मध्यप्रदेश ! देश के मानचित्र में बीचों बीच नज़र आने वाला, एवं देश का ह्रदय कहे जाने वाला राज्य। मध्यप्रदेश की देश में अपनी एक अलग पहचान है। यहां की संस्कृति एवं प्राकृतिक सौंदर्य हमेशा से देशभर के और विदेशों के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते रहा है। सबसे अधिक वन क्षेत्र वाले राज्यों की सूची में मध्यप्रदेश भी एक नाम है। यहाँ बहने वाली नर्मदा नदी गंगा के समकक्ष ही पवित्र और पूजनीय मानी जाती है। प्राकृतिक सम्पदा से भरपूर एवं अपने में हज़ारों वर्षों का इतिहास समाये इस राज्य में घूमने की जगहों की कमी नहीं है। व्यक्ति की अपनी रूचि के अनुसार, यहाँ पर पर्यटन का बहुत विस्तार है। आदिमानवों द्वारा भीमबेटका में उकेरे गए चित्रों से लेकर आधुनिक वाटर पार्कों, प्राकर्तिक झरनों, जल प्रपातों से लेकर शक्तिपीठों और अपने शिल्प से हैरान कर देने वाले मंदिरों तक, बहुत कुछ मध्यप्रदेश में घूमने लायक है।
इनमें से कुछ जगहों के बारे में आप बहुत अच्छे से जानते होंगे, और शायद उन जगहों की सैर भी की होगी। इस लेख में आप कुछ ऐसे स्थानों के बारे में भी जानेंगे, जो बाहर इतने प्रसिद्ध नहीं हैं, लेकिन अपने सौंदर्य और पर्यटन की दृष्टि से अन्य जगहों से किसी भी मामले में कम नहीं हैं। अतः अंत तक जुड़े रहे।
पहले हम कुछ ऐसे पर्यटन स्थलों के बारे में जानेंगे, जिनके बिना मध्यप्रदेश की पहचान अधूरी है।
साँची, मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित एक छोटा-सा कस्बा है। यह प्रदेश की राजधानी "भोपाल" से करीब 46 किलोमीटर, और विदिशा शहर से केवल 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। स्तूप, दरअसल गोलाकार संरचना में निर्मित बौद्ध प्रार्थना स्थल होते हैं, जहाँ पर बौद्धों के पवित्र चिन्ह एवं अवशेष सुरक्षित रखे हुए होते हैं। साँची में छोटे-बड़े बहुत-से स्तूप हैं, लेकिन इनमें से स्तूप क्रमांक 2 सबसे बड़ा एवं प्रमुख स्तूप है। तीसरे मौर्य सम्राट, अशोक द्वारा निर्मित, साँची के इन बौद्ध स्तूपों को देखने देश-विदेश से लाखों पर्यटक मध्यप्रदेश आते हैं। यह मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
जहाँ तक साँची तक पहुँचने की बात है, तो प्रसिद्ध पर्यटन स्थल होने के कारण यहाँ विभिन्न परिवहन मार्गों से आराम से पहुंचा जा सकता है। रेल मार्ग से साँची रेलवे स्टेशन पर उतर कर आप सड़क मार्ग से स्तूप तक पहुँच सकते हैं। भोपाल एवं विदिशा से पास होने के चलते, सड़क मार्ग से भी यहाँ तक पहुंचा जा सकता है। वायुमार्ग से साँची पहुँचने के लिए भोपाल निकटतम एयरपोर्ट है।
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो अपने प्राचीन मंदिरों के लिए विश्वप्रसिद्ध है। यह UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। खजुराहो में इन प्राचीन मंदिरों का निर्माण चन्देलवंशी राजाओं द्वारा किया गया था। यहाँ के मंदिर अपनी उत्कृष्ट नक्काशी, शिल्प एवं सांस्कृतिक विरासत के लिए जाने जाते हैं। यहां पर आपको बहुत से उत्कृष्ट मंदिर देखने मिलेंगे, जिनकी बारीक नक्काशी आपको हैरान कर देगी। यहाँ के मंदिरों की एक विशेषता है, जो इसे बाकी स्थलों से एकदम अलग बनाती है, और वो हैं खजुराहो के मंदिरों पर नक्काशी के माध्यम से बनाई गईं काम मूर्तियां। हालाँकि ये मूर्तियां मंदिरों के नक्काशी का केवल 10 प्रतिशत हैं, लेकिन इस एक विशेषता से ही लोगों को बहुत अचरज और इस जगह के प्रति जिज्ञासा होने लग जाती है।
