पागल प्रेमी

प्रेमकथा

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14 May '24
19 min read


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कोलकाता के बाइपास स्थित एक गैर सरकारी अस्पताल मीडलैड हॉस्पिटल के अपने केबीन में बैठी हेड नर्स श्वेता राय सामने दीवार पर चिपकाई अपनी तस्वीर को निहार रही थी। उसकी निगाहें एक साधारण पेंसिल से उकेरी गई अपनी खूबसूरत ब्लैक एंड ह्वाइट तस्वीर पर टिकी हुई थी। तस्वीर पर नजरें गड़ए उसने खुद से सवाल किया- " क्या वह सचमुच इतनी खूबसूरत है! उसे तो इतनी खूबसूरत तस्वीर बनाने वाले पेंटर को कोई सुंदर गिफ्ट देना चाहिए।यह सोचते हुए उसके सामने राहुल का चेहरा उभर आया। करीब छह माह पहले राहुल राज नाम का एक युवा सिर में भयंकर पीड़ा के कारण लगभग 10 बजे रात को हॉस्पिटल में भर्ती हुआ था। उस दिन न्यूरो विशेषज्ञ व हास्पिटल के मालिक सुजीत बोस के शहर से बाहर होने के कारण श्वेता को नाइट शिफ्ट की ड्यूटी भी करनी थी। डा. सुजीत की अनुपस्थिति में अन्य डाक्टरों व सीमित स्टाफ के साथ पूरा अस्पताल संभालने की जिम्मेदारी उसी पर होती थी। दोपहर को लंच के समय वह घर गई थी और रात में ड्यूटी होने के कारण शाम को छह बजे दोबारा हॉस्पिटल चली आई थी। कुछ रोगी कों डिस्चार्ज करने और अन्य जरूरी फाइलें निपटाने में दो-ढाई घंटे बिते होंगे कि दर्द से छटपटाते हुए राहुल को ह्वील चेयर से पुरूष वार्ड में लाया गया। बेड पर पड़े राहुल जब जोर जोर से कराहने लगा तो श्वेता तेजी से चलकर उसके पास पहुंची। राहुल अपने सिर को दोनों हाथों से जोर से पकड़कर चिल्ला रहा था- " मैं नहीं बचूंग...। मैं मर जाऊंगा...। ओह...''

" अरे क्यों पागल जैसे चिल्ला रहे हो। हॉस्पिटल में सभी, कोई न कोई बीमारी और दर्द लेकर ही आता है और ठीक होकर जाता है." श्वेता ने सिर से उसके दोनों हाथ हटाते हुए कहा- "  कहां दर्द हो रहा है, बताओ मुझे. आंख बंदकर सोओ,  सब ठीक हो जाएगा। "

श्वेता के नर्म हाथों का स्पर्श पाकर राहुल थोड़ी देर के लिए शांत हुआ। उसकी नजर जवान और खूबसूरत नर्स श्वेता पर पड़ी ।कुछ क्षण बाद ही वह फिर कराह उठा- " सिस्टर... मेरा सिर फटा जा रहा है.... दर्द सहा नहीं जा रहा है।"

‘’कहां दर्द हो रहा है बताओ ?’’ ललाट को दबाते हुए श्वेता ने कहा- ‘’यहीं दर्द हो रहा है तो, अभी ठीक हो जाएगा।‘’

नहीं यहां नहीं, राहुल अपना सिर उठा कर मस्तिष्क के नीचे श्वेता का हाथ रखकर कहा- ‘’अरे बाप रे.., अब नहीं बचूंगा। दर्द नहीं जा रहा..।‘’

‘’ऐसी बातें नहीं कहते, मैं दवा खिला रही हूं, अभी दर्द ठीक हो जाएगा।‘’

