Brave women
ग्रहिणी
जब भी कोई पूछे मुझसे कि
क्या करती है आप??
यह सुन चुप हो जाती हूँ
लाखों भाव छुपाए मुख मंडल के
सोच में पड़ जाती हूँ
क्या बोलू कैसे कह दूँ कि
मैं एक ग्रहिणी हूँ
घर की प्रहरी हूँ ……..
सुबह से लेकर रात तक
जागने से ले कर सोने तक
बिन कहे क्या-क्या कर जाती हूँ
घड़ी के सुई काँटे संग
मानो मैं दौड़ लगाती हूँ
अपने हर हुनर को छिपाए
एक हर्फ़ में छिप जाती हूँ
मैं एक ग्रहिणी हूँ
सबकी संगी-सहेली हूँ ……
हर मुश्किल में टूट कर भी
खुद को जोड़े रखती हूँ
दुनिया दारी के इस पटल पे
सब रिश्ते जोड़े चलती हूँ
हर मोड़ पे संयम रख
मैं ताबिश हो जाती हूँ
आज के दौर की मैं
एक आम सी पहेली हूँ
जो समझो तो सब कुछ हूँ
जो ना समझे तो
मैं एक ग्रहिणी हूँ
घर की प्रहरी हूँ ॥
स्नेह ज्योति
कभी आंसमा में ढूँढता हैं कभी सपनों में खोजता हैं यें दिल हर पल ना जाने क्या-क्या सोचता है भीड़ मे तन्हाई में अपने को ही खोजता हैं
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