बेटी

कविता

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01 Jul '24
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                                               बेटी

कलकल बहते झरने नदियाँ

बहती नदी का छोर हे बेटी |

अम्बर में पंछी नित गाए

पंछी का कलरव है बेटी |

बिंदिया , चूड़ी , झुमके ,कंगना 

कंगन की खनखन हे बेटी|

नथनी , रखडी , बिछिया , पायल,

पायल की छमछम है बेटी|

मन के भीतर हलचल - हलचल 

चेहरे से सागर है बेटी|

राग , द्वेष ,मद ,लोभ , मोह

भावसूची का सार है बेटी | 

पान का पत्ता ,बेल , धतूरा

आँगन की तुलसी है बेटी

हरी घास पर ओस का मोती

बड़े वृक्ष की छाव है बेटी |

Category:Poem



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Written by Kanika Mehta

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