यह सवाल कि क्या हम ब्रह्मांड के एकमात्र निवासी हैं या क्या पृथ्वी जैसे अन्य ग्रहों पर जीवन हो सकता है, एक शाश्वत जिज्ञासा है जो न केवल वैज्ञानिक समुदाय बल्कि ब्रह्मांडीय संभावनाओं में रुचि रखने वाले लोगों को भी आकर्षित करती है। समय-समय पर, हमारे ग्रह पर रहस्यमय घटनाएं घटती रहती हैं जो एलियंस के होने की संभावना को मजबूत करती हैं। कुछ शोधकर्ता तो यहां तक दावा करते हैं कि एलियंस समय-समय पर पृथ्वी पर आते रहते हैं और हमारे ग्रह पर निगरानी भी रखते हैं। कई वैश्विक वैज्ञानिक संगठन एलियंस और उड़न तश्तरियों (यूएफओ) के बारे में सक्रिय रूप से जानकारी इकट्ठा करने में लगे हैं।
कई बार दुनिया भर में अलग-अलग जगहों पर लोगों ने यूएफओ देखने का दावा किया है। कुछ वीडियोज़ इंटरनेट पर मौजूद भी है लेकिन उनमें ऑब्जेक्ट साफ नज़र नहीं आता है। इसे भ्रम की स्थिति पैदा होती है। तब कहना मुश्किल है कि वह ऑब्जेक्ट कोई यूएफओ है। हालांकि, एक बात से वैज्ञानिक समुदाय पूरी तरह सहमत है कि हम केवल अकेले नहीं हैं; ब्रह्मांड में किसी अन्य ग्रह पर भी जीवन संभव है और हो सकता है कि जिस तरह हमारे यहां उन्नत टेक्नोलॉजी है, उनके पास भी इससे बेहतर टेक्नोलॉजी हो और वे भी हम पर निगरानी रखते हों।
एलियंस को लेकर क्या कहती है नासा की ताज़ा रिपोर्ट?
नासा कई यूएफओ देखे जाने की जांच कर रहा है, लेकिन अभी तक, उन्हें कोई सबूत नहीं मिला है कि इन घटनाओं के लिए एलियंस जिम्मेदार हैं। साथ ही उन्होंने इस संभावना को पूरी तरह से खारिज भी नहीं किया है। फिर भी, नासा का इरादा उन्नत तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ यूएपी (अनआइडेंटिफाइड एनोमलस फेनोमेना) की जांच करने का है।
नासा की 36 पन्नों की रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उनके द्वारा अध्ययन किए गए कई यूएपी के लिए कोई बाहरी ताकत जिम्मेदार है। हालांकि, रिपोर्ट यह स्वीकार करती है कि ये यूएपी किसी तरह हमारे सौर मंडल में प्रवेश कर चुके हैं और पृथ्वी पर आ गए हैं। हालांकि, रिपोर्ट एलियंस के अस्तित्व की पुष्टि नहीं करती है, लेकिन यह पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर अज्ञात ताकत की संभावना से भी इंकार नहीं करती है।
फ़र्मी पैराडॉक्स का एलियंस के साथ क्या है आखिर संपर्क?
वर्षों से, इंसान पृथ्वी से रेडियो सिग्नल भेजकर एलियंस के साथ संपर्क करने में कोशिश कर रहा है। लेकिन, अनेकों प्रयासों के बावजूद, हमें एलियंस की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। साल 1950 में, भौतिक विज्ञानी एनरिको फर्मी ने ब्रह्मांड की विशालता को देखते हुए अपने साथी से पूछा था कि, एलियन इंसानों के संदेश का जवाब क्यों नहीं देते? वो कहां हैं? वो हैं भी या नहीं? फर्मी के मुताबिक, ब्रह्मांड में इंसानों जैसी कई और सभ्यताएं अलग-अलग ग्रहों पर मौजूद हैं। उनकी इस पहेली को आज दुनिया "फ़र्मी पैराडॉक्स" के नाम से जानती है।
दूसरी तरफ, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में, जिसमें फ्यूचर ऑफ ह्यूमैनिटी इंस्टीट्यूट के एंडर्स सैंडबर्ग, नैनोटेक्नोलॉजी के लिए जाने जाने वाले एरिक ड्रेक्सलर और दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर टॉड ऑर्ड शामिल हैं, ने फर्मी पैराडॉक्स का पुनर्मूल्यांकन किया। उनके निष्कर्षों से इस बात की प्रबल संभावना है कि मनुष्य ब्रह्मांड में एकमात्र बुद्धिमान जीव है, जिससे एलियंस का होना असंभव सा लगता है।
एलियंस के लिए अमेरिका ने चलाया था लाखों डॉलर का सीक्रेट प्रोग्राम
अमेरिकी मीडिया के अनुसार, पेंटागन ने कथित तौर पर यूएफओ की जांच के लिए 2007 से 2012 तक एक सीक्रेट प्रोग्राम चलाया था। जिसे 'एडवांस्ड एयरोस्पेस थ्रेट आइडेंटिफिकेशन' प्रोग्राम के नाम से जाना जाता है। इस दल का नेतृत्व रिटायर्ड डेमोक्रेटिक सीनेटर हैरी रीड ने किया था। प्रोग्राम के डॉक्यूमेंट्स में तेज़ गति से चलने वाले विमानों और मंडराती वस्तुओं का जिक्र किया गया था। हालांकि, एलियंस को लेकर वे भी संशय में रहे। अंततः लगभग 20 मिलियन डॉलर खर्च करने के बाद इस प्रोग्राम को बंद कर दिया गया।
मैक्सिको में हैं 2 एलियंस के शव!
