आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आज हमारे इकोसिस्टम का एक अभिन्न अंग बनता जा रहा है। यह एक डिजिटल ब्रेन की तरह काम करता है, जो तेजी से बड़े से बड़े डेटा को जुटाता है और सटीक रिजल्ट देता है। इसका इस्तेमाल स्मार्टफ़ोन के वॉयस असिस्टेंट, सेल्फ-ड्राइविंग कारों, हेल्थकेयर डायग्नोस्टिक्स और यहां तक कि स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म पर कंटेंट तक दिखाने के लिए किया जा रहा है। बड़े स्तर पर इसका इस्तेमाल प्रोग्रामिंग और वेब डेवलपमेंट में भी किया जा रहा है।
इससे जुड़ा एक वाकया हाल ही में सामने आया है, जहां AI Chatbots ने 7 मिनट में एक सॉफ्टवेयर कंपनी खड़ी कर दी है और वह भी 83 रुपये के खर्च मात्र में। इसके अलावा, उस सॉफ्टवेयर से 70 टास्क भी पूरे किए गए हैं। तो आज के इस लेख में हम यही जानेंगे कि कैसे AI की मदद से वह सॉफ्टवेयर कंपनी बनी और आखिर कैसे इतनी कम लागत में डिजाइनिंग, कोडिंग, परीक्षण संभव है।
अमेरिका और चीन के रिसर्चर्स ने बनाया ChatDev
दरअसल, अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी और चीन की विभिन्न यूनिवर्सिटीज़ के रिसर्चर्स ने कुछ ऐसे AI Chatbots बनाए हैं, जिनकी मदद से सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किया जा सकता है। खास बात यह है कि इस प्रकिया में इंसानी हस्तक्षेप की गुंजाईश न के बराबर है। यानी कि आपका सॉफ्टवेयर खुद-ब-खुद डिजाइनिंग से लेकर कोडिंग, परीक्षण और डॉक्यूमेंटिंग तक कर सकता है।
डिजाइनिंग, कोडिंग, परीक्षण और डॉक्यूमेंटिंग जैसे चार चरणों में यह प्रकिया पूरी होती है। रिसर्चर्स ने इस प्रयोग को 'चैटडेव' नाम दिया है। उनका सोचना था कि क्या कोई कंप्यूटर प्रोग्राम ChatGPT 3.5 का इस्तेमाल करके खुद से सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट कर सकता है। इस प्रयोग के दौरान विभिन्न AI तकनीकों का सहारा लेना पड़ा। प्रत्येक AI बॉट की भूमिका अलग थी। AI Chatbots को कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल से लेकर सीईओ, सीटीओ, प्रोग्रामर और आर्ट डिजाइनर जैसे अलग-अलग रोल दिए गए थे। जब जाकर यह सॉफ्टवेयर तैयार हुआ। हालांकि, यह पढ़ते हुए काफी जटिल लग रहा होगा। लेकिन असल में एआई ने इस पूरे काम को निपटाने में महज 7 मिनट का समय लिया।
ChatDev ने बग्स दूर करने जैसे 70 टास्क किए पूरे
डेवलपमेंट के बाद, जब AI Chatbots द्वारा निर्मित सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया गया तो रिसर्चर्स को चौंकाने वाले नतीजे मिले। क्योंकि परिणाम बेहद सटीक निकले। सॉफ्टवेयर ने आसानी से कम्यूनिकेट किया, महत्वपूर्ण फैसले लिए और हर लेवल पर चुनौतियों का हल निकाला। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, बग्स की पहचान करके उन्हें ठीक करना जैसे कई काम किए। चैटडेव ने ऐसे 70 टास्क पूरे किए।