श्वेता ने अपने सफेद जैकेट  के पॉकेट से से दर्द की एक टिकिया निकालकर राहुल के मुंह में खिलाते हुए कहा- ‘’ तुम आंख बंद करके सो जाओ। अभी तुमको आराम हो जाएगा।‘’ राहुल ने दवा खाने के बाद आंख बंद कर लिया। उसके आंख बंद करने के बाद श्वेता अपने केबिन में चली गई। उसे अपने केबिन में बैठे हुए 15 मिनट भी नहीं हुए होंगे उसकी कानों में फिर राहुल के कराहने की आवाज आई। वह उठ कर तुरंत राहुल के बेड के पास गई। वह जोर-जोर से कराह रहा था- ‘’बाप रे …, अब मेरा दर्द नहीं जाएगा…।‘’ मैं नहीं बचूंगा, मैं  मर जाउंगा। अब नहीं बचूंगा।..’’ राहुल के इस तरह कराहते देख इस बार न जाने क्यूं श्वेता के होठों पर एक हल्की मुस्कान बिखर गई। उसने राहुल को झकझोरते हुए कहा- ‘’ऐ सुनो ! हर आदमी के सिर में इस तरह का दर्द होता है। सिर दर्द से लोग मरने लगे तो दुनिया कब की खत्म हो गई होती। मैं बोली न की तुम आंख बंद कर के सो जाओ। दिमाग को थोड़ा आराम मिलेगा तो सब ठीक हो जाएगा।‘’

‘’सोने की कोशिश करता हूं… सिस्ट..र। लेकिन जब नींद आती है तो दर्द शुरू हो जाता है।‘’ राहुल ने कराहते हुए दोनों हाथ से सिर पकड़ कर चिल्लाने लगा- ‘’ बाप रे बाप…। अब नहीं बचूंगा;;;। मर जाऊंगा..।‘’

‘’नींद आती है तो दर्द शुरू होने लगता है’’- यह शब्द श्वेता के कानों में पड़ते ही उसका माथा ठनका। उसने अपने आप से कहा- ‘’यह क्या? पैरोसिटामोल टैबलेट में ड्यजीपाम का कंबनिनेश है। रात को भर्ती होने के साथ ही हाउस फिजिशियन ने इसको यही दवा प्रेसक्राइब किया था ताकि उसका दर्द भी कम हो जाए औऱ नींद भी लग जाए। लेकिन उसे नींद लगने पर दर्द हो रहा है। यह तो परेशान करनेवाली बात है।‘’

उसने कराहते हुए राहुल की ओऱ इशारा करते हुए कहा- ‘’रोओ मत, मैं डाक्टर से बात कर रही हूं। श्वेता ने अपना मोबाइल फोन से नंबर डायल किया- ‘’हां श्वेता बोलो सब ठीक है तो?  उधर से आवाज आई

 ‘’नहीं डॉक्टर बाबू। आज रात करीब 10 बजे एक मेल पेसेंट भर्ती हुआ है। उसके सिर में बहुत दर्द है। हाउस फिजिशियन ने दर्द और नींद की दवा प्रेसक्राइव किया है। दर्द कम नहीं होने पर मैंने दोबारा उसे पैरसेटामल और डायजीपाम का एक डोज दिया था लेकिन उसके बावजूद दर्द कम नहीं हुआ। पेसेंट बता रहा है कि नींद आती है तो उसके सिर में दर्द होने लगता है।‘’

ओ. डोंट वरी! दिस इज नाट ए नर्मम हेडएक आर मैग्रेन। द सिमटाम्स इज सिविवर इनसोमानिया। तुम उसे क्लोजोपॉम का एक ड्राइ डोज दो। टिकिया उसके जीभ के नीचे रखना। मैं दिल्ली जिसस काम से आय़ा हूं वह हो पूरा हो गया है। मैं सुबह की फ्लाइट से कोलकाता पहुंच जाउंगा। तुम परेशान मत होओ। जो दवा बोला हूं मरीज को खिला दो। दवा खिलाते ही उसे तुरंत नींद आ जाएगी। औऱ हां ज्यादा दर्द हो तो वोविरन का एक इंजेक्शन भी लगा देना। और सभी बेड के पेसेंट की हाल क्या है। नाइट सिफ्ट के सभी डाक्टर आ गए हैं तो !

