दिग्गज बल्लेबाज मोहम्मद अजहरुद्दीन ने साल 1984 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। पर्दापण करते ही उन्होंने पहले तीन मैचों में शतक ठोक दिए। इस तरह वह पूरे देश में छा गए। अजहर का बल्लेबाजी करने का अंदाज कुछ खास था, वे कलाईयों के सहारे स्ट्रोक बहुत खूबसूरत तरीके से लगाते थे। अगर गेंद ऑफ स्टंप के बाहर भी हो तो वह अपनी कलाईयों का खूबसूरत इस्तेमाल करते हुए उसे मिड ऑन में खेलने का माद्दा रखते थे। अजहर खेलने के दौरान अक्सर ताबीज पहने नजर आते थे और उनकी ताबिज को लेकर खूब बातें उस दौर में सुनने को मिलीं। कईयों ने कहा कि उनकी ताबीज में काला जादू भरा हुआ है इसलिए वह इतना अच्छा खेलते हैं। बाद में वह टीम इंडिया के कप्तान बने और अब उनके कलाईयों के बेहतरीन इस्तेमाल को लेकर गली कूंचों मैं फैल गई।
एक अफवाह फैली की कि अजहर अपनी कलाई चारों ओर इसलिए घुमा लेते हैं, क्योंकि उनकी वह कलाई टूटी हुई है। लेकिन किसी ने मेडिकली इस बात पर गौर नहीं फरमाया और बात को स्वीकार कर लिया। सोचने वाली बात है कि अगर किसी बल्लेबाजी की कलाई टूटी हुई होगी तो वह बल्लेबाजी कैसे कर सकता है। मोहम्मद अजहरुद्दीन ने भारत की कप्तान एक दशक से ज्यादा समय के लिए की और इस दौरान टीम इंडिया को नई ऊंचाईयों में ले गए। साल 2000 की शुरुआत में उनपर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा और उनपर आजीवन बैन लगा दिया गया। अंततः साल 2012 में अजहर ने केस जीत लिया। अजहर की कप्तानी में भारत ने 47 टेस्ट मैच खेले जिसमें भारत को 14 मैचों में जीत और 14 मैचों में हार का सामना करना पड़ा तो वहीं वनडे में अजहर ने 174 मैचों में कप्तानी की है और 90 मैचों में जीत और 76 मैचों में हार का सामना करना पड़ा। अजहरुद्दीन ने अपने आखरी टेस्ट मैच में भी शतक जमाया था। अजहर ने अपने पूरे करियर में कुल 99 टेस्ट मैच खेले।