मौत!

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08 Jun '24
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Chapter -1

 

सहारनपुर,

 ठाकुर हवेली,

 

एक बेहद खूबसूरत काफी एकड़ में फैली हुई सफेद रंग की हवेली जो देखने में बेहद आलीशान थी। उसी हवेली के ऊपर इस वक्त काले कौवे हजारों की संख्या में एक घेरे में मंडरा रहे थे ,काले बादल छाए हुए थे ,और चारों तरफ कई साये गोल-गोल घूम रहे थे ,जैसे कि वह इस हवेली की रखवाली कर रहे हो, यह मंजर बेहद डरावना था यह हवेली इस वक्त खूबसूरत तो नहीं लेकिन एक भूतिया हवेली जरूर लग रही थी। चारों तरफ चील कौवे की डरा देने वाली आवाज़ें और जैसे की कोई चीख रहा है ,कोई रो रहा है ऐसी आवाजें आ रही थी जिसे सुनकर किसी की भी रूह कांप जाये।

 

"कहां हो तुम जल्दी बाहर आओ, वक्त नहीं है हमारे पास। हवेली के बाहर एक बच्चे को अपनी गोद में लिए एक शख्स ने कहा। 

 

जो इस वक्त बेहद घबराया हुआ लग रहा था। वो इस हवेली का मालिक शमशेर सिंह था जो अपने बेटे को गोद में लिए हुए अपनी पत्नी का इंतजार कर रहा था।

 

"लीजिए जी मैं आ गई , जल्दी चलिए। उसकी पत्नी ने बाहर आकर हल्की हड़बड़ाहट में कहा।

"जल्दी चलो इससे पहले सब कुछ खत्म हो जाए। शमशेर सिंह ने अपनी पत्नी का हाथ पकड़कर कुछ सोचते हुए कहा।

"रुकिए जी हमारा कुछ जरूरी सामान अंदर रह गया है हम अभी आये। शमशेर की पत्नी इतना कहकर बिना उसकी बात सुने सीधा घर के अंदर चली गई।

  तभी ठाकुर शमशेर ने अपने सिर पर हाथ रखते हुए परेशानी भरी आवाज मे अपने सामने खड़ी उस हवेली जिसके अंदर से चीखने चिल्लाने की आवाजें आ रही थी उसे देखते हुए कहा,"वह मर के अपनी काली शक्तियों के साथ वापस आईं है। अब वह इस पूरे गांव को खत्म कर देगी।

दूसरी तरफ,

हवेली के अंदर,

"मेरे पुस्तैनी कंगन इन्हें मैं कैसे छोड़ देती, यह तो हमारे पूर्वजों की निशानी है। ठाकुर की बीवी कौशल्या ने भावुक होकर कहा। जब की वह इस वक्त बहुत घबराई हुई थी उसके माथे पर पसीना था जिसे वह पोछते हुए अपने आप को शांत करने की कोशिश कर रही थी।

तभी कौशल्या ने कुछ सोच कर कहा," अरे वह हमारी शादी की एल्बम तो रह ही गई,कहकर वह चारों तरफ उस एल्बम को ढूंढने लगी।

 

तभी उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसे घूर रहा हो उसने मुड़कर देखा तो पीछे कोई नहीं था, वह दोबारा से अलमारी में एल्बम को ढूंढने लगी,तभी पीछे से हंसने की एक डरावनी आवाज आई ,जिसे सुनकर किसी की भी रुह कांप जाए।

 

"कौन है कौन है???? कौशल्या ने डरते हुए अपने पीछे देखकर कहा।

 

लेकिन तभी वहां उसे एक काला साया दिखा। घने काले लंबे बाल , काले कपड़े पहने ,डरावना चेहरा लिए एक काला साया उसे दीवार पर उल्टा लटका हुआ दिखा। जिसे देखकर उसकी एक चीख निकल गई,  आहह......…

कौशल्या जल्दी से गेट के पास गई, वह अपने कमरे का दरवाजा खोलकर बाहर आई जल्दी से वह सीडीओ से उतरने लगी। तब अचानक से पूरी हवेली की लाइट चली गई, चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा हो गया, जिससे यह मंजर बेहद डरावना हो गया।