‘’हां सर सभी डाक्टर आए हैं। सिर दर्द वाले रोगी को को छोड़कर बाकी सभी बेड के पेसेंट नार्मल हैं। खैर मैं उसे संभाल रहीं हूं। आप कल आइए तो उसका चेकअप कीजिएगा।‘’

‘’ओके थैक्स।‘’  इसके साथ आवाज कट गई।

 श्वेता ने तुरंत मेडीसिन स्टोर से क्लोजोपाम की एक माउथ डिसपोजल टिकिया लाकर राहुल के मुंह में जीभ के नीचे डाल दिया। दवा मुंह में डालते ही राहुल का सिर आराम के मुद्रा में एक ओऱ लुढ़क गया। श्वेता ने थोड़ी देर बाद एक इंजेक्शन भी लगा दी। उसे तुरंत नींद आ गई।

दूसरे दिन सुबह करीब 10 बजे राहुल के माता-पिता हॉस्पिटल पहुंचे तो वह गहरी नींद में सो रहा था। तब तक डॉ. सुजीत कुमार बोस भी अस्पाताल पहुंचे चुके थे। श्वेता ने राहुल के माता-पिता को डॉक्टर बोस के चैंबर में ले गई। डॉक्टर बोस ने राहुल के माता-पिता को अपने सामने की सीट पर बैठने का इशारा करते हुए कहा- ‘’ आपका जवान बेटा इंजायटी से पीड़ित है। लंबे समय तक इलाज चलेगा। उसे नींद नहीं आ रही है। हाई पावर की दवा और इंजेक्शन देने के बाद उसे नींद आई है। आज से नारमल दवा चलेगी। इसपर वह ठीक रहता है तो दो दिन के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। अभी आप लोग जा सकते हैं।‘’ डॉक्टर की बात सुनने के बाद राहुल के माता-पिता जाने के लिए उठ खड़े हुए।

दूसरे दिन सुबह जब श्वेता हॉस्पिटल पहुंची तो सीधे राहुल के बेड के पास गई। उसके सिर का दर्द ठीक हो गया था। वह बेड पर निढाल पड़ा था। श्वेता ने बेड के पास पहुंचते ही राहुल के चेहरे पर नजर डालते हुए पूछा- ‘’ कैसी है तुम्हारी तबियत, अब दर्द तो नहीं हो रहा है न!’’

‘’नहीं, अब दर्द नहीं है सिस्टर। बहुत कमजोरी लग रही है।‘’-  राहुल ने श्वेता की ओऱ देखते हुए कहा- ‘’ वाशरूम गया था तो थोड़ा माथा में चक्कर भी आ रहा था।‘’

‘’ यह तो दवा का असर है।‘’ श्वेता ने राहुल को समझाते हुए कहा- ‘’सब ठीक हो जाएगा। रात को जो नार्मल दवा दी गई थी वह कारगर साबित हुई। अब इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ेगी। मैं डॉ. बाबू को रिपोर्ट भेज रही हूं। आज शाम को तुम्हारी छुट्टी हो जाएगी। जो खतरा था वह टल गया।‘’

‘’ खतरा टल गया मतलब ‘’ राहुल ने चिंतित होकर पूछा

‘’ खतरा का मतलब यह कि  अब इमरजेंसी ड्रग्स औऱ इंजेक्शन देकर तुम्हें सुलाने की जरूर नहीं है’’  श्वेता ने राहुल को समझाते हुए कहा- ‘’ लेकिन नार्मल जो दवा है वह कुछ लंबा चल सकता है, यह डाक्टर बाबू अच्छा बताएंगे।‘’

‘’ इमरजेंसी ड्रग्स से ज्यादा मुझे आपकी अच्छी बातों से आराम मिला।‘’ राहुल ने श्वेता के चेहरे को निहारते हुए कहा- ‘’ इसके लिए मैं आपको तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं।‘’

‘’थैंक्स’’  श्वेता ने शांत लहजे में मुस्कराते हुए कहा- ‘’  अपने रोगी की सेवा करना एक नर्स का धर्म होता है। इसके लिए शुक्रिया अदा करने जैसी कोई बात नहीं है। हम सभी रोगियों के प्रति समान सेवा भाव रखते हैं। लेकिन तुम्हारी स्थिति कुछ गंभीर थी। इसलिए मुझे कुछ ज्यादा अटेंशन देना पड़ा। आज आफिस आते ही सबसे पहले मैं तुमको देखने ही आई। नार्मल दवा पर तुम ठीक हो यह जानकर मैं आश्वस्त और खुश हूं।‘’