जहाँ तक खजुराहो पहुँचने के माध्यम की बात है, तो खजुराहो रेलवे स्टेशन के लिए देश के अधिकतर शहरों से रेल सेवा उपलब्ध है। आप चाहे दिल्ली, आगरा, मथुरा, चेन्नई, मुंबई, आदि जगह रहते हों, सीधे खजुराहो रेलवे स्टेशन पहुँच सकते हैं। जबकि वायुमार्ग के लिए खजुराहो, देश के बहुत से घरेलु एयरपोर्टों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, वाराणसी, काठमांडू से आप वायुमार्ग से खजुराहो आ सकते हैं। एयरपोर्ट शहर से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
खजुराहो तक पहुँचने के लिए सडकों की भी अच्छी कनेक्टिविटी है। आप सतना, झाँसी, दिल्ली, इंदौर, भोपाल, जबलपुर, आदि जगहों से सड़क मार्ग के माध्यम से खजुराहो पहुँच सकते हैं।
करीब 32 पहाड़ियों से घिरा बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, प्रकृति प्रेमियों और एडवेंचर पसंद करने वालों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। यहाँ अधिकतर लोग बाघ को देखने के लिए आते हैं। सफारी जीप के माध्यम से आप बांधवगढ़ में घूमकर विभिन्न पशुओं और पक्षियों को देख सकते हैं, एवं यहाँ की प्राकृतिक मनोरमता का आनंद ले सकते हैं। बांधवगढ़ घुमते हुए आप प्राचीन बांधवगढ़ किले को भी देख सकते हैं। यहाँ घूमने के लिए सफारी जीप का किराया 5000 से 7000 रुपये तक आ सकता है, और गाइड के लिए आपको 1500 रुपये के आसपास देने होंगे। जहां तक बांधवगढ़ पहुँचने की बात है, तो उमरिया रेलवे स्टेशन उद्यान से केवल 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।स्टेशन के बहार से आप टैक्सी आदि सुविधा आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ से निकटम हवाई अड्डा जबलपुर है, जो 210 किलोमीटर दूर है। भोपाल से NH 46 के माध्यम से आप सड़क मार्ग से उद्यान तक पहुँच सकते हैं। बांधवगढ़ चूंकि बहुत से जंगली पशु-पक्षियों का घर है, तो आपको यह सलाह दी जाती है, कि किसी पेशेवर गाइड को साथ लेकर ही आप उद्यान में प्रवेश करें।
देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन में स्थित है। उज्जैन को महाकाल की नगरी के नाम से जाना जाता है, और प्रत्येक 12 वर्ष में यहाँ विशाल कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है। उज्जैन अपनी धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। उज्जैन को महान राजा विक्रमादित्य की राजधानी भी कहा जाता है। यहाँ आप ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन करने के अलावा कालियादेह पैलेस, जंतर मंतर और सांदीपनि आश्रम घूम सकते हैं। श्रीकृष्ण ने इसी आश्रम में अपनी औपचारिक शिक्षा पूर्ण की थी।
यहाँ से निकटतम हवाई अड्डा इंदौर है, जो यहाँ से 51 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यदि आप ट्रैन के माध्यम से यहाँ पहुँचने पर विचार कर रहे हैं तो उज्जैन जंक्शन पर उतर सकते हैं, जहाँ से आपको टैक्सी, बस या अन्य परिवहन साधन उपलब्ध हो जाएंगे। सड़क मार्ग से भी बस, कार या अन्य सार्वजनिक व निजी माध्यम से आप उज्जैन पहुँच सकते हैं।
