एक यात्रा

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17 Jun '24
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 कुछ ही देर में प्रयागराज के पुल के ऊपर से  ट्रेन   गुजरने वाली थी
मैं भी खिड़की पर नज़रें टिकाए नीचे संगम नदी का इंतजार कर रही थी मेरे बगल में एक दस साल की लड़की बैठी हुई थी वो भी खिड़की की तरफ ही देखी जा रही थी
इतनी देर में उसके पापा एक पांच का सिक्का निकालते हैं उसे देते हुए कहते हैं बेटा नदी आएगी उसमें डाल देना अब नदी आने वाली होती  ही  है हमारी बोगी एक में महिला आती है उसके बाद छोटा बच्चा होता है और वह कहती है मां कुछ दे दो बाबा दे दो यह नजारा बहुत ही अद्भुत था मैं इसका इसका शब्दों में बयां नहीं कर सकती  ऊपर ट्रेन गुजर रही है नीचे हमारी संगम नदी बह रही है और एक महिला  छोटे से बच्चे के साथ कुछ जो चलने में असमर्थ थी दस साल की बच्ची के हाथों में पांच का सिक्का
जैसे ही उसने फेंकने के लिए हाथ बढ़ाया  उस महीला ने बोला कुछ दे दो बेटा दुआ लगेगी
 उस बच्ची ने  सिक्का उस महिला को दे दिया और चुपचाप बैठ गई वह महिला खुश होकर इतनी सारी दुआएं देकर चली गई उसे बोगी में बैठे लोग उस लड़की को गर्व की नजरों से देखने लगे और उनसे मैं भी एक थी 

Category:Prose



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Written by Anju Dubey