गजब परिणाम

गजब परिणाम

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05 Jun '24
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इतिहास गवांह हैं ,

बड़बोले अंंहकार का पतन 

जो सोच न सके , वह परिणाम हैं 

आत्मचिंतन कर , इतिहास बन

जहाँ चाह हैं , वहाँ राह हैं ,

जहाँ साथ हैं , वहाँ विकास हैं 

यहाँ सबका बसेरा हैं 

घमण्ड चूकनाचूर हैं ,

स्वार्थी दलबदलू को

जनता ने धूल चटाई हैं 

ऐक्जिट की पोल खोल

विश्वास का भरोसा तोड़ 

ना आर , ना पार 

गजब परिणाम संतुष्ट हैं 

शक्तिशाली रहे आप ,

मधुर वचन कहे ,

मन की बात कर ,

कल्याणकारी कार्य करें.

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स्वलिखित /मौलिक 

राजू गजभिये (सीताराम)

 

 

 

 

 

 

Category:Poem



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Written by Raju Gajbhiye

Raju Gajbhiye