पचमढ़ी मध्यप्रदेश में घूमने के लिए सबसे सुन्दर जगहों में से एक है। यह एक हिल स्टेशन है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ आमतौर पर आप गर्मियों के मौसम में आ सकते हैं। सतपुड़ा की पहाड़ियों का अद्भुत दृश्य पर्यटकों के लिए यादगार पल बन जाता है। यहाँ पर घूमने के लिए बहुत कुछ है। आप यहाँ पहुँच कर सफारी जीप के माध्यम से सभी दर्शनीय स्थलों की सैर कर सकते हैं। यहाँ स्थित पांडव गुफाएं, जटाशंकर गुफाएं, महादेव हिल्स जैसी जगहें आपको बहुत पसंद आएँगी। बी फाल्स नाम से यहाँ स्थति झरने से गिरता हुआ पानी बहुत ही सुन्दर दृश्य बनाता है। पचमढ़ी में सनसेट देखने के लिए भी बहुत से लोग दूर-दूर से पहुँचते हैं। यहाँ स्थित धूपगढ़, मध्यप्रदेश की सबसे ऊँची पहाड़ी है।
एक और चीज़ जो पचमढ़ी को ख़ास बनाती है, वो है इसकी आयुर्वेदिक सम्पदा। पचमढ़ी अपनी आयुर्वेदिक दवाओं के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। यहाँ मिलने वाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां सबसे प्रामाणिक मानी जाती हैं।
पचमढ़ी नर्मदापुरम जिले में स्थित है, और राजधानी भोपाल से 206 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए आप भोपाल राजधानी के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से जनशताब्दी ट्रेन के माध्यम से पिपरिया रेलवे स्टेशन उतर सकते हैं। जहाँ से आपको टैक्सी सुविधा उपलब्ध हो जायेगी। चूंकि यह स्थान ऊंचाई पर स्थित है, और मार्ग भी अत्यंत घुमावदार है, तो भारी वाहन यहाँ नहीं पहुँच सकते। वायु मार्ग से पहुँचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा भोपाल में स्थित है, जहाँ से फिर आप ट्रेन के माध्यम से यहाँ पहुँच सकते हैं। पचमढ़ी में बंदरों की संख्या बहुत ज़्यादा है, इसलिए अपने सामान की सुरक्षा जरूर करते रहिएगा।
इन स्थानों के अलावा भी आप ग्वालियर के किलों, इंदौर के राजबाड़ा में घूम सकते हैं और इंदौर के प्रसिद्ध और स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं।
अब हम बात करेंगे ऐसी जगहों के बारे में जो या तो काम प्रसिद्ध हैं, या फिर लोग यहाँ के बारे में जानते नहीं हैं, लेकिन यहाँ जाना पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
विदिशा जिले में स्थित उदयगिरि की गुफाएं में हिन्दू एवं जैन धर्म से सम्बंधित मूर्तियां एवं चिन्ह हैं। यहाँ कुल 20 गुफाएं हैं, जिनमें भगवान् विष्णु, वराह, और अन्य देवी-देवताओं की आकृति बनी हुई हैं। यदि आपकी इतिहास में दिलचस्पी है, तो आप इन हज़ारों वर्ष पुरानी गुफाओं और उनकी कलाकृतियों को देखने यहां पहुँच सकते हैं।
ये गुफाएं अब पुरातात्विक विभाग के नियंत्रण में हैं, और सुबह 9 से शाम 6 बजे तक खुली रहती हैं। यहाँ घूमने के लिए किसी भी प्रकार के शुल्क की आवश्यकता नहीं है। यहाँ आपको थोड़ा चलना पड़ सकता है, अतः अपने आराम के हिसाब से कपडे पहनकर ही यहाँ पहुंचें। यहाँ की गुफाओं को किसी भी तरीके से नुकसान पहुंचाने की स्थिति में आप पर जुर्माना लग सकता है।
जहां तक बात रुकने की है, तो आपको विदिशा में रुकने के लिए होटल मिल जायेंगे। उदयगिरि की गुफाओं तक पहुँचने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन विदिशा है, जो कि वहां से 6 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है। यदि आप वायु मार्ग से पहुंचना चाहते हैं तो इसके लिए आपको भोपाल के राजा भोज एयरपोर्ट उतरना पडेगा, जहाँ से बस या अन्य किसी माध्यम से आप गुफा तक पहुँच सकते हैं, जो एयरपोर्ट से लगभग 61 किलोमीटर दूर है। विदिशा के माध्यम से उदयगिरि अच्छे से सडकों से जुड़ा हुआ है, तो आप आसानी से सड़क मार्ग से वहां तक पहुँच सकते हैं।
मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भेड़ाघाट अपने "धुंआधार जलप्रपात" के लिए प्रसिद्ध है। संगमरमर की चट्टानों से टकराती हुई नर्मदा नदी जब झरने से गिरती है, तो ऐसा लगता है जैसे दूध की धार बह रही हो। बोटिंग पसंद करने वाले लोगों के लिए यहाँ पर बोटिंग की सुविधा भी उपलब्ध है, जिसमें आप संगमरमर की ऊँची ऊँची चट्टानों के बीच से गुज़रती नर्मदा नदी में बोटिंग का आनंद ले सकते हैं। यहाँ पर आपको संगमरमर से बानी हुई सुन्दर सुन्दर मूर्तियां भी देखने को मिल जाएंगी, जिन्हें आप खरीद सकते हैं। आप भेड़ाघाट में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक बोटिंग कर सकते हैं। भेड़ाघाट पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको जबलपुर पहुंचना होगा, जहाँ आप ट्रैन या फ्लाइट दोनों के माध्यम से पहुँच सकते हैं। फिर वहां से रांझी बस स्टैंड से बस या टैक्सी लेकर आप भेड़ाघाट तक पहुँच सकते हैं।
महेश्वर, अहिल्या बाई होल्कर की राजधानी थी, और इसे मध्यप्रदेश के बनारस के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ के घाटों की प्राचीनता और यहाँ के मंदिरों का शिल्प आपको यह अहसास दिला देगा कि आप बनारस में हैं। महेश्वर अपनी साड़ियों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ पर आप होल्कर किला, नर्मदा घाट, पंडरीनाथ मंदिर, अहिल्येश्वर मंदिर, अहिल्या किला जैसी जगहों में घूमना बिलकुल मत छोड़िएगा। महेश्वर आप ठण्ड के मौसम में जा सकते हैं। इंदौर के एयरपोर्ट से महेश्वर कि दूरी 92 किलोमीटर है, और एयरपोर्ट पर उतरने के बाद आपको यहाँ के लिए आसानी से परिवहन सेवा मिल जायेगी। रेल मार्ग से पहुँचने के लिए भी आपको इंदौर रेल जंक्शन पर उतरना पड़ेगा, जहाँ से आपको टैक्सी, कैब आदि मिल जायेगी। हालाँकि सड़क मार्ग से यह सभी शहरों से जुड़ा हुआ है, तो आप अपने निजी वहां या बस आदि के माध्यम से यहाँ पहुँच सकते हैं।
मध्यप्रदेश में घूमने और बहुत कुछ है, लेकिन यहाँ पर घूमना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। यदि आप और जगहों की तलाश में हैं, तो उस लिस्ट में सबसे पहले मैहर जाना ना भूलें। मैहर, माता के शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ पहुँचने के लिए आप मैहर रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं। यह सतना शहर से भी नज़दीक है। मैहर में आल्हा-उदल के तालाब को देखा जा सकता है।
इसके अलावा आप ओरछा जा सकते हैं। ओरछा में श्रीराम राजा सरकार का भव्य मंदिर बना हुआ है, और यहाँ बहुत से महल व किले भी हैं। यहाँ श्रीराम भगवान को राजा माना जाता है। ओरछा बुंदेला राजपूतों की राजधानी रही है, जिसके कारण यहाँ के महलों और किलों में आप बुन्देल शिल्प को देख सकते हैं। इसके साथ-साथ ओमकारेश्वर भी धार्मिक पर्यटन के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है, जो मध्यप्रदेश में दूसरा ज्योतिर्लिंग है। यह नर्मदा नदी पर स्थित है, और ॐ की आकृति बनाता है, जिसके कारण इसका नाम ओम्कारेश्वर है।
यह लेख मध्यप्रदेश की उन चुनिंदा जगहों के बारे में था, जिन्हें ना देखना मतलब मध्यप्रदेश को ना देखना। इनमें से कुछ जगहें पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध थीं, और कुछ जगह यहाँ के स्थानीय लोगों तक सीमित। यदि आप मध्यप्रदेश पहुंचें, तो जरूर इन जगहों पर जाइएगा, और महसूस कीजियेगा हिन्दुस्तान के दिल को।
0 Followers
0 Following