इतना कहकर श्वेता अपने केबिन की ओऱ चली गई। श्वेता की उम्र 22-23 वर्ष के आप-पास थी। साधारण परिवार के होने के कारण उसने स्कूली शिक्षा के दौरान ही नर्सिंग की ट्रेनिंग ली थी और बारहवीं के बाद उच्च शिक्षा में नहीं जाकर वह हॉस्पिटल में जॉब करने लगी थी। बीमार बाप और दो छोटे-भाई बहन की पढ़ाई लिखाई की जिम्मेदारी उसके नजूक कंधे पर आ गई थी। हॉस्पिटल के मालिक डॉ. सुजीत कुमार बोस का वह भरोसेमंद थी। डॉ. एसके बोस के नाम से मशहूर जब सुजीत ने इस अस्पताल को एक छोटा नर्सिंग होम के तौर पर शुरू किया तभी से श्वेता उनके साथ जुड़ी थी। बाद में हॉस्पिटल जब बड़ा हुआ तो श्वेता का कद भी बढ़ गया। वह डॉ. बोस की अनुपस्थिति में हॉस्पिटल का सारा काम वह संभालती थी। डॉ.  बोस खूबसूरत और नर्सिंग में दक्ष श्वेता पर इस कदर भरोसा करते थे कि हॉस्पिटल के प्रबंधन में भी श्वेता से सलाह मशवीरा करते थे। डॉ. बोस के साथ रहकर वह चिकित्सा में भी इस तरह निपुण हो गई थी कि किसी हाउस फिजिशियन के नहीं रहने पर भी प्राथमिक उपचार कर स्थिति को संभाल लेती थी। इस तरह के दक्ष, खूबसूरत और विश्वासपात्र नर्स के रूप में श्वेता को पाकर डॉ. बोस निश्चित हो गए थे और अस्पताल को आगे बढ़ाने में भी सफल रहे। श्वेता अपनी खूबसूरत तस्वीर को निहारते हुए कल्पना लोक में विचरण कर रही थी कि अचानक केबिन में मालती दी के प्रवेश करने और टेबल पर चाय का कप व बिस्किट का प्लेट रखने से उसका ध्यान टूट गया। श्वेता के शांत बैठे देख अधेड़ उम्र की मालती दी ने कहा- ‘’ क्या बात है। आज शांत बैठी हो। देर होने पर चाय के लिए तो तुम पैंट्री तक पहुंच जाती थी !’’

‘’हां मासी’’ श्वेता ने बहाना बनाते हुए कहा- ‘’ मैं जानती थी कि आप खुद चाय देने आएंगी। इसलिए आज मैंने पैंट्री में जाकर आपको परेशान नहीं किया।‘’

समय इस तरह तेज रफ्तार से बित रहा था कि एक दिन रिसेप्शन से फोन काल श्वेता को ट्रांसफर किया गया। श्वेता ने फोन उठाया तो उधर से एक युवक की आवाज आई- ‘’गुड मार्निंग सिस्टर। मैं राहुल बोल रहा हूं। पहचान रही हैं !’’

‘’अरे हां, राहुल बोलो , तुमको कैसे भूल सकती हूं।‘’ श्वेता ने चहकते हुए कहा-  ‘’तुमने मुझे न भूलने वाला अनममोल उपहार जो दिया है। अक्सर तुम्हारी पेंटिग्स देखती रहती हूं और सोचती रहती हूं कि क्या मचमुच मैं इतनी खूबसूरत हूं। खैर, तबीयत कैसी है बताओ। दवा नियमित ले रहे हो तो !’’

‘’हां ले रहा हूं। लेकिन मन बहुत बेचैन रहता है।‘’ राहुल ने शांत लहजे में कहा – ‘’कभी-कभी सर में चक्कर आता है।‘’

‘’ देखो यह जो दवा है न, उससे शुरूआत में कभी-कभी सर में चक्कर आ जाता है।‘’  श्वेता ने समझाते हुए कहा- ‘’ दो-तीन  माह तक लगातार दवा चलने पर वह सेट हो जातr है। उसके बाद चक्कर नहीं आएगा।‘’

 ‘’लेकिन मन बहुत बेचैन रहता है।‘’  राहुल ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा- ‘’दिमाग को कनसंट्रेट नहीं कर पा रहा हूं।‘’

‘’यह भी दवा का एक तरह का साइट एफेक्ट ही है।‘’ श्वेता ने समझाते हुए कहा- ‘’मन को शांत रखने के लिए अच्छा गीत-संगीत सुनो,  सुबह योग-व्याम करो। सुबह नियमित खुली हवा में टहलो औऱ गरही सांस लेने की आदत डालो। सबकुछ ठीक हो जाएगा। वैसे सर में चक्कर आता है तो इसके बारे में डॉक्टर बाबू से पूछकर बताऊंगी।‘’