" हाहाहाहाहा हाहा!" पूरी हवेली में चारों तरफ उस सायं की डरावनी हंसी गूंज रही थी। और चारों तरफ कई आत्माओं की हंसने की आवाज़ें आ रही थी, चील कौवे हवेली के अंदर आ जा रहे थे। जिसे देखकर कौशल्या कांप रही थी, आज उसे अपनी मौत दिख रही थी।

कौशल्या अभी सीढ़ियां उतर ही रही थी कि उस साये ने उसे पीछे से धक्का दिया और वह सीडीओ से फिसल कर नीचे गिर गई। लेकिन अभी भी उसकी सांसे चल रही थी।

 

जैसे तैसे उसने उठकर भागने की कोशिश की लेकिन तभी वह साया उसके चारों तरफ घूमने लगा तभी उस साये ने उसे एकदम से ऊपर उठा दिया और गोल-गोल करके एक साइड फेंक दिया।

जिससे कौशल्या को बहुत चोट आई, तभी उस साये ने अपनी उंगलियों को आगे किया और कुछ मंत्र पढ़ कर हवेली की दीवार पर बने झूमर की तरफ उस मंत्र को फूंक दिया।

तभी वह सीलिंग पर बना झूमर सीधे कौशल्या के ऊपर गिरा झूमर के गिरते ही चारों तरफ खून ही खून फैल गया और कौशल्या ने वही अपना दम तोड़ दिया।

 

उस डरावने साये ने अपना पहला शिकार कौशल्या को बनाया और उसकी जान ले ली।

हवेली के बाहर,

कौशल्या की चीख सुनकर शमशेर ठाकुर की आंखों में खौफ आ गया। 

 

तभी शमशेर ने डरते हुए खुद से कहा ,"मुझे कुछ करना होगा नहीं तो आज मेरा पूरा परिवार बर्बाद हो जाएगा और यह हवेली सहित पूरा गांव एक शमशान बन जाएगा। वह साया मोत की तबाही लेकर आएगा।

 

यह कहकर शमशेर ने उस हवेली का बड़ा सा गेट खोला, गेट खोलते ही उसे कौशल्या सामने दीवार पर उल्टी लटकी हुई दिखी ,उसके पैरों को देखकर ऐसा लग रहा था कि वह कोई इंसान नहीं बल्कि कोई शैतान थी ,जिसे देखकर शमशेर घबरा गया और उसकी आंखों में एक खोफ आ गया।

 

तभी उसे हवेली मैं चीखने चिल्लाने की आवाजे तेज आने लगी , चारों तरफ चील कौवे उड़ने लगे , जिसे देखकर शमशेर ने अपने बेटे की आंखों को ढक दिया।

 

और तुरंत हवेली का गेट बंद कर के वहां से भाग गया।

 

तभी शमशेर ने एक बार पीछे मुड़कर हवेली की तरफ देखा, तो हवेली के ऊपर कई लासें उल्टी लटकी हुई दिखी ,उन लासों के मुंह खुले हुए थे और उनके मुंह से खून निकल रहा था , वो लासें शमशेर को देखकर डरावनी हंसी हंस रही थी , उन लाशों के मुंह से निकलता हुआ खून हवेली के चारों तरफ गिर रहा था यह मंजर बेहद डरावना था।

 

जिसे देखकर शमशेर एक बार फिर तेजी से भागने लगा,वह जल्द से जल्द इस हवेली से दूर जाना चाहता था। लेकिन उन भूत पिशाचों की चीखने-चिल्लाने की आवाज़ें शमशेर को चारों तरफ से आ रही थी जिससे डर की वजह से उसके माथे से पसीना आ रहा था।

 

शमशेर भाग ही रहा था कि तभी वह साये उसके चारों तरफ मंडराने लगे, जिसे देखकर वह बहुत ज्यादा डर गया तभी उसे सामने से उसका नौकर अपनी तरफ भागता हुआ दिखा।

 

नौकर के शमशेर के पास आते ही वह साये हवा में गायब हो गए।

 

तभी शमशेर ने उस नौकर को देखते हुए घबराहट भरी आवाज में कहा," वह मर के वापस आ गई है वह अब मुझे नहीं छोड़ेगी, इससे पहले वह मेरे पूरे परिवार को बर्बाद करें तुम मेरे बेटे को लेकर यहां से बहुत दूर चले जाओ। 

