बड़बोले अंंहकार का पतन
जो सोच न सके , वह परिणाम हैं
आत्मचिंतन कर , इतिहास बन
जहाँ चाह हैं , वहाँ राह हैं ,
जहाँ साथ हैं , वहाँ विकास हैं
यहाँ सबका बसेरा हैं
घमण्ड चूकनाचूर हैं ,
स्वार्थी दलबदलू को
जनता ने धूल चटाई हैं
ऐक्जिट की पोल खोल
विश्वास का भरोसा तोड़
ना आर , ना पार
गजब परिणाम संतुष्ट हैं
शक्तिशाली रहे आप ,
मधुर वचन कहे ,
मन की बात कर ,
कल्याणकारी कार्य करें.
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स्वलिखित /मौलिक
राजू गजभिये (सीताराम)
Raju Gajbhiye