चंद ख्वाब

चंद ख्वाब

ProfileImg
02 Jun '24
1 min read


चन्द ख्वाव चंद उम्मीदें लिए फिरता हूँ
समुन्दर से आसमाँ का पता पूछ लिया करता हूँ
रात अमावस की कितनी भी काली हो
खुद अँधेरों में जी लिया करता हूँ
चोट खाकर लगाईं उम्मीदें
खुद ही जख्मों को सी लिया करता हूँ
आँधियों की इस बस्ती में
खुद की हस्ती बना लिया करता हूँ
आसमाँ की बुलन्दी पर
खुद नजरें जमा लिया करता हूँ
इम्तिहाँ को सफर में
खुद की ताकत बना लिया करता हूँ
फैसले को खुद की फिर
नैमत बना लिया करता हूँ

पं संजय शर्मा 'आक्रोश'

Category:Poem



ProfileImg

Written by Pandit sanjay sharma aakrosh