12 सितंबर, 2023 को मैक्सिकन संसद में एलियंस के होने का दावा करने वाले दो शव पेश किए गए। पत्रकार और यूफोलॉजिस्ट जेम मोसान ने कहा कि वे पेरू की एक खदान में पाए गए थे और एक हजार साल से अधिक पुराने हैं। इनके हाथों में इंसानों की तरह 5 नहीं बल्कि 3 उंगलियां होती हैं। मोसान ने डीएनए और कार्बन डेटिंग टेस्ट भी साझा किए, लेकिन कुछ वैज्ञानिकों को संदेह है कि वे एलियंस हैं। शवों को फिलहाल मेक्सिको में मोसान के कार्यालय में एक कांच के बक्से में रखा गया है।
भारत में देखे गए हैं यूएफओ
यूएफओ देखा जाना कोई नई बात नहीं है और भारत में भी ऐसे दावे होते रहे हैं। 15 मार्च, 1951 को सुबह 10:21 बजे, दिल्ली फ्लाइंग क्लब के सदस्यों ने अपने हैंगर के पास एक बड़ी, सिगार के आकार की धातु की वस्तु को उड़ते हुए देखा। यह 100 फीट से अधिक लंबा था और तेजी से आगे बढ़ रहा था। इस वस्तु की सूचना एरियल चीफ इंजीनियर जॉर्ज एफ. फ्लोटे ने दी थी और क्लब के कई कर्मचारियों ने इसे देखा था।
2004 में लाहौल स्पीति में इसरो की टीम ने देखा था यूएफओ
27 सितंबर 2004 को इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल कुलकर्णी के नेतृत्व में भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने हिमाचल प्रदेश की लाहौल स्पीति घाटी में एक यूएफओ देखने का दावा किया था। जब इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के 3 और 2 भूवैज्ञानिकों सहित 5 वैज्ञानिकों की टीम, चंद्र ताल के पास ग्लेशियरों का अध्ययन कर रही थी। तब उन्होंने करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर अपने अभियान के दौरान करीब 40 मिनट तक आसमान में तेजी से मंडराती एक अनोखी वस्तु को देखा था।
कोलकाता में भी दिखी उड़न तश्तरी!
29 अक्टूबर 2007 को कोलकाता के आसमान में एक रहस्यमय वस्तु दिखाई दी, जिसे स्थानीय लोगों ने दोपहर 3:30 से 6:30 बजे के बीच देखा। वीडियो के बावजूद, आज तक यह साफ नहीं है कि वह यूएफओ था या कोई मिसाइल परीक्षण।
ये हैं यूएफओ की कुछ अन्य घटनाएं
हाल के वर्षों में भारत के विभिन्न हिस्सों में कई यूएफओ देखे गए हैं। जून 2013 में, चेन्नई में चमकदार रोशनी वाला एक यूएफओ देखा गया था। दिसंबर 2021 में, लुधियाना में आसमान में चमकदार तेज़ गति वाली वस्तु देखी गई। भारतीय सैनिकों ने अगस्त 2013 में लद्दाख में एक रहस्यमय वस्तु देखने की बात कही। 2014-2015 में यूएफओ देखे जाने का सिलसिला जारी रहा, जिसमें एक लखनऊ में, दूसरा पुणे के पास एक पायलट द्वारा रिपोर्ट किया गया, और कोच्चि में भी। जून 2015 में, कानपुर के एक लड़के ने अपने फोन से उड़न तश्तरी के आकार के यूएफओ की फोटो लेने का दावा किया था।
ब्रह्मांड में हो सकती है दूसरी दुनिया
प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का मानना था कि सौरमंडल में अनगिनत आकाशगंगाएं और अन्य ग्रह हैं; यह संभावना है कि पृथ्वी पर मौजूद इंसानों की तरह उन ग्रहों पर भी जीव रहते हों। कुछ लोग पृथ्वी पर यूएफओ देखे जाने को एलियंस से जोड़ते हैं। उनका मत है कि दूसरे ग्रह के जीव भी शायद पृथ्वी पर जीवन की खोज करने आते हैं।
क्या इंसान कभी कर पाएगा एलियंस से संपर्क?
दशकों से, इंसान एलियंस और ब्रह्मांड का पता लगाने के लिए दूरबीनों और अंतरिक्ष यान का उपयोग कर रहा है और संपर्क बनाने की उम्मीद में रेडियो सिग्नल भी भेज रहा है। लेकिन हमारे सभी प्रयास फेल साबित हुए हैं; क्योंकि हमें किसी भी दूसरी दुनिया से कोई जवाब नहीं आया है। SETI यानी 'सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस' से जुड़े सेथ शोस्टाक सुझाव देते हैं कि एलियंस कैसे होंगे, इस बारे में हमारी पूर्वकल्पित धारणाएं वास्तविकता से मेल नहीं खा सकती हैं। दूसरी तरफ, पूर्व अंतरिक्ष यात्री स्टुअर्ट क्लार्क आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से एलियंस के पता लगाने की संभावना पर संशय जताते हैं।
"क्या हम कभी एलियंस से संपर्क कर पाएंगे?", यह सवाल पूरी वैज्ञानिक बिरदारी के सामने अपने जवाब की प्रतीक्षा में खड़ा है। "इंसान कभी एलियंस से संपर्क कर लेगा"; इस संभावना को न तो झुठलाया जा सकता है और न ही पूरी तरह माना जा सकता है। हां, लेकिन तब तक, हमें अपनी तलाश तो जारी रखनी ही होगी।
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