‘’ जरूर बताइगा सिस्टर। मुझे अपना मोबाइल नंबर भी दीजिए।‘’  राहुल ने शांत लहजे में कहा- ‘’ कुछ ज्यादा परेशानी होगी तो मैं आपसे सीधे बात करूंगा।‘’

‘’ जरूर, लीखिए मेरा नंबर- 9780256545’’ उधर से सुरिली आवाज आई।

‘’ओके थैक्स’’ राहुल ने नंबर नोट करते हुए कहा और उसके बाद फोन डिसकनेक्ट हो गया।

इस घटना के तीन-चार दिन बाद श्वेता अपने केबिन में मरीजों की कुछ जरूरी फाइल तैयार कर रही थी कि अचानक उसके मोबाइल फोन की घंटी बज उठी। उसने फोन कान से लगाया तो उधर से आज आई- ‘’ गुड मार्निंग सिस्टर। मैं राहुल बोल रहा हूं।‘’

‘’ हां बोलो राहुल, कैसे हो’’  श्वेता ने चेहरे पर मुस्कान बिखेरते हुए पूछा।

‘’कुछ ठीक नहीं !’’

‘’ अरे क्या हुआ ! श्वेता ने आश्चर्य से पूछा।

‘’ मुझे कुछ परेशानी हो रही है।‘’ राहुल ने शांत लहजे में कहा-  ‘’ मैं आपसे मिलना चाहता हूं  सिस्टर।‘’

‘’ आखिर परेशानी क्या है बताओ तो सही?’’

‘’ मैं हॉस्पिटल आ रहा हूं। आपसे मिलकर बताउंगा।‘’

‘’ ठीक है आओ। कितने देर में आओगे?’’

‘’सेकेंड हाफ में आता हूं।‘’

 ‘’ओके, वेलकम।’’

राहुल दो घंटों के अंदर हॉस्पिटल गेट पर पहुंच कर श्वेता को फोन किया और बताया कि वह आ गया है।

दोपहर को हॉस्पिटल में भीड़ नहीं थी। श्वेता ने रिसेप्सन में ही राहुल के साथ एक सीट पर बैठते हुए कहा- ‘’  बताओ, क्या तकलीफ है?’’

‘’ दवा खाने से रात में नींद तो आ जाती है लेकिन दिन में मन स्थिर नहीं रहता है।‘’ राहुल ने कहा

‘’ मैने कहा था न कि मन को शांत रखने के लिए अच्छा-अच्छा गीत-संगीत सुनो’’ श्वेता ने जिज्ञासा भरे लहजे में पूछा

‘’ सुनता हूं लेकिन उससे एक और नई समस्या पैदा हो गई है।‘’  राहुल ने अपनी पीड़ा व्यक्त की।

‘’ क्या नई समस्या पैदा हो गई है।‘’  श्वेता ने राहुल के चेहरे पर नजर गड़ाते हुए पूछा- ‘’ बताओ तो सही। मैं उसका उपाय बताती हूं।‘’

 ‘’ वो ऐसा है.. कि।‘’  राहुल के मुंह से आधे शब्द ही निकले

‘’बताओ। मुझसे निसंकोच बोलो ’’ श्वेता ने गंभीर होकर पूछा- ‘’ डाक्टर औऱ नर्स से कोई बीमारी छिपाई नहीं जाती।‘’

‘’ सिस्टर पता न आप क्या सोचेंगी।‘’  राहुल के चेहरे पर एक अजीब घबड़ाहट थी।

‘’ अरे मेरी चिंता छोड़ो यार !  श्वेता ने मस्त अंदाज में कहा- ‘’ रोज न जाने कितने पेंसेट की समस्या सुलझाती हूं।‘’

‘’ लेकिन मेरी समस्या..., असल में सिस्टर.. मैं जब गीत सुनता हूं तो मेरे जेहन में आपकी तस.. तसवीर.. उभरने लगती है।‘’  राहुल ने कांपते होटों से कहा

‘’ तसवीर बनी ही है इतनी सुंदर! श्वेता ने सहज अंदाज में कहा- ‘’ आखिर तुमने मेरी यह तस्वीर बनाई कब?

