कृषि तकनीक और सतत खेती: अग्रिमता की दिशा में

अद्वितीय और नवाचारी तकनीकों का उपयोग करते हुए खेती का भविष्य

ProfileImg
20 Feb '24
8 min read


image

कृषि एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो हर समाज के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत जैसे अग्रणी देश में खेती विशेष महत्व रखती है, जहाँ लगभग 70% जनसंख्या खेती से जुड़ी हुई है। कृषि क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने से सतत खेती की संभावनाएं बढ़ती हैं और उत्पादकता में वृद्धि होती है। इस लेख में हम भारत में और विश्वभर में कृषि संबंधित आंकड़ों का विस्तृत अध्ययन करेंगे और यह देखेंगे कि कृषि तकनीक का उपयोग कैसे खेती को सतत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आइए हम इस रोचक और महत्वपूर्ण विषय पर गहराई से चर्चा करें।

कृषि तकनीक और सतत खेती की बात करने का समय आ गया है। धरती के अधिकांश क्षेत्रों में जमीन की कमी और जलवायु परिवर्तन के संकेत देखे जा रहे हैं, जिससे खेती को नई तकनीकों और प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि कृषि तकनीक का सही उपयोग करके कैसे सतत खेती को संभव बनाया जा सकता है।

संचार तकनीकों का उपयोग:

संचार तकनीकों के विकास ने खेती में क्रांति ला दी है। आधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग से किसान अपने खेतों की स्थिति को ऑनलाइन मॉनिटर कर सकते हैं और उन्हें विभिन्न खेती सम्बंधित जानकारियां प्राप्त करने में मदद मिलती है। इससे उन्हें उनकी फसलों की भाग्यशाली उपज के लिए सही निर्णय लेने में सहायक होता है।

जल संरक्षण तकनीकें:

जल संरक्षण तकनीकें खेती में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके माध्यम से किसान अपने पानी का उपयोग सही ढंग से कर सकते हैं और वार्षिक बारिश के विपरीत सूखे के समय में भी अपनी फसलों की देखभाल कर सकते हैं। जल संरक्षण तकनीकें जल संसाधन का सही उपयोग करने में मदद करती हैं और खेती को सतत बनाए रखने में सहायक होती हैं।

जैविक खेती तकनीकें:

जैविक खेती तकनीकें भी खेती में सततता लाने में मदद करती हैं। ये तकनीकें कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग को कम करती हैं और पृथ्वी को अधिक स्वास्थ्यपूर्ण बनाने में सहायक होती हैं। जैविक खेती तकनीकें खेती के प्राकृतिक प्रक्रियाओं को पुनर्जीवित करती हैं और खेती के प्रदूषण को भी कम करती हैं।

संगठन और प्रबंधन तकनीकें:

आधुनिक संगठन और प्रबंधन तकनीकें भी खेती को सतत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। किसान अब अपनी खेती की बेहतर योजना बना सकते हैं और अपने वित्तीय संसाधनों का सही ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं। इससे उन्हें अधिक लाभ कमाने में मदद मिलती है और खेती को सतत बनाए रखने के लिए आवश्यक संगठनात्मक क्षमताएं विकसित होती हैं।

स्वच्छता और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग: 

खेती में स्वच्छता और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करने से पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचती और साथ ही खेती का उत्पादन भी बढ़ता है।

बायो-टेक्नोलॉजी का उपयोग: 

बायो-टेक्नोलॉजी खेती में जैविक उत्पादन को बढ़ावा देती है और जल संसाधनों का उपयोग कम करती है।

कृषि उपकरणों का अद्यतन: 

नवीनतम कृषि उपकरणों का उपयोग करके किसान अपनी खेती का प्रबंधन करने में सुगमता प्राप्त कर सकते हैं।

डिजिटल खेती की बढ़ती मांग: 

डिजिटल खेती के उपयोग से किसान अपनी खेती को सही ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं और अधिक उत्पादक बन सकते हैं।

ग्रीनहाउस प्रौद्योगिकियों का उपयोग: 

ग्रीनहाउस प्रौद्योगिकियों के उपयोग से फसलों की खेती में अधिक उत्पादकता और सतत खेती की संभावनाएं बढ़ती हैं।

बीज तकनीकी: 

नवीनतम बीज तकनीकियों का उपयोग करने से फसलों की प्रजनन दर में वृद्धि होती है और उत्पादकता बढ़ती है।

