बाहर निकल के इधर–उधर देखने कोई आटो रिक्शा या टैक्सी को देखने लगती है ।
तभी अदवय भी अपनी कार ले कर आ जाता है ।और फिर सूर्या को रोड पे खड़ा देख के अपनी कार को रोक देता है ।
और फिर बोलता है । " अन्दर आके बैठो । " तब सूर्या सोचते हुऐ बोलती है ।"नही सर मैं खुद चली जाऊंगी ।"
तब फिर से अदवय गुस्से में सूर्या की तरफ देखते हुए बोलता है ।"बोला ना बैठो तो चुप चाप बैठो ।"
तब सूर्या चुप चाप आ के कार में बैठ जाती है । फिर जैसे ही अदवय की कार सूर्या के घर के सामने पहोचती है ।
सूर्या की मां (सुमन जी) दरवाजे से बाहर आ जाती है । और सूर्या को देख के एक बड़ी सी smail😍 सुमन जी के चेहरे पर आ जाती है ।
लेकिन जैसे ही सूर्या कार से बाहर निकल के आती है । तो सुमन जी सूर्या को बहोत ही प्यार से डाटने लगती हैं ।
तभी सूर्या भागती हुई सुमन जी के पास जाती है । और बोलती है । “रिलैक्स मां मैं आप को सब कुछ बताती हूं । पहले आप शांत हो जाओ और आप अन्दर चलो मैं खड़ूस को लेके आती हूं ।”
तब फिर सुमन जी बोलती है ।"ये तो तुम्हारे बॉस है न," तभी सूर्या अपना सर हां में हिलती है ।
तभी सुमन जी फिर बोलती हैं ।"अरे पागल लड़की किसी की इज्ज़त किया कर और ढंग से बोला कर ।"
" उस खड़ूस से ढंग से बात करू वो भी मैं, आप ये सब छोड़िए आप अन्दर चलो मैं आती हूं ।" इतना बोलते हुए सूर्या अदवय के कार के पास आ जाती है ।
और फिर अदवय से बोलती है । “अन्दर चलिए न सर प्लीज ।”
तभी अदवय बिना कुछ बोले ही कार का ग्लास बंद कर देता है । और फिर तुरंत ही अपनी गाड़ी स्टार्ट कर के वहा से जाने लगता है ।
अदवय को वहा से जाता देख सूर्या हल्का सा स्माइल करती है । और फिर अपने घर के अन्दर चली जाती है ।
जब सूर्या अन्दर जाती है । तो सुमन जी सूर्या से तुरंत पूछती हैं ।"क्या हुआ तेरा बॉस कहा है । वो नही आया अन्दर क्यू ।"
तब सूर्या अपनी मां से कहती है ।" मां आप तो जानती हो न कैसा है वो खड़ूस ।"
“मैं जब बोली अन्दर चलिए । तो पता नही उसके मन में क्या आया की तुरंत ही अपनी गाड़ी स्टार्ट किया और वहा से चला गया ।”
“आप ये सब छोड़ो मुझे खाना दे दो बहुत तेज भूख लगी है मुझे ।”
तब सुमन जी सूर्या से बोलती है ।"हा मैं तुम दोनों का खाना निकलती हूं, तू जा फेर्स हो जाना और शैली को भी बुला लेना खाने के लिए ।"
सूर्या "हा मां ठीक है ।" बोल के वहा से चली जाती है ।
फिर थोड़ी देर बाद सूर्या और शैली आ जाती है । और फिर सब लोग बात करते हुऐ खाना खाने लगते है ।
थोड़ी देर बाद सूर्या वहा से अचानक उठ के अपने कमरे में चली जाती है । थोड़ी देर बाद जब शैली कमरे में आती है । तो सूर्या से पूछती है ।
“क्या हुआ तू अचानक कमरे में क्यू आ गई ।”
तब सूर्या शैली को किर्ति के बारे में बताती है । और फिर सूर्या किर्ति को कॉल करती है । और पूछती है । की" उसका भाई कैसा है अब ।"
थोड़ी देर सूर्या किर्ति से बात करती है । और फिर सो जाती है ।
इधर हमारे अदवय बाबा सूर्या को उसके घर छोड़ के आ ही रहा होता है । की उसकी गाड़ी से एक लड़की टकरा जाती है ।
जिसने ब्लैक one piece पहन रखा थी । और उसके बाल खुले हुए थे । एक सर्कल एरिंग पहनी थी । उसका गेहुआं रंग था ।
और पिंक कलर की लिप्सटिक लगा रखी थी ।
अदवय तुरंत ही अपनी कार रोक देता है । और फिर तुरंत ही कार से बाहर आ जाता है । और उस लड़की को उठाने लगता है ।
जैसे ही अदवय उस लड़की की तरफ देखता है । तो अचानक से बोलता है । "तू ।" तभी वो लड़की बोलती है । “हां मैं ।”
फिर अदवय बोलता है । “दिव्या तू कब आई, तू तो USA में थी । न अपनी study करने गई थी न ।”
तब दिव्या बोलती है । “हा गई थी USA कल ही तो आई, हा मैं सूर्यवंशी विला गई थी । लेकिन वहा जाने के बाद पता चला की तुम कॉलेज में हो और फिर वही से ऑफिस चले जाओगे ।”
“फिर मैंने सोचा ऑफिस में ही चली जाती हूं । लेकिन वहा जाने के बाद पता चला की तुम एक मीटिंग के लिए बाहर गए हो अपने असिस्टेंट के साथ ।”
“तो फिर मुझे भी एक काम था तो मैं चली आई । और बताओ क्या हाल है । पहले जैसे सिंगल ही हो की कोई मिली हां ।”
तब अदवय हल्का सा मुस्कुराते हुऐ बोलता है ।"तुम्हे तो पता है । मैं इस बीमारी से दूर रहता हूं ।"
तब फिर दिव्या बोलती है ।"हां यार मैं कैसे भुल सकती हूं ।"
तभी दिव्या का फोन बजने लगता है । वो बस इतना ही बोलती है ।" मां का कॉल है । मैं चलती हूं ।"
और फिर तुरंत ही एक आटो में बैठ के वहा से चली जाती है ।
अदवय थोड़ा शॉक्ड हो के देखता ही रहा जाता है ।
To Be continue✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
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