 ‘’ हॉस्पिटल में दूसरे दिन जब आप बेड पर मुझे देखकर चली गई तो मैंने आया से पेंसिल और पेज मांगा।‘’ राहुल ने सहज अंदाज में कहा- ‘’उसने रिसेप्शन से लाकर मुझे दिया। उसके बाद मेरे जेहन में जो आपकी खूबसूरत तस्रवीर थी उसे मैने पेंसिल से कागज पर उतार दिया।‘’

 ‘’वाह !’’ श्वेता ने हंसते हुए कहा- ‘’ तो जब-जब मेरी तस्वीर तुम्हारी जेहन में आती है तब तब उसे कागज पर बनाते रहो। पेंटर का तो काम ही है तूलिका घुमाते रहना। ‘’

‘’नहीं सिस्टर, वो बात नहीं है’’- राहुल ने कहा

‘’तो क्या बात है?’’

‘’दरअसल आपकी वास्तविक तस्वीर मेरे जेहन में आती रहती है।‘’

‘’ इसलिए मुझे देखने के लिए यहां चला आया! यही तो।‘’ श्वेता ने कहा

‘’ह.. हां...’’ राहुल ने सिर हिलाते हुए जवाब दिया।

‘’ तो अब चले जाओ। सीधे घर जाओ।‘’ श्वेता ने सख्त लहजे में कहा- ‘’ कहीं पार्क में जाकर  जहां अच्छे पेड़-पौधे और फूल पत्ते हों, वहां बैठकर पाकृतिक सौंदर्य पर पेंटिग्स बनाओ। और हां, फिर कभी मुझसे मिलने हॉस्पिटल मत आना। यहां मुझे बहुत काम रहता है। पेंसेट समझ कर मैंने यहां तुमसे बातचीत कर ली। नहीं तो....

‘’ ठीक है... सिस्ट..टर..। मैं जाता हूं।‘’  राहुल ने रूआंसा अंदाज में कहते हुए उठ खड़ा हुआ।

‘’ देखो, यह मत भूलो कि तुम एक मेंटल पेसेंट हो।‘’ श्वेता ने राहुल को सचेत करते हुए कहा- ‘’अगर कोई ज्यादा परेशानी हो तो तुम प्रेसक्रिप्शन लेकर सीधे डॉ. बोस से मिल सकते हो। वैसे मैंने सिरियस पेसेंट समझकर तुम्हारा नंबर सेव कर रखा है। लेकिन मुझे इस तरह परेशान मत करना।‘’

‘’ ओके सिस्टर.. मैं आपको परेशान न.. नहीं करूंगा।‘’ राहुल कहते हुए रिसेप्शन के गेट से बाहर निकल गया।

इस घटना के बाद पांच महीने से अधिक समय हो गए लेकिन राहुल चेकअप के लिए डॉक्टर बोस के पास नहीं गया। एक दिन चैंबर में बैठी श्वेता उसके द्वारा बनाई अपनी सुंदर तस्वीर को निराहरते हुए सोच रही थी। हास्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद जब राहुल अपने माता पिता के साथ जा रहा था तो श्वेता यूंही ही उसे छोड़ने  के लिए लिफ्ट तक गई थी। लिफ्ट में उठने से पहले राहुल ने अपने द्वारा बनाई पेंटिंग्नस श्वेता को दिया था। यह सोचते श्वेता के मन में न जाने  क्या आया कि उसने मोबाइल फोन में राहुल का नंबर सर्च कर उसे फोन किया-‘’हैलो।‘’

‘’ हां सिस्टर बोलिए, कैसी हैं?’’

‘’ यही बात तो मैं तुमसे पूछने वाली थी। ‘’श्वेता ने चहकते हुए कहा-  ‘’पांच माह से ऊपर हो गए। अभी तक चेकअप के लिए डाक्टर के पास नहीं आया।‘’

‘’हां, नहीं गया। वैसे अभी मैं ठीक हूं।‘’ राहुल ने जवाब दिया।

‘’ भगवान करे तुम स्वस्थर रहो।‘’ श्वेता ने शांत लहजे में कहा- ‘’ लेकिन एक बार डॉक्टर बाबू से चेकअप करा लेना चाहिए।‘’

‘’ अभी कोई परेशानी नहीं है सिस्टर। कोई तकलीफ होगी तो आउंगा।‘’