जब सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की बात आती है तो सभी के दिमाग में आता है कि ये हजारों या लाखों के खर्च की बात है। लेकिन 'चैटडेव' को बनाने में एक कॉफी की कीमत से भी कम खर्च हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 'चैटडेव' को बनाने में केवल 1 डॉलर या 83 भारतीय रुपये खर्च हुए। 7 मिनट में तैयार हुए इस सॉफ्टवेयर के परिणाम से रिसर्चर्स चौंक गए। क्योंकि इसके द्वारा बनाए गए 86.66% सॉफ्वेयर सिस्टम में कोई दिक्कत देखने को नहीं मिली। कंपनी अब इस ऐप को जल्द ही लॉन्च करने वाली हैं।
ChatGPT जैसे लैंग्वेज मॉडल भी कर सकते हैं गलतियां
इस समय, सॉफ्टवेयर विकसित करने वाली कंपनी ने चैटडेव के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं जारी की है। लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार, इस एआई चैटबॉट ने 409.84 सेकंड के भीतर सॉफ्टवेयर बनाने के दौरान 17.04 फाइलें बनाई हैं। अब, लोग मान रहे हैं कि वे भी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए एआई चैटबॉट्स की सहायता ले सकते हैं। रिसर्चर्स की भी राय है कि सॉफ्टवेयर बनाने के लिए चैटडेव का इस्तेमाल करना सही है और इससे कम खर्च आएगा।
चैटजीपीटी जैसी एआई टेक्नोलॉजी विभिन्न तरीकों से कोई टास्क पूरा कर सकती है, लेकिन चैटडेव सॉफ्टवेयर के डेवलपमेंट स्टेज में कुछ चुनौतियां भी देखने को मिलीं। रिसर्चर्स ने देखा कि चैटजीपीटी जैसे लैंग्वेज मॉडल भी गलतियां कर सकते हैं। हालांकि, उन्हें दूर कर दिया गया। रिसर्चर्स का मानना है कि एआई से सॉफ्टवेयर बनाना प्रोग्रामर्स और इंजीनियर्स के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
'चैटडेव' की कार्यप्रणाली
रिसर्चर्स ने चैटडेव से 70 टास्क पूरे कराए, ये विविध तरीके के टास्क थे। लेकिन आखिर 'चैटडेव' काम किस तरह से करता है, ये एक बड़ा सवाल है। चलिए इसे उदाहरण के जरिए समझते हैं।
मान लीजिए, चैटडेव को एक क्लासिक बोर्ड गेम डेवलप करने को कहा गया। तो चैटडेव के प्लानिंग फेज के शुरू होते ही, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के लिए सीईओ तुरंत सीटीओ को निर्देश देगा। मानकर चलते हैं कि सीटीओ ने पायथन लैंग्वेज का सुझाव दिया, क्योंकि सीईओ की नज़र में पायथन लैंग्वेज हर वर्ग के यूजर्स के लिए अनुकूल और आसान रहेगी। नौसिखिया और अनुभवी प्रोग्रामर दोनों इसे समझ सकेंगे।
लैंग्वेज चुने जाने के तुरंत बाद, कोडिंग शुरू हो जाती है। जहां, सीटीओ अब प्रोग्रामर को निर्देश देगा कि वह कोडबेस तैयार करे। इसके साथ, प्रोग्रामर दूसरी तरफ बेहतर यूजर इंटरफेस के लिए डिजाइनर के साथ काम करता रहेगा। यह सब प्रकिया विभिन्न चैटबॉट्स के जरिए तब तक चलती रहती है जब तक कि सॉफ़्टवेयर बनकर पूरा नहीं हो जाता।
निष्कर्ष- हालिया रिसर्च से यह पूरी तरह स्पष्ट है कि चैटजीपीटी जैसी एआई टेक्नोलॉजी के जरिए इंसानों की मदद लिए बगैर सॉफ्टवेयर कंपनी बनाई जा सकती है और चैटडेव इसका ताजा उदाहरण है। जिसका बेहद कम समय और कम लागत में निर्माण हुआ और जिसने हर स्तर पर सफल परीक्षण किया है। चैटडेव ने सॉफ्टवेयर को तेजी से और लागत प्रभावी ढंग से पूरा किया। हालांकि, रिसर्चर्स को लैंग्वेज मॉडल में अवश्य कुछ गलतियां मिलीं जिन्हें दूर कर लिया गया। कुल मिलाकर, यह शोध बताता है कि एआई के जरिए सॉफ्टवेयर डेवलपेमेंट किया जा सकता है और यह नए प्रोग्रामर्स और इंजीनियर्स के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है।