शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो।

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08 Aug '24
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शिक्षित बनो , संगठित रहो और संघर्ष करो। 
ये स्लोगन  माननीय डॉ आंबेडकर जी द्वारा दिया गया जो  वंचित और अभावग्रस्त लोगों को मानसिक रूप से मजबूत बनने की ओर  इंगित करता है। ताकि वे अपनी बुद्धि, विवेक और तार्किक क्षमताओं  का उचित उपयोग करके समाज में व्याप्त वर्णव्यवस्था और जातिवाद  जैसी रूढ़ीवादी विचारों का प्रतिस्थापन समानता की व्यापक विचारधारा से करने में सफल बने।
इतने उच्च एवम् व्यापक विचारधारा का स्वामी कोई साधारण मनुष्य नहीं हो सकता । डॉ आंबेडकर जी ने न केवल दलित ,पिछड़े, आदिवासी समाज के उत्थान की ही बात नहीं कही बल्कि महिलाओं  को भी उनकी शिक्षा और स्वतंत्र अभिव्यक्ति हेतु समानता की विचार धारा को अग्रसर किया। आज महिलाएं सभी राजकीय , केंद्रीय विभागों में अपनी जगह बना चुकी हैं ।आज महिलाएं ट्रेन, ट्रक , ऑटो , बस चलाने के साथ -साथ हवाईजहाज भी उड़ा रहीं हैं यही नहीं वायु सेना में भी लड़ाकू विमानों को नियंत्रित कर रही हैं।आज ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जो महिलाओं की पहुंच से अछूता रह गया हो।
शिक्षा के सभी क्षेत्र में चाहें मेडिकल हो , सिविल सर्विसेज हो या अभियांत्रिकी हो, प्रौद्यौगिकी हो सभी जगह बेटियों की हिस्सेदारी बेटों से अधिक हो रही है।क्यूंकि जागरूक नागरिक पूरी तरह समझ चुका है कि बाबा साहेब आंबेडकर जी द्वारा दिया गया उपयुक्त स्लोगन शिक्षित बनो , संगठित रहो और संघर्ष करो एक मात्र ही ऐसी वैकल्पिक शक्ति है जो साधारण व्यक्ति के व्यक्तित्व को पूरी तरह से परिवर्तित करने में समर्थ है।अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना , किसी के भी ग़लत व्यवहार को न सहना, अपने आप को किसी से कमतर न आंकना , आत्मविश्वास में वृद्धि , जीवन में लक्ष्यों का निर्धारण करना ये सभी शिक्षा के माध्यम से ही संभव है । जिससे व्यक्ति स्वयं एक प्रभावशाली व्यक्तित्व प्राप्त करता है और साथ  ही समाज में दूसरों के लिए भी एक आदर्श बनता है ।लोग उसके अनुसरण और मार्गदर्शन से अपने व्यक्तित्व में भी निखार लाते हैं और उनकी  मानसिक चेतना का विस्तार इतना व्यापक हो जाता है कि वे स्वयं के हित के साथ दूसरों के हितों का भी  हनन न करते हैं और न किसी को करने देते हैं।
आज डॉ आंबेडकर जी सम्पूर्ण विश्व में सिंबल ऑफ नॉलेज उपाधि से अलंकृत हो चुके हैं।उनके ज्ञान और व्यापक विचारधारा का हर कोई प्रशंसक बन चुका है । वो केवल दलितों के लिए मसीहा नहीं है बल्कि शिक्षा को प्रत्येक तक पहुंचाने का अधिकार बाबा साहेब की ही देन भारतवर्ष को मिली है। भारतवर्ष के सभी धर्म , जाति  वर्ग, समुदायों के लोगों को उनका कृतज्ञ होना चाहिए। उन्होंने ही "शिक्षा की ज्योति को प्रत्येक घर में प्रज्वलित किया है ताकि अंधविश्वास , छुआछूत , जाति व्यवस्था , वर्ण व्यवस्था की संकुचित मानसिकता से ऊपर उठकर मानवता को सर्वोपरि  धर्म स्वीकार करने की व्यापक विचारधारा को ही  सर्वश्रेष्ठ समझा जाए।"

Category:Education



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Written by ruchi verma

I am Ruchi Verma and I love to create something motivational articles, story or poem ...

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