‘’ तकलीफ नहीं होगी तो नहीं आओगे।‘’  श्वेता ने शरारती लहजे में कहा- ‘’ मुझसे मिलने भी नहीं ‘’

‘’ ऐसी कोई बात नहीं है  सिस्टर।‘’ राहुल ने शांत लहजे में कहा

‘’ तो सुनो राहुल, तुमने एक पेसेंट के तौर पर मुझे जो उहार दिया है न  उसे मैं अपने केबिन में संभाल कर रखी हूं। जब भी तसवीर को देखती हूं तो तुम्हारा खयाल आता है।‘’ श्वेता ने हमदर्दी जताते हुए कहा- ‘’ बदले में मैं भी तुमको कोई गिफ्ट देना चाहती हूं। क्या तुम लेना पसंद नहीं करोगे!’’

‘’ क्यों नहीं सिस्टर!’’ राहुल ने सहज अंजाद में कहा- ‘’आप ने हॉस्पिटल में मेरी जो सेवा की वह मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा गिफ्ट है। आपकी देखरेख में मैं ठीक हुआ, इससे बड़ा और क्या गिफ्ट हो सकता है। लेकिन फिर भी आप कुछ देना चाहती हैं तो मैं खुशी मन से स्वीकार करूंगा।‘’

  ‘’तो सुनो, बहुत दिनों बाद मुझे हॉस्पिटल से छुट्टी मिली है। एक सप्ताह तक मैं छुट्टी पर रहूंगी।‘’  श्वेता ने राहुल को समझाते हुए कहा- ‘’ तुम मुझसे कल न्यू टाउन के सिटी सेंटर म्युजिक कैफे में मिलो।

‘’ हां. हां.. मुझे भी आपसे मिलने का दिल करता है। लेकिन मैं हॉस्पिटल में ही मिलूंगा।‘’  राहुल ने सहज अंजाद में कहा

‘’ देखो बहुत दिनों के बाद मुझे हॉस्पिटल से छुट्टी मिली है और उस छुट्टी को एन्जाय करने के लिए ही मैं  तुमसे म्युजिक कैफे में मिलचना चाहती हूं।‘’ श्वेता ने  जिज्ञाससा भरे लहजे में कहा- ‘’ लेकिन मैं जानना चाहूंगी कि  तुम हॉस्पिटल में ही मुझसे क्यों मिलना चाहते हो?’’

‘’ हॉस्पिटल में आप नर्स के सफेद ड्रेस में मुझे बहुत खूबसूरत लगती हैं सिस्टर..’’

‘’ अच्छा। यह बात है।‘’ श्वेता ने चहकते हुए कहा- ‘’ठीक है मैं उससे भी अच्छा सफेद ड्रेस पहनकर आऊंगी। लेकिन  तुम कल सिटी सेंटर कैफे में मुझसे जरूर मिलना। मिस मत करना।‘’

‘’ठीक है। आप बोलती है तो मैं जरूर आऊंगा।‘’  राहुल ने जवाब दिया।

दूसरे दिन राहुल सिंटी सेंटर म्युजिक कैफे पहुंचा। वह ब्लू जींस और डीप ग्रे कलर का शर्ट पहना था जो उस पर काफी फब रहा था। श्वेता मखमल की तरह सफेद चमचमाती सफेद सलवार सूट और दुप्पटा लहराते हुए वहां पहुंची। श्वेता और राहुल कैफे में सबसे पीछे खाली पड़ी सीट पर आमने-सामने बैठे। बैठते ही श्वेता ने राहुल की आंखों में झाकते हुए पूछा- ‘’कैसा है मेरा सफेद ड्रेस?’’