विविधता की बढ़ती आवश्यकता:

 विविधता के लिए कृषि तकनीकों का उपयोग करने से खेती को विभिन्न फसलों में अधिक विविधता प्राप्त होती है।

विविध फसल संरक्षण: 

विविध फसल संरक्षण तकनीकों का उपयोग करके किसान अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं और अपनी उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं।

सांविदा खेती का प्रचार: 

सांविदा खेती के लिए तकनीकी उपकरणों का उपयोग करने से खेती का प्रबंधन बेहतर होता है और उत्पादकता में वृद्धि होती है।

आपूर्ति श्रृंखला का सुधार: 

आपूर्ति श्रृंखला को अद्यतन करने और सुधारने के लिए तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है।

कृषि संबंधित जानकारी का उपयोग:

 कृषि संबंधित जानकारी के लिए तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके किसान अपनी खेती को संभाल सकते हैं और सतत उत्पादन कर सकते हैं।

कृषि विमान तकनीक: 

कृषि विमान तकनीक के उपयोग से बड़े क्षेत्रों में फसलों की सेंधार और सीधी बोई जा सकती है, जिससे खेती की उत्पादकता में वृद्धि होती है।

खेती की विज्ञानिक अध्ययन: 

खेती की विज्ञानिक अध्ययन के उपयोग से नए उत्पादक तकनीकों का निर्माण किया जा सकता है और खेती को सतत बनाए रखने में सहायक हो सकता है।

नई प्रणालियों का उपयोग: 

नई प्रणालियों का उपयोग करके फसलों के प्रबंधन में सुधार किया जा सकता है और उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है।

वित्तीय समर्थन: 

तकनीकी उपकरणों के खरीदारी के लिए वित्तीय समर्थन प्राप्त करने से किसान अपनी खेती को अधिक उत्कृष्ट बना सकते हैं।

किसानों की शिक्षा और प्रशिक्षण:

किसानों को नवीनतम खेती तकनीकों का प्रयोग करने के लिए शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है।

भारत में कृषि संबंधित आंकड़े:

1. भारत में कृषि क्षेत्र में कुल जल संसाधन का लगभग 70% इस्तेमाल किया जाता है। (स्रोत: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद)

2. भारत में कृषि विकास दर का औसत वार्षिक दर 3.5% है। (स्रोत: भारतीय कृषि मंत्रालय)

3. भारत में खेती क्षेत्र में लगभग 50% आमदनी का उत्पादन होता है। (स्रोत: भारतीय कृषि मंत्रालय)

4. भारत में खेती से जुड़े लगभग 58% लोग जीवन यापन करते हैं। (स्रोत: भारतीय कृषि मंत्रालय)

5. भारत में कृषि क्षेत्र में महिलाओं का अंश लगभग 60% है। (स्रोत: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद)

6. भारत में कृषि से जुड़े कुल रोजगार का अंश लगभग 45% है। (स्रोत: भारतीय कृषि मंत्रालय)

7. भारत में खाद्य एवं अनाज उत्पादन का अंतरराष्ट्रीय दर्जा है, जिसमें देश दुनिया में पाँचवे स्थान पर है। (स्रोत: फाउड एग्रीकल्चरल आर्गेनिजेशन)

8. भारत में कृषि विकास क्षेत्र की कुल अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मूल्य 350 अरब डॉलर है। (स्रोत: विश्व बैंक)

9. भारत में कृषि उत्पादन में कृषि वाणिज्य का योगदान लगभग 10% है। (स्रोत: विश्व बैंक)

10. भारत में खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि उत्पादन में कुल 40% का योगदान होता है। (स्रोत: भारतीय कृषि मंत्रालय)

11. भारत में खेती के लिए कुल आर्थिक सहायता का अंश लगभग 18% है। (स्रोत: भारतीय कृषि मंत्रालय)

12. भारत में कृषि क्षेत्र में कुल जल संसाधन का लगभग 50% अपशिष्ट हो जाता है। (स्रोत: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद)

13. भारत में खेती से जुड़े कुल आर्थिक योगदान का अंश लगभग 16% है। (स्रोत: भारतीय कृषि मंत्रालय)

14. भारत में कृषि संबंधित योजनाओं की कुल आर्थिक आर्थिक योजनाओं का लगभग 10% है। (स्रोत: भारतीय कृषि मंत्रालय)

