जगत में भजन बिना कछु नाही......

ईश्वर से स्नेह बढ़ाए राखिए......



image

जगत में भजन बिना कछु नाहीं,
चाहत की गठरी जो लिए ढ़ोवत हैं,
मन मूढ़ वृथा लाभ को रोवत हैं,
भटकत हैं माया की ले परछाईं।।

 

जो आशा मन में उपजी "धन की,
पता नहीं क्या हो अगले "क्षण की,
बीती जाए जीवन तू प्रिय सोवत हैं,
बनकर माया पथ पर मूरख राही।।

 

जगत में मन भूला, जीवन को भूला,
हो मतंग तृष्णा के झूले पर झुला,
पाप की गठरी बांधे पथ पे ढ़ोवत हैं,
हर्षित हो कर पाप से करें गलबांही।।

 


प्यारे, जगत की सकल तृष्णा झूठी हैं,
जो रोग मोह का घेरे हरि भजन ही बूटी हैं,
पायो मानुष देह वृथा क्यों खोवत हैं?
मद-मदांध बन कर प्यारे ढ़ूंढ़ें हैं परछाईं।।

 


इस जगत की रीति गजब की प्यारे,
राग-द्वेष में यहां पर लिपटे हुए हैं सारे,
तू भी मन भूले पाप को लिए संजोवत हैं,
मन राग बढ़ाए घोले पाप की स्याही।।

 

आए जग में हरि नाम जपो, सियाराम जपो,
भजन रस डूबो नित प्रिय हरि नाम जपो,
तू जो जग में भूले लाभ ही लाभ विलोवत हैं,
मूढ़ मृखा लालच में सेवे दुविधा मन माही।।

Category:Music



ProfileImg

Written by मदन मोहन" मैत्रेय

0 Followers

0 Following