थोड़ी सी हसी थोड़ी सी खुशी

जीवन का सिद्धान्त

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19 Jun '24
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 थोड़ी सी हंसी थोड़ी सी खुशी
आखिर एक छोटा बच्चा अकसर खुश क्यू रहता है क्यों कि हम पैदाइशी खुश होते हैं पर जैसे जैसे बड़े होते हैं हमारा स्वभाव बदलने लगता है। हंसना एक कला है। हंसी एक तरह से आपकी ऊर्जा का उमड़ना है। महात्मा गांधी कहते हैं कि हंसी मन की गांठें बड़ी सरलता से खोल देती है मेरे मन की ही नहीं आपके मन की भी। अमेरिकी डॉक्टर डेविड सोबेल ने एक लेख लिखा है "भरपूर हास्य अच्छा स्वास्थ्य"डॉक्टर सोबल इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ ह्यूमन नॉलेज से जुड़े हैं।मानव स्वास्थ्य से जुड़े उनके अध्ययन के निष्कर्ष यही दिखा रहे हैं कि हास्य मे इंसान को स्वास्थ्य रखने की अद्भुत क्षमता है और ध्यान में डुबूने की भी।
बाल्टीमोर विश्व विद्यालय के न्यूरो बायोलॉजिस्ट डॉक्टर रॉबर्ट बा बीने ने अपनी रिसर्च लाफिंग थेरेपी के दौरान ऐसा ही पाया। अगर बचपन से ही खिलखिलाने और ठहाके लगाने की आदत डाल ले जाए तो आगे चल कर हम अनिद्रा, अवसाद जैसी बीमारियों से आसानी से अपना बचाओ कर सकते हैं।अगर लोगों के बीच का फासला काम करना है तो दिल खोलकर हंसिए। हंसने की शुरुआत मन से होती है।मन मे तरंगे उठनी शुरू होती हैं फिर वह पूरे बदन में फैल जाती हैं।हंसी एक अंदरूनी जोगिंग है। दिलदार हंसी आपके चेहरे की रगों सांस के परदे और पेट की बेहतरीन एक्सरसाइज है। इससे लम्हे भर को आपकी दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर बढ़ता है। आपके खून में ज़िंदगी दौड़ने लगती है। भरपूर हंसी आपकी इतनी कैलोरी जला सकती है जितनी तेज तेज चलने से बर्न होती है। हंसी के दौरान आपका दिमाग इतने हार्मोन्स छोड़ता है कि इससे आपका दिमाग तरो ताज़ा हो जाता है। हंसी मे मन को हल्का करने की सूक्ष्म शक्ति होती है स्टेनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ़ बिजनेस की लेक्चरर नाओमी  बगडोनास कहती हैं कि हल्का पन एक मानसिकता है। यह आपके आस पास की दुनिया में निराश होने के बजाय खुश होने के कारणों की तलाश करता  है हास्य वा हल्के पन के शारीरिक लाभ भी हैं जब आप तनाव गिरस्त होते हैं तो आपका तंत्रिका तंत्र लड़ो या भागो जैसी  प्रति क्रिया करने लगता है जिससे कई तरह के शारीरिक प्रभाव पड़ते हैं।आपका शरीर तनाव हार्मोन पैदा करता है जिससे आपकी ह्रदय गति एवं रक्त चाप बढ़ जाता है। आपकी सांसे छोटी हो जाती है मांस पेशियां तनाव ग्रस्त हो जाती हैं एक अच्छी मुस्कुराहट के भी शक्ति शाली प्रभाव होते हैं ऐसे कई अध्ययन हैं जो बताते हैं कि हंसी से ह्रदय गति रक्तचाप और मांसपेशियों के तनाव पर साकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। ऐसे कई  अध्ययन हैं जो आशा वाद जीवन संतुष्टि के साथ अवसाद तनाव और चिंता में कमी का संबंध हंसी और आनंद से जोड़ते हैं । शोध यह भी बताता है कि हास्य हमे कार्यस्थल पर अधिक संतुष्टि के साथ दूसरे लोगों से बेहतर संबंध बनाने में भी मदद करता है।डॉक्टर बा बीने कहते हैं कि कुछ लोग खुश मिज़ाज नहीं होते। कुछ अपनी हंसी पर पाबन्दी लगा लेते हैं। वो किसी से ना खुलकर मिल पाते हैं और ना ही दिल की बातें कर पाते हैं क्या कभी हमने महसूस किया कि हंसी पर कितनी दुनियावी बंदिश लगी हुई है। सदियों से जारी इस मुहावरे को देखें ये कोई हंसी मज़ाक नहीं है। लोग हंसी उड़ाएंगे दांत मत निपोरो क्या खी खी कर रहे हों,। मुहावरे यूं ही नहीं बनते वे जनमानस के प्रति निधि होते हैं। हंसना सभी समाजों को अशिष्टता का प्रतीक रहा है मगर डॉक्टर सोनेल का मानना है कि भरपूर हास्य अच्छा स्वास्थ्य; सेहत मंद मजाक वह है जो अपने पर किया जाता है। जार्ज बर्नार्ड शॉ मानते हैं कि हंसी के कहकहों पर जवानी के फूल खिलते हैं। हंसी