‘’बहुत सुंदर! आप सचमुच सफेद परी की तरह लग रही हैं सिस्टर!‘’ राहुल ने श्वेता की आंखो में झाकते हुए कहा तो उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा बिखर गई।

दूसरे ही क्षण श्वेता ने कॉफी  और स्नैक्स का प्लेट राहुल की ओर बढ़ाते हुए कहा- ‘’ यहां गर्म कॉफी की चुस्की के साथ मनचाहा मधुर गीत-संगीत भी सुना जा सकता है। इसलिए तुमको यहां बुलाई हूं।‘’

‘’ अच्छा, मुझे तो मालूम नहीं था।‘’ राहुल ने श्वेता की आंखो में झांकते हुए कहा-‘’मुझे तो गीत संगीत सुनना अच्छा लगता है। लेकिन पुरानी फिल्मों का गीत ही सुनता हूं। कोई लड़की यह जानेगी तो मुझे आउठ डेटेट कहेगी।‘’

‘’अरे ऐसी नहीं है। अच्छी चीजें अच्छी ही होती है। चाहे वह कितनी ही पुरानी क्यों न हो। ओल्ड इज गोल्ड।‘’ श्वेता ने मुस्कराते हुए कहा- ‘’ आज कल के लड़कें तो लड़कियों को जिंस-टी शर्ट और तंग कपड़ों में पसंद करते हैं। लेकिन सफेद पोशाक की खूबसूरती ही कुछ और है। तुम्हारी यह पसंद जानकर तो मैं आउट डेडेट कह ही सकती थी। लेकिन मुझे तुम्हारी पसंद अच्छी लगी और मैं हॉस्पिटल से बाहर भी सफेद पोशाक में ही यहां आई। वैसे हॉस्पिटल से बहार कहीं जाने पर मैं रंग-बिरंगे पोशाक ही पहनती हूं।‘’

‘’ मेरी पसंद का खायल रखने के लिए थैंक्स सिस्टर।‘’

‘’थैंक्स। लेकिन मैं  तुमको यहां बुलाई क्यों, यह नहीं जानोगे?’’

‘’हां जरूर जानना चाहूंगा। बताईए।‘’

श्वेता ने राहुल के चेहरे से अपना मुखड़ा सटाते हुए पूछा-‘’ तुम वह एक गीत सुनते थे न! मैं उसके बारे में जानना चाहती हूं?’’

‘’ कौन सा गीत। मुझे तो खयाल नहीं है।‘’

‘’अरे वही, तुमने बताया था न कि मेरी तस्वीर उभर आती है! मैं तुम्हारे साथ आज वही गीत सुनना चाहती हूं।‘’

‘’ओ. तो मुझे खयाल नहीं है सिस्टर..’’  राहुल ने सहज अंजाद में कहा- ‘’असल में मैं अब ठीक हो गया हूं। अब गाना-वोना सुनता नहीं हूं। मेरे अंदर जो पागलपन था वह खत्म हो गया है। मेरा जो पागल मन था न वह शांत हो गया है। अब मुझे कोई मेंटल पेसेंट नहीं कह सकता ‘’

‘’ यह क्या.. ठीक हो गए.. यानी तुम वह सब भूल.. गए। मुझको भूल गए! मेरी वह वास्तविक तस्वीर, जो तुम्हारे गीत सुनने में दिखती थी!  श्वेता ने उदास होकर कहा और कुछ क्षण बाद उसके सर चकराने लगे।

‘’ मेरे सर में चक्कर आ रहा है। मुझे घर पहुंचा दो प्लीज! मैं अकेले नहीं जा पाउंगी।‘ - श्वेता ने मायूसी भरे स्वर में कहा’

राहुल श्वेता को अपनी बांहों का सहारा देकर संभाला। तुरंत उसने मोबाइबल फोन से उबर से कार बुक की। कुछ ही देर में कार आई तो  उसने श्वेता को कार में बैठाया। दोनों के बैठते ही कार सड़क पर दौड़ने लगी। श्वेता का सिर राहुल के कंधे पर था। राहुल ने हेड फोन निकालते हुए कहा- ‘’ सिस्टर मुझे खयाल आया। मैं अभी आपको वह गाना सुनाता हूं। उसने हेड फोन निकालकर श्वेता के कान में लगाया और दूसरा तार अपने कान से चिपका दिया। राहुल के कंधे पर सिर रखे श्वेता संगीत के धून में खो गई। उसके मलीन चेहरे खिल उठे।

पल पल दिल के पास तुम रहती हो..

पल पल दिल के पास तुम रहती हो...

जीवन मीठी प्यास ये कहती हो....

गाने की धून बढ़ने के साथ श्वेता के चेहरे की चमक बढ़ने लगी थी। कार की गति के साथ राहुल भी मदमस्त होकर गाने के सुर में सुर मिला रहा था-

पल पल दिल के पास तुम रहती हो...

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Written by Anwar Hussain

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