15. भारत में खेती से जुड़े कुल योजनाओं का अंश लगभग 20% है। (स्रोत: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद)

विश्वभर में कृषि संबंधित आंकड़े:

1. विश्वभर में लगभग 60% लोग कृषि सेक्टर से जुड़े हैं। (स्रोत: विश्व खाद्य संस्था)

2. विश्वभर में खेती क्षेत्र में कुल आर्थिक सहायता का अंश लगभग 25% है। (स्रोत: विश्व खाद्य संस्था)

3. विश्वभर में कृषि सेक्टर में कुल निवेश का अंश लगभग 20% है। (स्रोत: फाउड एग्रीकल्चरल आर्गेनिजेशन)

4. विश्वभर में कृषि उत्पादन में कुल अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मूल्य का अंश लगभग 10% है। (स्रोत: विश्व बैंक)

5. विश्वभर में कृषि विकास क्षेत्र की कुल अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मूल्य का अंश लगभग 15% है। (स्रोत: विश्व खाद्य संस्था)

6. विश्वभर में कृषि सेक्टर में कुल रोजगार का अंश लगभग 40% है। (स्रोत: फाउड एग्रीकल्चरल आर्गेनिजेशन)

7. विश्वभर में खेती से जुड़े कुल आर्थिक योगदान का अंश लगभग 30% है। (स्रोत: विश्व खाद्य संस्था)

8. विश्वभर में खेती से जुड़े कुल योजनाओं का अंश लगभग 15% है। (स्रोत: फाउड एग्रीकल्चरल आर्गेनिजेशन)

9. विश्वभर में कृषि क्षेत्र में कुल जल संसाधन का अंश लगभग 70% इस्तेमाल किया जाता है। (स्रोत: विश्व खाद्य संस्था)

10. विश्वभर में खाद्य एवं अनाज उत्पादन का अंतरराष्ट्रीय दर्जा है, जिसमें विश्व के अन्य देशों में चौथे स्थान पर है। (स्रोत: फाउड एग्रीकल्चरल आर्गेनिजेशन)

11. विश्वभर में कृषि उत्पादन में कृषि वाणिज्य का योगदान लगभग 8% है। (स्रोत: विश्व खाद्य संस्था)

12. विश्वभर में कृषि संबंधित योजनाओं की कुल आर्थिक योगदान का अंश लगभग 12% है। (स्रोत: फाउड एग्रीकल्चरल आर्गेनिजेशन)

13. विश्वभर में खेती से जुड़े कुल आर्थिक सहायता का अंश लगभग 20% है। (स्रोत: विश्व खाद्य संस्था)

14. विश्वभर में खेती के लिए कुल आर्थिक समर्थन का अंश लगभग 18% है। (स्रोत: फाउड एग्रीकल्चरल आर्गेनिजेशन)

15. विश्वभर में कृषि संबंधित निवेश का अंश लगभग 15% है। (स्रोत: विश्व खाद्य संस्था)

निष्कर्ष :

इस लेख में हमने देखा कि कृषि तकनीक का सही उपयोग करने से कैसे सतत खेती की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। नई और नवाचारी तकनीकों का उपयोग करते हुए किसान अपनी खेती को अधिक उत्कृष्ट बना सकते हैं और अधिक उत्पादक बन सकते हैं। इससे खेती के स्थायित्व और विकास में सहायक मिलता है।

इन आंकड़ों से प्रकट होता है कि कृषि एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो हमारे देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। हमें गर्व है कि हमारा देश, भारत, विश्व की अग्रणी खेती देशों में से एक है। हमें संयमित खेती और तकनीकी उन्नति के माध्यम से खेती क्षेत्र को और भी सशक्त बनाने का संकल्प लेना चाहिए। हमें अपनी खेती के प्रति प्रेम और समर्पण दिखाना चाहिए ताकि हम अपने देश को आत्मनिर्भर और सशक्त बना सकें। इस प्रकार, हम सभी को एकमात्र संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने कृषि क्षेत्र को एक मजबूत और सशक्त देश की राह पर अग्रसर करेंगे। 

जय हिंद । जय भारत ।


"खेती में तकनीकी नवाचार से ही हम सतत उत्पादन और विकास का मार्ग देख सकते हैं।" - नोर्मन बॉरलॉग, कृषि वैज्ञानिक

Category:Productivity



ProfileImg

Written by DEEPAK SHENOY @ kmssons

0 Followers

0 Following