एक अचूक दवा है जिसे कुदरत ने मुफ़्त ईनाम मे दिया है। कामों के बीच फुर्सत के कुछ पल निकाल कर अपने साथियों के साथ हंसी मज़ाक ज़रूर कर लेना चाहिए। हंसी आपके दिल दिमाग में दाखिल हो जाती है। देखा गया है कि हंसने वाले लोग ख़ुद कुशी नहीं करते। उन्हें दिल के दौरे नहीं पड़ते । अब शरीर पर होने वाले हंसी के वैज्ञानिक प्रभाव पर काफी खोज बीन हो रही है और डॉक्टरों ने हंसी को बहुत सेहत मंद माना है। मेडिकल साइंस भी कहने लगी है कि हंसी इंसान की कुदरत से ईनाम मे मिली सबसे असरदार ओषधि है। यदि बीमारी के दौरान हंस सकें तो आप जल्द ही स्वस्थ हो जायेंगे और अगर स्वस्थ रह कर भी हंस नहीं पाए तो तो शीघ्र ही आपका स्वास्थ्य खोने लगेगा और बीमारी घर कर लेगी। डॉक्टर यहां तक कहते हैं कि जो व्यक्ति सात दिन में एक बार भी नहीं हंसता वह मनोरोगों से ग्रसित हो सकता है। मनुष्य एकमात्र विवेकशील प्राणी है जो ख़ुद पर भी हंस सकता है। हंसने से रोगों से लड़ने की क्षमता भी विकसित होती है। कहते हैं कि जो दिन बिना हंसी के गुज़र गया वह व्यर्थ है।
खाओ पियो ऐश करो मित्रों और बाइबल का पृवचन " ईट ड्रिंक ऐंड बी मैरी,"को लेकर अमूमन ज़िंदगी एक पार्टी है, मानने की गलत फहमी हो जाती है जबकि हकीकत यह है कि इंसान गिनती के वर्षों के लिए जन्म लेता है इसलिए छोटी छोटी और सरल चीजों में सुख और खुशी की खोज ज़िंदगी के सफर को सुकून भरा बना सकती है। सदा खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए पर सिवाय खुश रहने के इंसान सब कुछ करता फिरता है। दूसरों की खुशी का ध्यान रखना अच्छा है जितना हो सके हमे उनकी खुशी का ध्यान रखना चाहिए पर इसका यह आशय नहीं कि आप खुद को भुला दें। कितनी बार दूसरो को खुश करने की कोशिश दरअसल अपने डर की उपज होती है। सभी कहते हैं कि लोगों को खुश करते करते मैंने अपने आप को खो दिया था और जब कुछ खोने का डर नहीं रहा तो लग रहा है कि मैं ख़ुद को पा रहा हूं । ब्रुक हेम्पटन कहते हैं कि इस मूर्ख दुनिया को भौतिक चीज़ों की लिए अपनी आत्मा को भूखा रखने की कोशिश न करने दें। किसी दिन जब आप सूरज के नीचे बैठे होंगे तब ये महसूस करेंगे कि वास्तव में खुश रहने के लिए आपको कितनी कम चीज़ों की जरूरत है। उम्मीदें दुख की जड़ हैं इसलिए शायद हमे हर समय खुश   करने के लिए कुछ भी उम्मीद करने के बजाय उन चीज़ों को प्राथमिकता देने की जरूरत है जो हमें खुशी देती हैं भले ही वो दूसरो के साथ समय बर्बाद करने जैसा लग रहा हो। हम खुश नहीं हैं ये एक चिंता जनक बात है।जब हम दिल से पृसनन  नहीं होते तो हमारे अंदर आगे बढ़ने की चाह ख़त्म होने लगती है और यह घटी हुई चाह जीवन को नीरस और उबाऊ बना देती है। हम चमत्कार की उम्मीद करने लगते हैं जो हमारे सपनों को एक नया जीवन दे दे। कल्पना की उड़ान साकार करने के लिए मेहनत, मनोबल और आत्मविश्वास की ज़रूरत है।
खुश रहने वाले लोग हर स्थिति में हर चीज़ मे अच्छाई खोजते हैं। अपने दोस्तों और परिवार के लिए समय निकालें। उन पर ध्यान दें।उन लोगों के लिए हर घड़ी तैयार रहें। अपने रिश्तों को बेहतर बनाएं।
अपना पसंदीदा काम करने से खुशी मिलती है। खुश रहने वाले लोग जो भी काम मिलता है उसी में खुशी महसूस करते हैं। आपके पास ऐसे उद्देश्य होने चाहिएं जिन्हें आप प्रसन्नता से पूरा कर सके ताकि जीवन सार्थक हो। सबसे पहले उन उद्देश्यों में ढूंढना जरूरी है। लेखक एंथनी जे, डी एंजिलो कहते हैं कि हम कहीं भी जाएं हमे अपनी धूप साथ रखनी चाहिए। अपने काम को बड़े मकसद से जोड़ें।
मुस्कुरा कर चलना हमने वक्त से सीखा है।
ज़िंदगी जीने का बस यही तरीका है।
डॉक्टर कुद सिया अंजुम अलीग
सहारनपुर 
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Category:Literature



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Written by Qudsia Anjum

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