ख्वाबों की दुनिया, ख्यालों की दुनियाँ ,
नफरतों की दुनिया, सिलसिलों की दुनियाँ,
ये दुनियाँ का दस्तूर, ये दुनिया का रीवाज़,
ये दुनियाँ का लिहाफ़, ये दुनिया का लिहाज़,
ऐ तलबगार-ऐ-इश्क़ अब कहाँ ढूंढेगा इश्क़,
इस सहरा मे आब नहीं, ये सहरा है शुष्क.
धर्मावती
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