 

 

" लेकिन ठाकुर साहब वह तो आपके बेटे को भी नहीं छोड़ेगी अगर मैं इसे लेकर भाग गया तो वह मेरे पीछे जरूर आएगी। वैसे भी इस गांव में आए दिन मौतें हो रही हैं। नौकर ने परेशान होते हुए कहा।

 

शमशेर ठाकुर कुछ सोचते हुए बोला ," नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा तुम इसे ले जाओ वह मेरे पीछे आएगी। और सुनो तुम्हें इस गांव से बहुत दूर जाना है क्योंकि तुम यहां नहीं रह सकते अगर तुम यहां रहे तो वह मेरे बेटे को नहीं छोड़ेगी वह हर दिन एक शख्स की जान ले रही है वह मेरे बच्चे को कुछ करें इससे पहले तुम उसे लेकर यहां से बहुत दूर चले जाओ।

 

 

"वक्त नहीं है जल्दी जाओ। शमशेर के यह कहते ही नौकर वहां से चुपचाप चला गया।

 

 

और ठाकुर एक बार फिर भागने लगा। उसे उस साय का ध्यान अपनी और करना था जिससे उसका नौकर उसके बेटे को यहां से ले जा सके।

 

 

तभी ठाकुर हवेली के सामने पहुंचा तो उसके सामने चारों तरफ एक बार फिर से कई साये मंडराने लगे। और ठाकुर के चारों तरफ वो साये भूत पिशाच और आत्माएं घेरे में घूमने लगी।

 

तभी एक साये ने ठाकुर का गला पकड़ कर उसको ऊपर उठा दिया जिससे ठाकुर की सांसें उखड़ने लगी। तभी एक बड़ी सी चील ठाकुर के चेहरे पर लिपट गई और अपनी चोट को उसके चेहरे पर मारने लगी।

 

अचानक से उस साये ने ठाकुर का गला छोड़ दिया, झटके से ठाकुर जमीन पर जा गिरा। वह भूत पिशाच सारी आत्माएं मिलकर ठाकुर के सर पर गोल-गोल घूमने लगी जिससे ठाकुर को चक्कर आने लगे। तभी वह सारे चील और कौवे ठाकुर के चेहरे पर चिपक गये और अपनी चोच से उसके चेहरे पर बार करने लगे। तभी पता नहीं अचानक जमीन से कई सारे कीड़े मकोडै निकले। जो ठाकुर के शरीर का खून चूसने लगे।

तभी एक बड़ा सा साया आया, घने काले लंबे बाल, काले कपड़े पहने हुए, और उसने ठाकुर को देखकर कुछ मंत्र पड़े और उसकी आंखों पर फूंक दिए,तभी ठाकुर की आंखें अचानक से जलने लगी और  वह चीखने चिल्लाने लगा और कुछ ही वक्त में ठाकुर अंधा हो गया। ठाकुर का पूरा शरीर नुच चुका था, शरीर में हर जगह से खून निकल रहा था।

 

 

और एक बार फिर चारों तरफ उस सायं की डरावनी हंसी गूंजनें लगी। हाहाहाहाहा.....…

 

 तभी सामने से एक डरावनी आवाज आई "तूने मेरे बच्चे को ......... इतना कहकर वह आवाज बंद हो गई।

 

इस आवाज को सुनकर ठाकुर की रूह कांप गई।

" तू तो तुम इतना कहकर ठाकुर ने अपने प्राण त्याग दिए। और वह साया खून की होली खेल गया।

 तभी उस साये की डरावनी हंसी वहां गूंज गई ," हाहा हां हां.....…

 

वह हवेली आज एक वीरान हवेली में बदल गई। आज से वह शमशान या भूतिया हवेली नाम से जानी जाने लगी।

 

20 साल बाद,.....…

 

 

क्या दुश्मनी थी शमशेर ठाकुर की भूतिया सायं से ???

क्या 20 साल बाद फिर वह साया खून की होली खेलेगा???

क्या होगा 20 साल बाद???? जानने के लिए सुनते रहिए!" कैद होने को है कोई।

Category:Stories



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Written by Anjali Sharma

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